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अलीराजपुर: क्रिसमस के लिए सजे बाजार, चर्च और घरों में की जा रही सजावट - Christmas celebration

अलीराजपुर में क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर है, जिले के कई शहरों में दुकानें सजकर तैयार हो गई हैं, वहीं चर्च में भी उत्सव की जोरों से तैयारियां की जा रही हैं. दुकानदारों ने आकाशदीप, सजावटी सामान, सेंटा क्लॉज की ड्रेस का भरपूर स्टाॅक रखा है.

Alirajpur
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Published : Dec 21, 2020, 1:34 PM IST

अलीराजपुर। जिले में जोबट में क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर हैं. जोबट,आमखुट, पुनियावट, मेढ़ा, बड़ी सर्दी सहित जिला मुख्यालय पर चर्च की सजावट को अंतिम रूप दिया जा रहा है. समाज के लोग अपने घरों की सफाई, रंगरोगन कराने में जुटे हुए हैं. क्रिसमस को लेकर बाजार में उत्साह है. दुकानदारों ने आकाशदीप, सजावटी सामान, सेंटा क्लॉज की ड्रेस आदि का भरपूर स्टाॅक रखा है.

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चर्च की सजावट

दुकानदार संजय जैन ने बताया कि क्रिसमस पर्व को लेकर दुकान में भरपूर स्टाॅक रखा गया है. यहां 70 रुपए से लेकर 250 रुपए तक के आकाशदीप हैं. वहीं 80 रुपए से लेकर 800 रुपए तक के सजावटी सामान हैं. इसके अलावा बच्चों के प्रिय सेंटा क्लाॅज की वेशभूषा धारण करने के लिए ड्रेस हैं, बाजार में इन सामानों की अधिक मांग रहती है. क्रिसमस पर स्कूलों में विभिन्न स्पर्धाएं होती हैं. फैंसी ड्रेस स्पर्धा में बच्चे सेंटा क्लाॅज बनना बेहद पसंद करते हैं. क्रिसमस ट्री और घरों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है, जिसके लिए सजावटी सामानों की बिक्री अधिक रहती है. नववर्ष के लिए स्वागत के लिए मसीही जनों के अलावा अन्य लोग भी घर और मोहल्ले की सज्जा के लिए सजावटी सामान खरीदते हैं. व्यपारी मुस्तन मर्चेंट ने बताया कि क्रिसमस का बाजार 20 दिसंबर के बाद जोर पकड़ता है, तो 31 दिसंबर तक सामानों की मांग बनी रहती है.

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क्रिसमस पर्व के लिए जोबट में दुकानें सजकर तैयार
  • 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस

क्रिसमस का आरंभ करीब चौथी सदी में हुआ था. इससे पहले प्रभु यीशु के अनुयायी उनके जन्म दिवस को त्योहार के रूप में नहीं मनाते थे, लेकिन चौथी शताब्दी के आते-आते उनके जन्मदिन को एक त्योहार के रूप में 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा.

  • गमले में बिक रहा क्रिसमस ट्री

फूल पौधे बेचने वाले अब अन्य पौधों की अपेक्षा क्रिसमस ट्री का गमला अधिक रखे हुए हैं, लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री खरीदकर ले जा रहे हैं, यहां इसकी सज्जा की जा रही है.

  • बनने लगे पकवान

क्रिसमस की खुशी पकवानों के बिना अधूरी रहती है. पर्व के लिए घरों में पकवान बनने शुरू हो गए हैं, केक, गुजिये, मीठा, नमकीन के साथ ही तरह तरह के पकवान रोजाना रसोई घर में बनाए जा रहे हैं, ताकि त्योहार के मौके पर घर आने वाले मेहमानों की बेहतर खातिरदारी हो सके.

  • दुकानदारों को केक बनाने के लिए मिल रहे ऑर्डर

क्रिसमस पर्व और नए साल पर बड़ी मात्रा में केक बिकता है, लोग 25 दिसंबर क्रिसमस की रात और 31 दिसंबर की मध्य रात केक काटकर जश्न मनाते हैं. यही नहीं जमकर आतिशबाजी भी होती है. केक व्यापारी श्याम शाह ने बताया की लोगों की डिमांड के अनुसार केक बनाना शुरू कर दिया है.

अलीराजपुर। जिले में जोबट में क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर हैं. जोबट,आमखुट, पुनियावट, मेढ़ा, बड़ी सर्दी सहित जिला मुख्यालय पर चर्च की सजावट को अंतिम रूप दिया जा रहा है. समाज के लोग अपने घरों की सफाई, रंगरोगन कराने में जुटे हुए हैं. क्रिसमस को लेकर बाजार में उत्साह है. दुकानदारों ने आकाशदीप, सजावटी सामान, सेंटा क्लॉज की ड्रेस आदि का भरपूर स्टाॅक रखा है.

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चर्च की सजावट

दुकानदार संजय जैन ने बताया कि क्रिसमस पर्व को लेकर दुकान में भरपूर स्टाॅक रखा गया है. यहां 70 रुपए से लेकर 250 रुपए तक के आकाशदीप हैं. वहीं 80 रुपए से लेकर 800 रुपए तक के सजावटी सामान हैं. इसके अलावा बच्चों के प्रिय सेंटा क्लाॅज की वेशभूषा धारण करने के लिए ड्रेस हैं, बाजार में इन सामानों की अधिक मांग रहती है. क्रिसमस पर स्कूलों में विभिन्न स्पर्धाएं होती हैं. फैंसी ड्रेस स्पर्धा में बच्चे सेंटा क्लाॅज बनना बेहद पसंद करते हैं. क्रिसमस ट्री और घरों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है, जिसके लिए सजावटी सामानों की बिक्री अधिक रहती है. नववर्ष के लिए स्वागत के लिए मसीही जनों के अलावा अन्य लोग भी घर और मोहल्ले की सज्जा के लिए सजावटी सामान खरीदते हैं. व्यपारी मुस्तन मर्चेंट ने बताया कि क्रिसमस का बाजार 20 दिसंबर के बाद जोर पकड़ता है, तो 31 दिसंबर तक सामानों की मांग बनी रहती है.

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क्रिसमस पर्व के लिए जोबट में दुकानें सजकर तैयार
  • 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस

क्रिसमस का आरंभ करीब चौथी सदी में हुआ था. इससे पहले प्रभु यीशु के अनुयायी उनके जन्म दिवस को त्योहार के रूप में नहीं मनाते थे, लेकिन चौथी शताब्दी के आते-आते उनके जन्मदिन को एक त्योहार के रूप में 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा.

  • गमले में बिक रहा क्रिसमस ट्री

फूल पौधे बेचने वाले अब अन्य पौधों की अपेक्षा क्रिसमस ट्री का गमला अधिक रखे हुए हैं, लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री खरीदकर ले जा रहे हैं, यहां इसकी सज्जा की जा रही है.

  • बनने लगे पकवान

क्रिसमस की खुशी पकवानों के बिना अधूरी रहती है. पर्व के लिए घरों में पकवान बनने शुरू हो गए हैं, केक, गुजिये, मीठा, नमकीन के साथ ही तरह तरह के पकवान रोजाना रसोई घर में बनाए जा रहे हैं, ताकि त्योहार के मौके पर घर आने वाले मेहमानों की बेहतर खातिरदारी हो सके.

  • दुकानदारों को केक बनाने के लिए मिल रहे ऑर्डर

क्रिसमस पर्व और नए साल पर बड़ी मात्रा में केक बिकता है, लोग 25 दिसंबर क्रिसमस की रात और 31 दिसंबर की मध्य रात केक काटकर जश्न मनाते हैं. यही नहीं जमकर आतिशबाजी भी होती है. केक व्यापारी श्याम शाह ने बताया की लोगों की डिमांड के अनुसार केक बनाना शुरू कर दिया है.

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