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मीना राठौर बनी 'आत्मनिर्भर', महिलाओं के लिए पेश की मिसाल

जिले के ग्राम सिवनी की रहने वाली मीना राठौर ने महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है. महिला ने डेयरी उद्योग और वायर फेंसिंग कारोबार से अपनी पहचान बनाकर आज अपने परिवार का पालन कर रही है.

meena rathore become role model
आत्मनिर्भर मीना राठौर
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Published : Mar 22, 2021, 4:16 PM IST

अनूपपुर। जिले के ग्राम सिवनी की रहने वाली मीना राठौर ने महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है. मामूली खेती किसानी के कार्य से किसी तरह परिवार की आजीविका चलाने वाली मीना राठौर आज डेयरी उद्योग और वायर फेंसिंग कारोबार से अपनी पहचान बनाकर महिला उद्यमी बन गई हैं. महिला का कहना यह सब उन्होंने महिला स्वसहायता समूह से जुड़कर ही किया है.

स्व सहायता समूह से जुड़कर कर रही कमाई

जिले के ग्राम सिवनी की रहने वाली मीना राठौर एक गृहणी हैं. शादी के पहले वह दसवीं तक ही पढ़ाई कर पाई थीं. शादी के बाद जब वह ससुराल आई तो परिवार के हालात ठीक नहीं थे. परिवार आजीविका चलाने के लिए थोड़ी बहुत खेती किसानी पर निर्भर था. जिससे घर का खर्च चलाना मुश्किल था. मीना से यह सब देखा नहीं गया और उन्होंने घर के हालात ठीक करने की ठानी. इसलिए वह पहले स्वसहायता समूह से जुड़ीं और इसके बाद ग्राम संगठन से जुड़ गईं. शुरू में उन्होंने समूह से 40 हजार रुपए कर्ज लेकर खेती किसानी के साथ सब्जी उत्पादन का कार्य शुरू किया. इसकी आमदनी ने उनका उत्साह बढ़ाया और उन्होंने ग्राम संगठन से 60 हजार रुपए उधार लेकर सिलाई और जनरल स्टोर का कार्य भी शुरू कर दिया. जिससे उनका व्यवसाय भी चल पड़ा.

लोन लेकर शुरू किया व्यवसाय

लोन लेकर डेयरी उद्योग का व्यापार किया शुरू किया. ग्राम संगठन और सीसीएल से कर्ज लेकर डेयरी उद्योग का काम शुरू कर दिया. उन्होंने एक लाख रुपये की राशि की और व्यवस्था कर वायर फेंसिंग का कारोबार शुरू कर दिया. समय न दे पाने की वजह से उन्हें जनरल स्टोर बंद करना पड़ा. मगर उनके दूसरे व्यवसाय तेजी से चल पड़े. जिससे रोजाना उनकी आमदनी बढ़ती चली गई. आज वह अपने सभी व्यवसायों से हर महीना पच्चीस हजार रुपए कमा रही हैं. मीना ने बीच में छूटी पढ़ाई भी शुरू कर दी. आज वह बीए द्वितीय वर्ष का अध्ययन कर रही है.

गांव में मिल रहा मान सम्मान

मीना को गांव में भरपूर मान सम्मान मिलने के साथ-साथ महिला उद्यमी के रूप में भी पहचान मिली है. आज घर का कच्चा मकान पक्के में परिवर्तित हो चुका है. अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर खुशी जताते हुए मीना कहती हैं कि समूह से जुड़ने पर उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई. गांव में मान सम्मान बढ़ा है. ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला परियोजना समन्वयक शशांक प्रताप सिंह ने बताया कि आज महिला स्वसहायता समूह महिला आत्मनिर्भरता का पर्याय बने हुए हैं. इनके जरिए गांव की महिलाएं लगातार स्वावलम्बी बन रही हैं.

अनूपपुर। जिले के ग्राम सिवनी की रहने वाली मीना राठौर ने महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है. मामूली खेती किसानी के कार्य से किसी तरह परिवार की आजीविका चलाने वाली मीना राठौर आज डेयरी उद्योग और वायर फेंसिंग कारोबार से अपनी पहचान बनाकर महिला उद्यमी बन गई हैं. महिला का कहना यह सब उन्होंने महिला स्वसहायता समूह से जुड़कर ही किया है.

स्व सहायता समूह से जुड़कर कर रही कमाई

जिले के ग्राम सिवनी की रहने वाली मीना राठौर एक गृहणी हैं. शादी के पहले वह दसवीं तक ही पढ़ाई कर पाई थीं. शादी के बाद जब वह ससुराल आई तो परिवार के हालात ठीक नहीं थे. परिवार आजीविका चलाने के लिए थोड़ी बहुत खेती किसानी पर निर्भर था. जिससे घर का खर्च चलाना मुश्किल था. मीना से यह सब देखा नहीं गया और उन्होंने घर के हालात ठीक करने की ठानी. इसलिए वह पहले स्वसहायता समूह से जुड़ीं और इसके बाद ग्राम संगठन से जुड़ गईं. शुरू में उन्होंने समूह से 40 हजार रुपए कर्ज लेकर खेती किसानी के साथ सब्जी उत्पादन का कार्य शुरू किया. इसकी आमदनी ने उनका उत्साह बढ़ाया और उन्होंने ग्राम संगठन से 60 हजार रुपए उधार लेकर सिलाई और जनरल स्टोर का कार्य भी शुरू कर दिया. जिससे उनका व्यवसाय भी चल पड़ा.

लोन लेकर शुरू किया व्यवसाय

लोन लेकर डेयरी उद्योग का व्यापार किया शुरू किया. ग्राम संगठन और सीसीएल से कर्ज लेकर डेयरी उद्योग का काम शुरू कर दिया. उन्होंने एक लाख रुपये की राशि की और व्यवस्था कर वायर फेंसिंग का कारोबार शुरू कर दिया. समय न दे पाने की वजह से उन्हें जनरल स्टोर बंद करना पड़ा. मगर उनके दूसरे व्यवसाय तेजी से चल पड़े. जिससे रोजाना उनकी आमदनी बढ़ती चली गई. आज वह अपने सभी व्यवसायों से हर महीना पच्चीस हजार रुपए कमा रही हैं. मीना ने बीच में छूटी पढ़ाई भी शुरू कर दी. आज वह बीए द्वितीय वर्ष का अध्ययन कर रही है.

गांव में मिल रहा मान सम्मान

मीना को गांव में भरपूर मान सम्मान मिलने के साथ-साथ महिला उद्यमी के रूप में भी पहचान मिली है. आज घर का कच्चा मकान पक्के में परिवर्तित हो चुका है. अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होने पर खुशी जताते हुए मीना कहती हैं कि समूह से जुड़ने पर उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई. गांव में मान सम्मान बढ़ा है. ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला परियोजना समन्वयक शशांक प्रताप सिंह ने बताया कि आज महिला स्वसहायता समूह महिला आत्मनिर्भरता का पर्याय बने हुए हैं. इनके जरिए गांव की महिलाएं लगातार स्वावलम्बी बन रही हैं.

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