अलीराजपुर। मन में कुछ नया करने का जुनून ही आपको औरों से अलग बनाता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आदिवासी बाहुल्य जिले अलीराजपुर की एक महिला ने. कभी मजदूरी करने वाली बदली बाई आज दूसरी महिलाओं को लिए एक मिसाल से कम नहीं हैं.
सेजवाड़ा गांव की बदली बाई ने कड़ी मेहनत से अपने परिवार की जिंदगी बदल डाली. एक समूह से जुड़कर बदली बाई ने जैविक खेती के न सिर्फ गुर सीखे बल्कि उन्हें धरातल पर साबित भी कर दिखाया. लिहाजा आज उन्हें जैविक खेती से खासा मुनाफा हो रहा है.
ट्रेनिंग लेने के बाद धरातल पर किया साबित
बदली बाई ने खेती से ही कमा कर अपने 6 बेटों को पढ़ाया ओर नोकरी पर लगाया. एक लड़का दिल्ली में पढ़ाई कर रहा है और उसने नीट की परीक्षा भी पास कर ली है. वहीं 4 बेटे पुणे में नोकरी कर रहे हैं. अलीराजपुर में जैविक खेती की ट्रेनिग के बाद बदली बाई ने अपने खेत में जैविक खेती करना शुरू किया और फसल पर छिड़काव की दवा भी खुद तैयार की. बदली बाई के पती की मानें तो उनके परिवार की सूरत जैविक खेती की बदौलत ही बदली है.
देसी पत्तों से बना रही ओषधि
मध्यप्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के आदिवासी बहुल इलाके अलीराजपुर की बदली बाई ने अपने परिवार के साथ गांव की महिलाओं को ट्रेनिंग दी और उन्हें भी जेविक खेती की करने के लिए प्रेरित किया. बदली बाई अब पत्तों से ओषधि बनाने रही हैं, जो फसलों और सब्जियों के लिए जरूरी है. देसी तरीके से खेती करने का असर मुनाफे के रूप में दिख रहा है. यही वजह है कि गांव के दूसरे किसान भी जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं.
दूसरों को भी किया प्रेरित
बदली बाई ने खुद की तो तकदीर संवारी साथ ही गांव की भी तस्वीर बदलना शुरू किया. इतना ही नहीं गांव के बेरोजगार युवाओं को समझाकर नौकरी करने के लिए प्रेरित किया, जिसका असर ये हुआ कि गांव के16 से ज्यादा युवा आज पुणे में नौकरी कर रहें और परिवार को जैविक खेते के लिए आर्थिक मदद देने लगे हैं. बदली बाई के इसी अंदाज ने उन्हें आज आम से खास बना दिया है.