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डिजिटल बाबा कर रहे नर्मदा परिक्रमा, सोशल मीडिया से बता रहे युवाओं को महत्व

स्वामी राम शंकर ऐसे युवा संन्यासी हैं जो युवा वर्ग को आध्यात्म भारतीय संस्कृति के विषय मे लगतार सोशल मीडिया के जरिए जागरूक करते रहते हैं. युवा वर्ग को जीवन मे अध्यात्म के महत्व को समझाते रहते हैं.

Digital Baba Narmada Parikrama
डिजिटल बाबा नर्मदा परिक्रमा
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Published : Feb 3, 2023, 4:34 PM IST

अनूपपुर। युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय संन्यासी स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा मां नर्मदा की परिक्रमा करने के दौरान 89 वें दिवस मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक पहुंचे. कल्याण दास सेवा आश्रम में 2 दिन तक विश्राम किए. इस दौरान दूर दूर से डिजिटल बाबा से मिलने उनके फालोवर आश्रम पहुंच कर बाबा से सत्संग किए. 91 वें दिवस माई की बगिया होते हुए तट परिवर्तित कर दक्षिण तट से ओम्कारेश्वर की ओर प्रस्थान कर गए. डिजिटल बाबा पूरे परिक्रमा को फेसबुक लाइव कर आम जनमानस को डिजिटली परिक्रमा का दर्शन लाभ प्रदान करा रहे हैं.

नेताओं पर कटाक्ष: नर्मदा मैया के जल को स्वच्छ रखने के विषय मे डिजिटल बाबा ने कहा कि जब तक हम व्यक्तिगत ढंग से जागरूक नही होगे तब तक मां नर्मदा का जल प्रदूषित होता रहेगा. सरकार में बैठे नेता केवल वादा करते रहेंगे. धरातल पर उन वादों को उतारने में कोई भी सरकार तब तक सफल नही हो सकती. जब तक की नागरिक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह ठीक ढंग से नही करेंगे.

3600 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा: नर्मदा की परिक्रमा कर रहे डिजिटल बाबा ने बताया कि, अब तक की परिक्रमा बेहद सुखद रही इस परिक्रमा से हमें दैवीय कृपा तो मिलती ही है. साथ ही साथ भीतर की संकल्प शक्ति में दृढ़ता भी आती है. किताबों में दुनियां के बारे में बहुत कुछ पढ़ने को मिल जाता है. जो ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है वो अन्य साधन से कभी हासिल नही होता. परिक्रमा में सबसे एहम बात ये देखने को प्राप्त होता है कि, जातिगत ऊंच-नीच की सारी दीवाल गिर जाती है. सब समता से जीवन जीते हैं. सच मानिए यदि मानवता को जीवन्त मूर्त होते देखना है तो एक बार परिक्रमा में अवश्य शामिल होइए. इस 3600 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा में डिजिटल बाबा अकेले ही रहते हैं जहा रुकते है. उनके मध्य अपना अनुभव सुनाते हैं. आध्यात्म के विषयों से लोगो को परिचित कराते हैं.

लोगों की सेवा में समर्पित: डिजिटल बाबा प्रति दिन करीब 25 से 30 किलोमीटर पैदल परिक्रमा कर रहे बाबा ने बताया कि, हमने परिक्रमा को समय सीमा में नही बाधा है. मां नर्मदा के पावन सानिध्य में मन आनन्दित हैं. अधिकतर परिक्रमा मां नर्मदा मां के तट मार्ग से ही कर रहे है. परिक्रमा के दौरान मध्यप्रदेश के नागरिक जन बेहद प्रेम भाव से परिक्रमा कर रहे लोगों की सेवा में तन मन धन से समर्पित रहते हैं. यह परिक्रमा एक दिन दो दिन एक सप्ताह की नही बल्कि पूरे 4 से 5 महीने में पूरी होती है. परिक्रमा करने वाले लोगो के लिए भोजन चाय व ठहरने की व्यवस्था ग्रामीण जन आपस मे मिल कर करते है. कही-कही कोई अकेले भी करते है. कुछ स्थान पर आश्रम एवं मन्दिर के व्यवस्थापक जन कर रहे हैं. सोशल मीडिया के लोकप्रिय युवा संन्यासी डिजिटल बाबा ने 4 नवम्बर को देव उठनी एकादशी के दिन गोमुख घाट पर विधिवत पूजा पाठ कर कन्या भोज के उपरान्त ओमकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा आरम्भ किए थे.

नर्मदा परिक्रमा का अनुभव: डिजिटल बाबा ने बताया कि मां नर्मदा की परिक्रमा मेरे जीवन का नितांत निजी अनुभव का विषय है इसे सोशल मीडिया के जरिए लोगो के मध्य दिखाने का उद्देश्य परिक्रमा के महत्व को समाज के युवा पीढ़ी तक पहुंचना है. ताकि युवा प्रेरित होकर मां नर्मदा की परिक्रमा में शामिल हों. परिक्रमा के जरिए हमारे भीतर भक्ति ईश्वर कृपा की बढ़ोतरी होती है. साथ ही साथ समाज की वस्तु स्थिति संस्कृतिक स्थिति जीवन दर्शन का ज्ञान भी होता है. डिजिटल बाबा ने कहा कि, बहुत सारे लोग एवम संस्थागत ढंग से परिक्रमा वासी के सेवा में अलग- अलग स्थानों में निरंतर सहयोग पहुंचा रहे हैं. हमारी कोशिश हैं कि दुनियां के समक्ष उनके कार्यो को सोशल मीडिया के जरिये दिखाऊ. साथ ही साथ जो ज्ञानी ध्यानी सन्त जन मार्ग में मिलते हैं उनके जीवन दर्शन ज्ञान से युवा वर्ग को रूबरू कराऊं. पूरे परिक्रमा का लाइव प्रसारण समय समय पर करते रहते हैं, ताकि जो वृद्ध जन शक्ति सामर्थ्य के अभाव में परिक्रमा नही कर पा रहे उन्हें परिक्रमा का दर्शन लाभ प्राप्त हो सके.

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यूपी में पले बढ़े: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पले बड़े हैं. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी. काम. अन्तिम वर्ष की पढाई करने के दौरान स्वामी जी घर परिवार को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग की ओर उन्मुख हो गए. वर्ष 2008 में 11 नवंबर को अयोध्या के लोमश ऋषि आश्रम के महंत स्वामी शिवचरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी परम्परा के भक्ति मार्ग में अपना जीवन समर्पित कर साधना में संलग्न हो गए. स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के ग्राम खजुरी भट्ट में 1 नवम्बर 1987 को हुआ.

अनूपपुर। युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय संन्यासी स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा मां नर्मदा की परिक्रमा करने के दौरान 89 वें दिवस मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक पहुंचे. कल्याण दास सेवा आश्रम में 2 दिन तक विश्राम किए. इस दौरान दूर दूर से डिजिटल बाबा से मिलने उनके फालोवर आश्रम पहुंच कर बाबा से सत्संग किए. 91 वें दिवस माई की बगिया होते हुए तट परिवर्तित कर दक्षिण तट से ओम्कारेश्वर की ओर प्रस्थान कर गए. डिजिटल बाबा पूरे परिक्रमा को फेसबुक लाइव कर आम जनमानस को डिजिटली परिक्रमा का दर्शन लाभ प्रदान करा रहे हैं.

नेताओं पर कटाक्ष: नर्मदा मैया के जल को स्वच्छ रखने के विषय मे डिजिटल बाबा ने कहा कि जब तक हम व्यक्तिगत ढंग से जागरूक नही होगे तब तक मां नर्मदा का जल प्रदूषित होता रहेगा. सरकार में बैठे नेता केवल वादा करते रहेंगे. धरातल पर उन वादों को उतारने में कोई भी सरकार तब तक सफल नही हो सकती. जब तक की नागरिक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह ठीक ढंग से नही करेंगे.

3600 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा: नर्मदा की परिक्रमा कर रहे डिजिटल बाबा ने बताया कि, अब तक की परिक्रमा बेहद सुखद रही इस परिक्रमा से हमें दैवीय कृपा तो मिलती ही है. साथ ही साथ भीतर की संकल्प शक्ति में दृढ़ता भी आती है. किताबों में दुनियां के बारे में बहुत कुछ पढ़ने को मिल जाता है. जो ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है वो अन्य साधन से कभी हासिल नही होता. परिक्रमा में सबसे एहम बात ये देखने को प्राप्त होता है कि, जातिगत ऊंच-नीच की सारी दीवाल गिर जाती है. सब समता से जीवन जीते हैं. सच मानिए यदि मानवता को जीवन्त मूर्त होते देखना है तो एक बार परिक्रमा में अवश्य शामिल होइए. इस 3600 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा में डिजिटल बाबा अकेले ही रहते हैं जहा रुकते है. उनके मध्य अपना अनुभव सुनाते हैं. आध्यात्म के विषयों से लोगो को परिचित कराते हैं.

लोगों की सेवा में समर्पित: डिजिटल बाबा प्रति दिन करीब 25 से 30 किलोमीटर पैदल परिक्रमा कर रहे बाबा ने बताया कि, हमने परिक्रमा को समय सीमा में नही बाधा है. मां नर्मदा के पावन सानिध्य में मन आनन्दित हैं. अधिकतर परिक्रमा मां नर्मदा मां के तट मार्ग से ही कर रहे है. परिक्रमा के दौरान मध्यप्रदेश के नागरिक जन बेहद प्रेम भाव से परिक्रमा कर रहे लोगों की सेवा में तन मन धन से समर्पित रहते हैं. यह परिक्रमा एक दिन दो दिन एक सप्ताह की नही बल्कि पूरे 4 से 5 महीने में पूरी होती है. परिक्रमा करने वाले लोगो के लिए भोजन चाय व ठहरने की व्यवस्था ग्रामीण जन आपस मे मिल कर करते है. कही-कही कोई अकेले भी करते है. कुछ स्थान पर आश्रम एवं मन्दिर के व्यवस्थापक जन कर रहे हैं. सोशल मीडिया के लोकप्रिय युवा संन्यासी डिजिटल बाबा ने 4 नवम्बर को देव उठनी एकादशी के दिन गोमुख घाट पर विधिवत पूजा पाठ कर कन्या भोज के उपरान्त ओमकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा आरम्भ किए थे.

नर्मदा परिक्रमा का अनुभव: डिजिटल बाबा ने बताया कि मां नर्मदा की परिक्रमा मेरे जीवन का नितांत निजी अनुभव का विषय है इसे सोशल मीडिया के जरिए लोगो के मध्य दिखाने का उद्देश्य परिक्रमा के महत्व को समाज के युवा पीढ़ी तक पहुंचना है. ताकि युवा प्रेरित होकर मां नर्मदा की परिक्रमा में शामिल हों. परिक्रमा के जरिए हमारे भीतर भक्ति ईश्वर कृपा की बढ़ोतरी होती है. साथ ही साथ समाज की वस्तु स्थिति संस्कृतिक स्थिति जीवन दर्शन का ज्ञान भी होता है. डिजिटल बाबा ने कहा कि, बहुत सारे लोग एवम संस्थागत ढंग से परिक्रमा वासी के सेवा में अलग- अलग स्थानों में निरंतर सहयोग पहुंचा रहे हैं. हमारी कोशिश हैं कि दुनियां के समक्ष उनके कार्यो को सोशल मीडिया के जरिये दिखाऊ. साथ ही साथ जो ज्ञानी ध्यानी सन्त जन मार्ग में मिलते हैं उनके जीवन दर्शन ज्ञान से युवा वर्ग को रूबरू कराऊं. पूरे परिक्रमा का लाइव प्रसारण समय समय पर करते रहते हैं, ताकि जो वृद्ध जन शक्ति सामर्थ्य के अभाव में परिक्रमा नही कर पा रहे उन्हें परिक्रमा का दर्शन लाभ प्राप्त हो सके.

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