अशोकनगर। मुंगावली के करीला धाम मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक है. यहां हर साल मां जानकी दरबार में लगने वाले मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. लोगों का मानना है कि यहां जो भी भक्त संतान की मनोकामना लेकर आता है, माता उसकी इच्छा जरूर पूरी करती हैं.
मां जानकी के दर्शन करने के लिए देश भर से लोग यहां पहुंचते हैं. मंदिर की मान्यता के अनुसार मन्नत पूरी होने के बाद आने वाले लोग नृत्यांगनाओं द्वारा मंदिर परिसर में राई नृत्य करवाते हैं. करीला का संबंध रामायण युग से जुड़ा है. लोककथाओं के अनुसार वाल्मीकि आश्रम को ही आज करीला के नाम से जाना जाता है. कई शास्त्रों में लिखा भी गया है कि महर्षि वाल्मीकि के इसी आश्रम में माता सीता ने अपना वनवास काटा था और लव-कुश को जन्म दिया था.
बताया जाता है कि लव-कुश के जन्मोत्सव की बधाई देने लिए अप्सराएं नृत्य करने के लिए पृथ्वी लोक पर आई थीं. कहा जाता है कि माता सीता ने वरदान दिया था कि इस स्थान पर आकर जो भी संतान प्राप्ति के लिए सच्चे मन से मन्नत मांगेगा, उसकी इच्छा जरूर पूरी होगी.