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Ganesh Parv 2023 : अमरकंटक के जंगल में धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश, इनके दर्शन के बगैर मां नर्मदा की पूजा का फल नहीं

मां नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक के जंगल में स्थित धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश की महिमा निराली है. यहां जो भी आता है, खाली हाथ नहीं जाता. माना जाता है कि मां नर्मदा की पूजा का फल तभी मिलता है, जब भगवान गणेश के दर्शन किए जाएं. वैसे तो यहां सालभर भक्त आते हैं लेकिन गणेश पर्व में यहां भक्तों की तादाद बढ़ जाती है. यहां स्थित गणेशजी की प्रतिमा हर साल अपना आकार बदलती है.

Siddh Shri Ganesh of Dharharkala in forest of Amarkantak
अमरकंटक के जंगल में धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 21, 2023, 4:23 PM IST

अमरकंटक के जंगल में धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश

अनूपपुर। मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक की देशभर में ख्याति है. यहां भगवान शिव और उनके पुत्र गणेशजी ने भी इस देवभूमि को तीर्थ स्थल के रूप में पहचान दी. जिस तरह जालेश्वर में भगवान शिव जी की स्वयंभू प्रतिमा है, वैसे ही ग्राम धरहरकला से जुड़े जंगल में गौरी नंदन प्रथम पूज्य गजानंद की स्वयंभू अति प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. गणेश पूजा प्रारंभ होने के साथ ही अनूपपुर जिले के अमरकंटक से जुड़े मैकल पर्वत पर धरहर वाले सिद्ध गणेश आश्रम में शिवपुत्र भगवान गणेश की दक्षिण मुखी कल्चुरीकालीन प्रतिमा जंगल में विराजमान हैं.

हर साल बदलता प्रतिमा का आकार : यहां हजारों की संख्या में रोजाना दिनभर श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है. भक्त भगवान गणेश के दर्शन कर माथा टेककर मोदक का प्रसाद अर्पित करते हैं. यही प्रसाद भक्तों को भी वितरित किया जा रहा है. गणेश पर्व के दौरान यहां गणपति की आराधना का माहौल देखते ही बनता है. ऐसी मान्यता है कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा करने का फल भक्तों को तभी मिलता है, जब वे धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश आश्रम में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. ये प्रतिमा प्रतिवर्ष अपना आकार बदलती जा रही है.

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पहले पेड़ के नीचे विराजमान थे गणेश जी : गणेश जी की करीब 6 फीट लंबाई प्रतिमा है. बताया गया प्रतिमा के समक्ष यदि कोई भी खड़ा हो जाए लेकिन वह गणेश प्रतिमा से छोटा ही रहेगा. यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद लोगों की पूरी होती है. यह जिले का एक मात्र गणेश मंदिर है, यहां प्रतिमा पहले जंगल में एक पेड़ के पास थी. बाद में जब यहां लोग पहुंचना शुरू हुए तो मंदिर की स्थापना का काम शुरू किया गया. फक्कड़ बाबा यहां कई वर्षों तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते रहे. घने जंगल में जंगली जानवरों के मौजूदगी के बावजूद यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं.

अमरकंटक के जंगल में धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश

अनूपपुर। मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक की देशभर में ख्याति है. यहां भगवान शिव और उनके पुत्र गणेशजी ने भी इस देवभूमि को तीर्थ स्थल के रूप में पहचान दी. जिस तरह जालेश्वर में भगवान शिव जी की स्वयंभू प्रतिमा है, वैसे ही ग्राम धरहरकला से जुड़े जंगल में गौरी नंदन प्रथम पूज्य गजानंद की स्वयंभू अति प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. गणेश पूजा प्रारंभ होने के साथ ही अनूपपुर जिले के अमरकंटक से जुड़े मैकल पर्वत पर धरहर वाले सिद्ध गणेश आश्रम में शिवपुत्र भगवान गणेश की दक्षिण मुखी कल्चुरीकालीन प्रतिमा जंगल में विराजमान हैं.

हर साल बदलता प्रतिमा का आकार : यहां हजारों की संख्या में रोजाना दिनभर श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है. भक्त भगवान गणेश के दर्शन कर माथा टेककर मोदक का प्रसाद अर्पित करते हैं. यही प्रसाद भक्तों को भी वितरित किया जा रहा है. गणेश पर्व के दौरान यहां गणपति की आराधना का माहौल देखते ही बनता है. ऐसी मान्यता है कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा करने का फल भक्तों को तभी मिलता है, जब वे धरहरकला के सिद्ध श्री गणेश आश्रम में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. ये प्रतिमा प्रतिवर्ष अपना आकार बदलती जा रही है.

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