अशोकनगर। 12वीं की परीक्षा शुरू हो गई है, परीक्षा देने से एक दिन पहले 12वीं की एक छात्रा को 10वी का प्रवेश पत्र थमा दिया गया. छात्रा और उसके परिवार के लोग शाम को कलेक्टर के बंगले पर पहुंचे. तब कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने रातो-रात बच्ची को 12वीं का प्रवेश पत्र दिलाया, ऐन वक्त पर उसे परीक्षा में बैठाकर एक साल बर्बाद होने से बचा लिया. इस मामले में पूरी जांच की जाएगी.
इन सबके पीछे निजी स्कूलों की मनमानी और लापरवाही सामने आई है. जांच में सामने आया है, छात्रा रिंकी आर्यमन सिंधिया स्कूल में 12वीं की छात्रा है, जबकि इसको प्रवेश हनुमान विद्यालय का दिया गया है. जांच में सामने आया कि आर्यमन सिंधिया स्कूल को 12वीं तक की मान्यता ही नहीं है. ये स्कूल हनुमान स्कूल से अपने विद्यार्थियों को परीक्षा दिलाता है. प्रशासन ने इस मामले में दोनों स्कूलों के खिलाफ जांच बैठा दी है.
12वीं की छात्रा को इन दोनों विद्यालयों ने बिना देखे परखे कक्षा 10 का प्रवेश पत्र पकड़ा दिया और परीक्षा से एक दिन पहले जब छात्रा ने प्रवेश पत्र पर गौर किया तो वह प्रवेश पत्र 12 की बजाय कक्षा 10 का निकला तो छात्रा के परिवार वाले आनन फानन में शाम 8 बजे कलेक्टर के बंगले पर पहुंचे और कलेक्टर डॉ. मंजू शर्मा से छात्रा को परीक्षा दिलवाने की मांग की.
कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी आदित्य नारायण मिश्रा को छात्रा को परीक्षा में बैठाने के निर्देश दिए, जिला शिक्षा अधिकारी ने माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल में चर्चा कर रातो-रात पूरे दस्तावेज पेश कर दूसरा प्रवेश पत्र व्हाट्सएप के जरिए मंगवाया. जिसके बाद छात्रा परीक्षा में बैठ सकी.