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जैविक खेती कर महिलाओं ने पेश की मिसाल

सब्जी उत्पादक समूह से जुड़कर अनूपपुर की महिलाओं ने जैविक खेती को अपना लिया है और अब ये रासायनिक खेती से होने वाले दुष्प्रभाव से बच रही हैं. इनसे प्रेरित होकर गांव के अन्य परिवारों का भी जैविक खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है.

Green vegetables became the support of women's livelihood
हरी सब्जियां बनीं महिलाओं के जीविका का सहारा
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Published : Feb 16, 2021, 7:41 PM IST

अनूपपुर। कोरोना काल में लाॅकडाउन के कारण तमाम लोगों के सामने जीविका चलाने का संकट खड़ा हो गया था. इसी के तहत जिले के ग्राम धरहरकला के मजदूर वर्ग की कई महिलाओं ने अपनी सूझबूझ से सब्जियों की बिक्री से इस प्राकृतिक आपदा का डटकर मुकाबला किया और अपनी जीविका की गाड़ी को डगमगाने नहीं दिया.

मेहनत का दिखा रंग

प्राकृतिक आपदा के संकट के समय में इन महिलाओं ने अपनी बाड़ी में फूलगोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, भाटा, पालक, मेथी जैसी कई सब्जियों को उगाया. ये सब्जियों को ना सिर्फ घर में खाने के लिए उपयोग हुई, बल्कि इनकी बिक्री से हुई कमाई से घर का खर्च भी चलाया गया. संकट के समय इन्हें परिवार की आजीविका चलाने में कठिनाई नहीं हुई. खास बात यह है कि इन महिलाओं ने सब्जी उगाने में जैविक खाद का इस्तेमाल किया, जिससे गुणवत्ता के साथ-साथ फसल का उत्पादन कई गुना बढ़ गया.

सब्जी उत्पादक में महिलाएं कर रही जैविक खाद का उपयोग

बता दें कि महिलाएं तरह-तरह की हरी सब्जियां उगाकर फसल का भरपूर उत्पादन ले रही हैं. महिलाओं को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं शासन वित्त पोषित सृजन संस्था ने भी योगदान दिया है. ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्वसहायता समूहों में से सृजन संस्था ने चार महिला सब्जी उत्पादक समूहों का गठन किया गया.

संस्था ने इन समूहों में 60 महिलाओं को जोड़कर उन्हें जैविक खेती के लिए प्रेरित किया. महिलाओं को न केवल जैविक खेती का प्रशिक्षण दिलवाया गया, बल्कि भिन्न-भिन्न प्रकार की सब्जियों के नि:शुल्‍क बीज भी दिए गए. इस तरह बाड़ियों में सब्जी उगाने का सिलसिला शुरु हुआ. प्रशिक्षण पाकर ये महिलाएं अब घर पर ही कीटनाशक एवं जैविक खाद खुद ही तैयार कर लेती हैं. जैविक खेती में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरण भी सृजन ने महिला समूहों को उपलब्ध कराए हैं.

जैविक खेती से उत्साहित समूह से जुड़ी सावित्री कहती हैं कि जैविक खाद से उगाई गई सब्जियों की बदौलत उनके परिवार को खाने को पौष्टिक आहार मिल रहा है. साथ ही इनकी कमाई से घर का खर्च चलाने में मदद मिल रही है.

अनूपपुर। कोरोना काल में लाॅकडाउन के कारण तमाम लोगों के सामने जीविका चलाने का संकट खड़ा हो गया था. इसी के तहत जिले के ग्राम धरहरकला के मजदूर वर्ग की कई महिलाओं ने अपनी सूझबूझ से सब्जियों की बिक्री से इस प्राकृतिक आपदा का डटकर मुकाबला किया और अपनी जीविका की गाड़ी को डगमगाने नहीं दिया.

मेहनत का दिखा रंग

प्राकृतिक आपदा के संकट के समय में इन महिलाओं ने अपनी बाड़ी में फूलगोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, भाटा, पालक, मेथी जैसी कई सब्जियों को उगाया. ये सब्जियों को ना सिर्फ घर में खाने के लिए उपयोग हुई, बल्कि इनकी बिक्री से हुई कमाई से घर का खर्च भी चलाया गया. संकट के समय इन्हें परिवार की आजीविका चलाने में कठिनाई नहीं हुई. खास बात यह है कि इन महिलाओं ने सब्जी उगाने में जैविक खाद का इस्तेमाल किया, जिससे गुणवत्ता के साथ-साथ फसल का उत्पादन कई गुना बढ़ गया.

सब्जी उत्पादक में महिलाएं कर रही जैविक खाद का उपयोग

बता दें कि महिलाएं तरह-तरह की हरी सब्जियां उगाकर फसल का भरपूर उत्पादन ले रही हैं. महिलाओं को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं शासन वित्त पोषित सृजन संस्था ने भी योगदान दिया है. ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्वसहायता समूहों में से सृजन संस्था ने चार महिला सब्जी उत्पादक समूहों का गठन किया गया.

संस्था ने इन समूहों में 60 महिलाओं को जोड़कर उन्हें जैविक खेती के लिए प्रेरित किया. महिलाओं को न केवल जैविक खेती का प्रशिक्षण दिलवाया गया, बल्कि भिन्न-भिन्न प्रकार की सब्जियों के नि:शुल्‍क बीज भी दिए गए. इस तरह बाड़ियों में सब्जी उगाने का सिलसिला शुरु हुआ. प्रशिक्षण पाकर ये महिलाएं अब घर पर ही कीटनाशक एवं जैविक खाद खुद ही तैयार कर लेती हैं. जैविक खेती में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरण भी सृजन ने महिला समूहों को उपलब्ध कराए हैं.

जैविक खेती से उत्साहित समूह से जुड़ी सावित्री कहती हैं कि जैविक खाद से उगाई गई सब्जियों की बदौलत उनके परिवार को खाने को पौष्टिक आहार मिल रहा है. साथ ही इनकी कमाई से घर का खर्च चलाने में मदद मिल रही है.

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