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कोरोना का ग्रहण : करीला धाम पर नहीं दिखी श्रद्धालुओं की भीड़

रंग पंचमी पर करीला में लगने वाले मेले में इस बार कोरोना का ग्रहण लग गया. वहां प्रशासन ने सुरक्षा के लिए अच्छी व्यवस्था की थी. लेकिन करीला धाम पर लगभग 5 हजार श्रद्धालु ही दर्शन करने के लिए पहुंचे. जिसके कारण मंदिर परिसर में सन्नाटा पसरा रहा.

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Published : Apr 5, 2021, 1:08 PM IST

Lack of devotees at Karila fair
करीला मेले में श्रद्धालुओं की कमी

अशोकनगर। रंग पंचमी पर इस बार करीला का स्वरूप कोरोना के कारण बदला हुआ नजर आया. हर साल जिस मंदिर में 15 से 20 लाख श्रद्धालु पहुंच कर मां जानकी के दर्शन करते थे. वहीं इस बार दिन भर में लगभग 5 हजार लोग ही पहुंचे. इस दौरान करीला धाम जाने वाली सभी सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा.

करीला धाम में श्रद्धालुओं की कमी

भले ही करेला मेले को रद्द कर दिया था. लेकिन प्रशासन ने तैयारियां मेले के लिहाज से ही की थी. प्रशासन ने पानी, बिजली एवं शौचालय के अच्छे इंतजाम किए थे. भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने रास्तों पर लगभग 18 चेक पोस्ट लगाए थे. जहां लोगों को वाहनों से आने पर रोका गया. बाइक पर 2 से ज्यादा लोग आकर बैठे पाए गए तो उनको भी उतार दिया गया. मंदिर परिसर में भीड़ कम करने के लिए इस बार नाश्ते और प्रसाद की दुकानों को भी मंदिर परिसर के नीचे लगवाया गया.

  • बिना मास्क के नहीं दिया श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश

मंदिर परिसर में श्रद्धालु जब दर्शन करने के लिए पहुंचे तो एनाउंसमेंट के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं को मास्क लगाने के निर्देश दिए जा रहे थे. वहीं मंदिर परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने सभी को मास्क लगाकर ही मंदिर में प्रवेश करने दिया. इसकी बाद श्रद्धालुओं ने मां जानकी के दर्शन कर पाए.

  • मंदिर में नहीं दिखी श्रद्धालुओं की भीड़

मां जानकी दर्शन करने के लिए जहां पिछली वर्ष सभी रेलिंग दर्शनार्थियों से भरी रहती थी. वहीं इस वर्ष इन्हीं रेलिंग पर इक्का-दुक्का श्रद्धालु आते दिखाई दिए. जिसके कारण मंदिर परिसर में कम ही श्रद्धालु मां जानकी के दर्शन करते नजर आए. मंदिरों के घंटियों को भी कपड़े से ढ़क दिया गया था ताकि श्रद्धालु उनका प्रयोग ना कर सकें.

  • आधार कार्ड दिखाने के बाद मिली एंट्री

अथाईखेड़ा से करीला धाम तक रास्ते में कई गांव हैं. जो लोग किसी काम से शहर आए हुए थे. लेकिन जब भी वापस अपने गांव जा रहे थे. तभी उसी रास्ते पर लगे चेक पोस्ट पर उनसे कड़ी पूछताछ की गई. वहीं ग्रामीणों ने अपने गांव का आधार कार्ड या दूसरे दस्तावेज दिखाकर ही अपने घर पहुंच सके. टाइड व्यवस्था के कारण कई श्रद्धालुओं को पैदल ही मंदिर तक पहुंचना पड़ा.

विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर पसरा सन्नाटा, नहीं पहुंच रहे श्रद्धालु

  • नहीं हो सका राई नृत्य का आयोजन

करीला धाम की मान्यता है कि जहां लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है. मां जानकी के दरबार में राई नृत्य का आयोजन करते हैं. लेकिन कोरोना के चलते राई नृत्य का आयोजन नहीं किया गया. अशोकनगर पहुंची नृत्यांगना ने बताया कि करीला मंदिर पर हम जो नृत्य करते हैं उससे हमारे कई महीनों का खर्चा चलता है. लेकिन प्रशासन की सख्ती और कोरोना की मार हमें झेलना पड़ रही है. जिससे हम लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. प्रशासन को हमारे लिए भी कोई व्यवस्था करनी चाहिए थी. ताकि हमारा गुजर-बसर हो सके.

  • तीन बेटियों के बाद बेटे की चाह में पैदल मंदिर पहुंचे दमोह के श्रद्धालु

करीला माता के दरबार में दूसरे जिलों से लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं. मन्नत मांगने के लिए इस बार गिने-चुने लोग ही दरबार में पहुंचे. ऐसे ही दमोह जिले के वरधारी गांव के गोविंद सिंह और जीतू अहिरवार भी 2 किलोमीटर चेकपोस्ट पर अपने वाहन को रखकर छोटी-छोटी बेटियों और पत्नी के साथ जानकी दरबार पहुंचे. जहां उन्होंने बताया कि 3 बेटियों के बाद अब पुत्र की मन्नत को लेकर हम करीला धाम आए थे. मां जानकी की महिमा के बारे में हमने सुना है. कि यहां जो भी मांगो वह मुराद पूरी होती है. बेटे की मुराद को लेकर हम परिवार सहित मां जानकी के दर्शन करने पहुंचे हैं.

  • कम श्रद्धालु का मंदिर आना हमारी जीत है - एसडीएम

जानकारी देते हुए मुंगावली एसडीएम राहुल गुप्ता ने बताया की कोरोना के चलते हर जिलों में जो अशोकनगर जिले के आसपास लगे हुए हैं. वहां के प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दे दी गई थी कि करीला मेले का आयोजन इस बार नहीं होगा. जिसके कारण लोग मंदिर परिसर में न पहुंचे. उन सभी अधिकारियों ने इस बात का प्रचार-प्रसार अच्छे से किया. जिसके कारण कम ही लोग मंदिर परिसर में पहुंचे हैं. कम श्रद्धालुओं के पहुंचने से हम एक हद तक कोरोना संक्रमण पर जीत हासिल कर सके हैं.

अशोकनगर। रंग पंचमी पर इस बार करीला का स्वरूप कोरोना के कारण बदला हुआ नजर आया. हर साल जिस मंदिर में 15 से 20 लाख श्रद्धालु पहुंच कर मां जानकी के दर्शन करते थे. वहीं इस बार दिन भर में लगभग 5 हजार लोग ही पहुंचे. इस दौरान करीला धाम जाने वाली सभी सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा.

करीला धाम में श्रद्धालुओं की कमी

भले ही करेला मेले को रद्द कर दिया था. लेकिन प्रशासन ने तैयारियां मेले के लिहाज से ही की थी. प्रशासन ने पानी, बिजली एवं शौचालय के अच्छे इंतजाम किए थे. भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने रास्तों पर लगभग 18 चेक पोस्ट लगाए थे. जहां लोगों को वाहनों से आने पर रोका गया. बाइक पर 2 से ज्यादा लोग आकर बैठे पाए गए तो उनको भी उतार दिया गया. मंदिर परिसर में भीड़ कम करने के लिए इस बार नाश्ते और प्रसाद की दुकानों को भी मंदिर परिसर के नीचे लगवाया गया.

  • बिना मास्क के नहीं दिया श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश

मंदिर परिसर में श्रद्धालु जब दर्शन करने के लिए पहुंचे तो एनाउंसमेंट के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं को मास्क लगाने के निर्देश दिए जा रहे थे. वहीं मंदिर परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने सभी को मास्क लगाकर ही मंदिर में प्रवेश करने दिया. इसकी बाद श्रद्धालुओं ने मां जानकी के दर्शन कर पाए.

  • मंदिर में नहीं दिखी श्रद्धालुओं की भीड़

मां जानकी दर्शन करने के लिए जहां पिछली वर्ष सभी रेलिंग दर्शनार्थियों से भरी रहती थी. वहीं इस वर्ष इन्हीं रेलिंग पर इक्का-दुक्का श्रद्धालु आते दिखाई दिए. जिसके कारण मंदिर परिसर में कम ही श्रद्धालु मां जानकी के दर्शन करते नजर आए. मंदिरों के घंटियों को भी कपड़े से ढ़क दिया गया था ताकि श्रद्धालु उनका प्रयोग ना कर सकें.

  • आधार कार्ड दिखाने के बाद मिली एंट्री

अथाईखेड़ा से करीला धाम तक रास्ते में कई गांव हैं. जो लोग किसी काम से शहर आए हुए थे. लेकिन जब भी वापस अपने गांव जा रहे थे. तभी उसी रास्ते पर लगे चेक पोस्ट पर उनसे कड़ी पूछताछ की गई. वहीं ग्रामीणों ने अपने गांव का आधार कार्ड या दूसरे दस्तावेज दिखाकर ही अपने घर पहुंच सके. टाइड व्यवस्था के कारण कई श्रद्धालुओं को पैदल ही मंदिर तक पहुंचना पड़ा.

विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ बावनगजा पर पसरा सन्नाटा, नहीं पहुंच रहे श्रद्धालु

  • नहीं हो सका राई नृत्य का आयोजन

करीला धाम की मान्यता है कि जहां लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है. मां जानकी के दरबार में राई नृत्य का आयोजन करते हैं. लेकिन कोरोना के चलते राई नृत्य का आयोजन नहीं किया गया. अशोकनगर पहुंची नृत्यांगना ने बताया कि करीला मंदिर पर हम जो नृत्य करते हैं उससे हमारे कई महीनों का खर्चा चलता है. लेकिन प्रशासन की सख्ती और कोरोना की मार हमें झेलना पड़ रही है. जिससे हम लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. प्रशासन को हमारे लिए भी कोई व्यवस्था करनी चाहिए थी. ताकि हमारा गुजर-बसर हो सके.

  • तीन बेटियों के बाद बेटे की चाह में पैदल मंदिर पहुंचे दमोह के श्रद्धालु

करीला माता के दरबार में दूसरे जिलों से लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं. मन्नत मांगने के लिए इस बार गिने-चुने लोग ही दरबार में पहुंचे. ऐसे ही दमोह जिले के वरधारी गांव के गोविंद सिंह और जीतू अहिरवार भी 2 किलोमीटर चेकपोस्ट पर अपने वाहन को रखकर छोटी-छोटी बेटियों और पत्नी के साथ जानकी दरबार पहुंचे. जहां उन्होंने बताया कि 3 बेटियों के बाद अब पुत्र की मन्नत को लेकर हम करीला धाम आए थे. मां जानकी की महिमा के बारे में हमने सुना है. कि यहां जो भी मांगो वह मुराद पूरी होती है. बेटे की मुराद को लेकर हम परिवार सहित मां जानकी के दर्शन करने पहुंचे हैं.

  • कम श्रद्धालु का मंदिर आना हमारी जीत है - एसडीएम

जानकारी देते हुए मुंगावली एसडीएम राहुल गुप्ता ने बताया की कोरोना के चलते हर जिलों में जो अशोकनगर जिले के आसपास लगे हुए हैं. वहां के प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दे दी गई थी कि करीला मेले का आयोजन इस बार नहीं होगा. जिसके कारण लोग मंदिर परिसर में न पहुंचे. उन सभी अधिकारियों ने इस बात का प्रचार-प्रसार अच्छे से किया. जिसके कारण कम ही लोग मंदिर परिसर में पहुंचे हैं. कम श्रद्धालुओं के पहुंचने से हम एक हद तक कोरोना संक्रमण पर जीत हासिल कर सके हैं.

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