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कोरोना संकट: दूरदराज के गांवों में रह रहे लोगों तक ये समाजसेवी संस्था पहुंचा रही राशन - LOCKDOWN

देशभर में लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री द्वारा समाजसेवियों से जन सहयोग की भावना जागृत कर गरीब मजदूरों की मदद करने का आग्रह किया गया था, जिसके बाद से संपूर्ण देश में गरीबों की मदद के लिए हजारों हाथ खड़े हो गए हैं.

In tribal villages, the NGO is bringing home ration.
जनजातीय गांवों में समाजसेवी संस्था घर तक पहुंचा रही राशन
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Published : Apr 3, 2020, 5:30 PM IST

अनूपपुर- देशभर में लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री द्वारा समाजसेवियों से जन सहयोग की भावना जागृत कर गरीब, मजदूरों की मदद करने का आग्रह किया था. जिसके बाद से संपूर्ण देश में गरीबों की मदद के लिए हजारों हाथ खड़े हो गए. वहीं अनूपपुर जिले के समाजसेवी क्षेत्र के सुदूर इलाकों में बैगा जनजातियों तक पहुंचकर राशन ,सब्जी, फल और जरूरत की वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं. पोडकी में स्थित एक समाजसेवी संस्था सुदूर इलाकों के हर घर तक राशन एवं जरूरत के सामान पहुंचाने का प्रयास कर रही है. इस संस्था का नाम रामकृष्ण विवेकानंद सेवाश्रम है ये संस्था डॉ प्रवीण सरकार बाबूजी और विकास चंदेल मिलकर चला रहे हैं.

जहां एक ओर कोरोना से लड़ने के लिए पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है, वहीं कोरोना से निपटने के लिये देशवासियों का यह अटूट संकल्प सराहनीय है जिले के पुष्पराजगढ़ विकसखंड के लगभग 65 बैगा गांवों के निवासी लकड़ी बेचकर, दैनिक मजदूरी कर अपना जीवनयापन करते हैं, लेकिन सभी प्रकार के काम बंद हो जाने से उनके सामने जीवन पालने का संकट आ खड़ा हुआ है.

अनूपपुर- देशभर में लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री द्वारा समाजसेवियों से जन सहयोग की भावना जागृत कर गरीब, मजदूरों की मदद करने का आग्रह किया था. जिसके बाद से संपूर्ण देश में गरीबों की मदद के लिए हजारों हाथ खड़े हो गए. वहीं अनूपपुर जिले के समाजसेवी क्षेत्र के सुदूर इलाकों में बैगा जनजातियों तक पहुंचकर राशन ,सब्जी, फल और जरूरत की वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं. पोडकी में स्थित एक समाजसेवी संस्था सुदूर इलाकों के हर घर तक राशन एवं जरूरत के सामान पहुंचाने का प्रयास कर रही है. इस संस्था का नाम रामकृष्ण विवेकानंद सेवाश्रम है ये संस्था डॉ प्रवीण सरकार बाबूजी और विकास चंदेल मिलकर चला रहे हैं.

जहां एक ओर कोरोना से लड़ने के लिए पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है, वहीं कोरोना से निपटने के लिये देशवासियों का यह अटूट संकल्प सराहनीय है जिले के पुष्पराजगढ़ विकसखंड के लगभग 65 बैगा गांवों के निवासी लकड़ी बेचकर, दैनिक मजदूरी कर अपना जीवनयापन करते हैं, लेकिन सभी प्रकार के काम बंद हो जाने से उनके सामने जीवन पालने का संकट आ खड़ा हुआ है.

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