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अनूपपुर का श्याम! जिसे गुरु ने दिखाई राह, तो गांव के इस लड़के ने बांसुरी वादन में बनाई खास पहचान

यूं ही नहीं कहते बलिहारी गुरु आपके. गुरु की दिखाई राह जीवन को बदल कर रख देती है. और ऐसा ही हुआ आदिवासी अंचल में बसे सुरेन्द्र श्याम के साथ. जिसकी छिपी प्रतिभा को संवारने में उसके गुरु का बड़ा हाथ रहा. गुरु कृपा से आज वो बांसुरी वादन और लोकसंगीत में अलग मुकाम हासिल कर चुका है.

Shyam ki bansi
श्याम की बंसी के गुरु भी हैं कायल
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Published : Jul 24, 2021, 1:08 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 11:04 PM IST

अनूपपुर। अनूपपुर जिला, आदिवासी अंचल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहीं एक छोटे से गांव में एक ऐसा कलाकार रहता है जिसके हुनर को पहचान उसके गुरु ने दिलाई. उसे परखा, समझा और आगे बढ़ाया तो बांसुरी वादन समेत लोक संगीत, हारमोनियम, ढोलक जैसे वाद्य यंत्रों पर उसने खुद को साबित किया. गांव दाल सागर निवासी सुरेंद्र श्याम अपने इस हुनर से पूरे जिले में एक अलग मुकाम बना चुके हैं.

श्याम की बंसी के गुरु भी हैं कायल


जिले का All-Rounder

जिले का संभाग के युवा उत्सव कार्यक्रम में सुरेंद्र श्याम को बांसुरी वादन में प्रथम स्थान मिला. श्याम के हरफनमौला व्यक्तित्व के सब कायल है. यही वजह है कि उन्हें ऑलराउंडर इन संगीत की उपाधि लोगों ने दे दी है.

विरासत में मिला हुनर, गुरु ने मांझा

सुरेंद्र सिंह श्याम ने बताया -12 वर्ष की उम्र में बचपन के समय दादा जी को बांसुरी बजाते देखते थे. तो हमें भी बजाने की इच्छा होती थी. हमारे गांव में गायक अनु मिश्रा भक्ति संगीत कार्यक्रमों में आते थे. उन्होंने एक दिन मुझे ऐसे ही बजाते देखा तो मेरे घर आकर मुझे प्रेरित किया. उन्होंने मुझे शिष्य के तौर पर स्वीकारा. यही वजह है कि जिले व संभाग में मैं बांसुरी वादक के नाम से जाना जाता हूं. मेरे गुरु का आशीर्वाद सदैव मेरे ऊपर बना रहता है. जहां भी कार्यक्रम होता है मुझे साथ लेकर जाते हैं.

मुझे गुरु मानता है, ये इसका बड़प्पन है

संगीतकार अनु महाराज भी श्याम की बंसी के कायल हैं. कहते हैं- बचपन में अपने दादाजी को देख बांसुरी बजाने की ललक इसमें दिखी. उनसे प्रेरित हुआ और मैंने इसी ललक को महसूस किया. यही वजह है कि थोड़े से प्रयास और अपनी लगन से ये बालक एक ऑलराउंडर कलाकार बन चुका है .अगर मुझे अपना गुरु मानता है तो या इसकी बड़प्पन है. मैं तो हमेशा चाहता हूं यह हमेशा आगे बढ़े और अपने जिले व प्रदेश का नाम रोशन करें.

अनूपपुर। अनूपपुर जिला, आदिवासी अंचल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहीं एक छोटे से गांव में एक ऐसा कलाकार रहता है जिसके हुनर को पहचान उसके गुरु ने दिलाई. उसे परखा, समझा और आगे बढ़ाया तो बांसुरी वादन समेत लोक संगीत, हारमोनियम, ढोलक जैसे वाद्य यंत्रों पर उसने खुद को साबित किया. गांव दाल सागर निवासी सुरेंद्र श्याम अपने इस हुनर से पूरे जिले में एक अलग मुकाम बना चुके हैं.

श्याम की बंसी के गुरु भी हैं कायल


जिले का All-Rounder

जिले का संभाग के युवा उत्सव कार्यक्रम में सुरेंद्र श्याम को बांसुरी वादन में प्रथम स्थान मिला. श्याम के हरफनमौला व्यक्तित्व के सब कायल है. यही वजह है कि उन्हें ऑलराउंडर इन संगीत की उपाधि लोगों ने दे दी है.

विरासत में मिला हुनर, गुरु ने मांझा

सुरेंद्र सिंह श्याम ने बताया -12 वर्ष की उम्र में बचपन के समय दादा जी को बांसुरी बजाते देखते थे. तो हमें भी बजाने की इच्छा होती थी. हमारे गांव में गायक अनु मिश्रा भक्ति संगीत कार्यक्रमों में आते थे. उन्होंने एक दिन मुझे ऐसे ही बजाते देखा तो मेरे घर आकर मुझे प्रेरित किया. उन्होंने मुझे शिष्य के तौर पर स्वीकारा. यही वजह है कि जिले व संभाग में मैं बांसुरी वादक के नाम से जाना जाता हूं. मेरे गुरु का आशीर्वाद सदैव मेरे ऊपर बना रहता है. जहां भी कार्यक्रम होता है मुझे साथ लेकर जाते हैं.

मुझे गुरु मानता है, ये इसका बड़प्पन है

संगीतकार अनु महाराज भी श्याम की बंसी के कायल हैं. कहते हैं- बचपन में अपने दादाजी को देख बांसुरी बजाने की ललक इसमें दिखी. उनसे प्रेरित हुआ और मैंने इसी ललक को महसूस किया. यही वजह है कि थोड़े से प्रयास और अपनी लगन से ये बालक एक ऑलराउंडर कलाकार बन चुका है .अगर मुझे अपना गुरु मानता है तो या इसकी बड़प्पन है. मैं तो हमेशा चाहता हूं यह हमेशा आगे बढ़े और अपने जिले व प्रदेश का नाम रोशन करें.

Last Updated : Jul 24, 2021, 11:04 PM IST
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