अनूपपुर। 'हर वक्त भय के साये में बच्चे, दहशत में तालीम लेने को मजबूर, हर वक्त जोखिम में रहती है जान, फिर भी अधिकारियों का नहीं है ध्यान'
ये तस्वीरें सिर्फ स्कूल की नहीं बल्कि जर्जर हो चुके हमारे सिस्टम की है. तस्वीरें शासन प्रशासन के दावों पर तमाचा है. दीवार से लेकर छत, दरवाजे से लेकर खिड़कियां सब जर्जर हैं. शासन-प्रशासन की आंख बंद हैं और बच्चे दहशत के साये में तालीम लेने को मजबूर. मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की तस्दीक कराती ये तस्वीरें कोतमा विकासखंड के लामाटोला के सरकारी स्कूल की हैं.स्कूल भवन का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जो सुरक्षित हो.ऐसे में परिजन बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं.
बारिश के वक्त स्कूल में पानी भर जाता है. स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल जिम्मेदारों को हालात से रुबरु करा चूके हैं. लेकिन अफसर तो अफसर हैं उनका ध्यान अभी भी इस ओर नहीं गया है. शायद उन्हें किसी अनहोनी का इंतजार है
बच्चे खौफ के साये में तालीम लेने को मजबूर हैं...और अफसर स्कूल की मरमम्त कराने के बाजय वादों का झुनझुना थमा रहे हैं...आप भी सुन लीजिए
जिस स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य देखने के मौके हों वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र रहती है. अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग कोई कदम उठाएगा या फिर यूं ही तमाशा देखता रहेगा.