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'मौत के साये' में शिक्षित हो रहा 'देश का भविष्य', कुम्भकर्णी नींद सो रहे जिम्मेदार - कोतमा विकासखंड

कोतमा विकासखंड के लामाटोला के सरकारी स्कूल की इमारत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है.

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Published : Jul 8, 2019, 12:24 AM IST

Updated : Jul 8, 2019, 12:56 PM IST

अनूपपुर। 'हर वक्त भय के साये में बच्चे, दहशत में तालीम लेने को मजबूर, हर वक्त जोखिम में रहती है जान, फिर भी अधिकारियों का नहीं है ध्यान'

मौत के साए में स्कूल का सफर

ये तस्वीरें सिर्फ स्कूल की नहीं बल्कि जर्जर हो चुके हमारे सिस्टम की है. तस्वीरें शासन प्रशासन के दावों पर तमाचा है. दीवार से लेकर छत, दरवाजे से लेकर खिड़कियां सब जर्जर हैं. शासन-प्रशासन की आंख बंद हैं और बच्चे दहशत के साये में तालीम लेने को मजबूर. मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की तस्दीक कराती ये तस्वीरें कोतमा विकासखंड के लामाटोला के सरकारी स्कूल की हैं.स्कूल भवन का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जो सुरक्षित हो.ऐसे में परिजन बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं.

बारिश के वक्त स्कूल में पानी भर जाता है. स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल जिम्मेदारों को हालात से रुबरु करा चूके हैं. लेकिन अफसर तो अफसर हैं उनका ध्यान अभी भी इस ओर नहीं गया है. शायद उन्हें किसी अनहोनी का इंतजार है

बच्चे खौफ के साये में तालीम लेने को मजबूर हैं...और अफसर स्कूल की मरमम्त कराने के बाजय वादों का झुनझुना थमा रहे हैं...आप भी सुन लीजिए

जिस स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य देखने के मौके हों वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र रहती है. अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग कोई कदम उठाएगा या फिर यूं ही तमाशा देखता रहेगा.

अनूपपुर। 'हर वक्त भय के साये में बच्चे, दहशत में तालीम लेने को मजबूर, हर वक्त जोखिम में रहती है जान, फिर भी अधिकारियों का नहीं है ध्यान'

मौत के साए में स्कूल का सफर

ये तस्वीरें सिर्फ स्कूल की नहीं बल्कि जर्जर हो चुके हमारे सिस्टम की है. तस्वीरें शासन प्रशासन के दावों पर तमाचा है. दीवार से लेकर छत, दरवाजे से लेकर खिड़कियां सब जर्जर हैं. शासन-प्रशासन की आंख बंद हैं और बच्चे दहशत के साये में तालीम लेने को मजबूर. मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की तस्दीक कराती ये तस्वीरें कोतमा विकासखंड के लामाटोला के सरकारी स्कूल की हैं.स्कूल भवन का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जो सुरक्षित हो.ऐसे में परिजन बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं.

बारिश के वक्त स्कूल में पानी भर जाता है. स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल जिम्मेदारों को हालात से रुबरु करा चूके हैं. लेकिन अफसर तो अफसर हैं उनका ध्यान अभी भी इस ओर नहीं गया है. शायद उन्हें किसी अनहोनी का इंतजार है

बच्चे खौफ के साये में तालीम लेने को मजबूर हैं...और अफसर स्कूल की मरमम्त कराने के बाजय वादों का झुनझुना थमा रहे हैं...आप भी सुन लीजिए

जिस स्कूल में बच्चों को बेहतर भविष्य देखने के मौके हों वहां उन्हें हर वक्त अपनी जान की फिक्र रहती है. अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग कोई कदम उठाएगा या फिर यूं ही तमाशा देखता रहेगा.

Intro: एक तरफ का शासन जहां बच्चों की शिक्षा के लिए और खासकर शासकीय विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों की कॉपी किताब, ड्रेस, साइकिल, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृति लगभग हर सुविधाएं देती है कि छात्र बच्चे पढ़ कर लिख कर देश का भविष्य बनेंगे लेकिन जब बुनियाद ही कमजोर होगी तो भविष्य कहां सुरक्षित होगा।
अनूपपुर जिले के कोतमा विकासखंड अंतर्गत लामाटोला के हाई स्कूल पूरी तरह जर्जर है रामा टोला हाई स्कूल जोकि कोतमा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर है बावजूद इसके स्कूल को प्राथमिक सुविधाओं से भी दूर रहना पड़ता है हाई स्कूल का भवन कभी भी भारी बारिश में ढह सकता है स्कूल में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चे भय में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं प्रशासन से कई बार हाई स्कूल के प्रभारी प्राचार्य ने विश्वविद्यालय के हालातों की जानकारी दी फिर भी अधिकारियों बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं

जुलाई माह से स्कूल संचालित हो गया अधिकारियों की हिला हवेली का दुष्परिणाम स्कूल के शिक्षकों के संग साथ साथ बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है बच्चों के साथ मास्टर साहब के सर के ऊपर लटक रही है जो कभी भी गिरकर जानमाल का नुकसान कर सकती हैं मास्टर साहब को ब्लैकबोर्ड में पढ़ाना उनकी मजबूरी है शिक्षा के मंदिर की टूटी हो ना ऐसा लग रहा है जैसे सरकारी योजनाओं के साथ अधिकारियों के दमखम को मुंह चिढ़ा रहा है
टूटी फूटी स्कूल को देख अभिभाव छात्रों को करें स्कूल जाने से मना
मौत के साए में शिक्षा ले रहे हैं बच्चों के माता पिता को हमेशा हादसे हो जाने का डर सताता रहता है जिस कारण से बच्चों के अभिभावकों के द्वारा बच्चों को स्कूल जाने से रोका जाता है पर शिक्षा के जुनून ने बच्चों के दिलो दिमाग से अप्रिय घटना के डर को दूर कर दिया बच्चे मजबूरी में मौत के साए में पढ़ने को मजबूर है लिहाजा प्रशासन की अनदेखी से कभी भी लामा टोला हाई स्कूल में अप्रिय घटना घट सकती हैं।



Body:2007 में हुआ था भवन का निर्माण
रामा टोला हाई स्कूल के भवन का निर्माण 2007 में हुआ था मैच 12 वर्षों में ही विद्यालय पूरी तरह जर्जर हो चुका है विद्यालय में 176 छात्र-छात्राएं शिक्षा अध्ययन करने के लालसा से विद्यालय आते हैं बरसात के मौसम में जब कक्षा बारिश का पानी क्लास रूम में घुसता है तो प्रभारी प्रचार और स्टाफ की सहमति से छात्रों को घर वापस भेज दिया जाता है विद्यालय का आलम यह है कि जब से विद्यालय का संचालन हुआ है विद्यालय में बिजली की कोई सुविधा नहीं है प्रभारी प्रचार कहते हैं कि विद्यालय भवन में एक कील लगाने की जगह नहीं है तो बिजली कहां से उपलब्ध कराएं


Conclusion:
Last Updated : Jul 8, 2019, 12:56 PM IST
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