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रंगपंचमी पर ऐतिहासिक मूर्ख सम्मेलन का आयोजन, जनप्रतिनिधियों को दी गई मूर्खों की उपाधि

आगर-मालवा के सुसनेर में रंग पंचमी पर 53 सालों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखने के लिए मूर्ख सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान लोगों ने हास्य-व्यंग्य कर श्रोताओं को खूब हंसाया.

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मूर्ख सम्मेलन का आयोजन
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Published : Mar 14, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Mar 14, 2020, 6:10 PM IST

आगर-मालवा। सुसनेर में रंग पंचमी के पर्व पर 53 सालों से मूर्ख सम्मेलन आयोजन करने की परंपरा है. जिसका निर्वहन इस साल भी किया गया. 53वें मूर्ख सम्मेलन में एक ओर जहां क्षेत्र के तमाम छोटे-बडे़ जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को चुटकुलों और कविताओं के माध्यम से मूर्खों की उपाधि दी गई तो वहीं दूसरी ओर कोरोना वायरस से बचने की सलाह भी दी गई.

मूर्ख सम्मेलन का आयोजन

भाईचारें के रंगों संग लगाते हैं ठहाके

हर साल की तरह इस साल भी सुसनेर के शुक्रवारिया बाजार स्थित हनुमान छत्रि चौक पर मूर्ख सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में हिंदू-मुस्लिम सभी समाज के लोग शामिल हुए. इस दौरान आयोजनकर्ता दिलीप जैन, सांरग्या खेड़ी, घनश्याम गोयल, लक्ष्मणसिंह कांवल, विष्णु भावसार सहित कई लोगों ने हास्य-व्यंग्य कर श्रोताओं को खूब हंसाया.

सालों पुरानी हैं परंपरा

होली के त्योहार पर जहां मीठे बताशों की माला पहनकर होली उत्सव की शुरूआत की जाती है. उसी तरह रगंपचमी पर मूर्ख सम्मेलन की परंपरा सालों से चली आ रही हैं, जिसे नगर के कुछ सामाजिक लोग आज भी जीवित रखे हुए हैं.

दी गई मूर्खों की उपाधि

मूर्ख सम्मेलन के दौरान राजनेताओं, जनप्रतिनिधियों, प्रतिष्ठित व्यापारियों और गणमान्य नागरिकों को मूर्खों की उपाधि दी गई.

आगर-मालवा। सुसनेर में रंग पंचमी के पर्व पर 53 सालों से मूर्ख सम्मेलन आयोजन करने की परंपरा है. जिसका निर्वहन इस साल भी किया गया. 53वें मूर्ख सम्मेलन में एक ओर जहां क्षेत्र के तमाम छोटे-बडे़ जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को चुटकुलों और कविताओं के माध्यम से मूर्खों की उपाधि दी गई तो वहीं दूसरी ओर कोरोना वायरस से बचने की सलाह भी दी गई.

मूर्ख सम्मेलन का आयोजन

भाईचारें के रंगों संग लगाते हैं ठहाके

हर साल की तरह इस साल भी सुसनेर के शुक्रवारिया बाजार स्थित हनुमान छत्रि चौक पर मूर्ख सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में हिंदू-मुस्लिम सभी समाज के लोग शामिल हुए. इस दौरान आयोजनकर्ता दिलीप जैन, सांरग्या खेड़ी, घनश्याम गोयल, लक्ष्मणसिंह कांवल, विष्णु भावसार सहित कई लोगों ने हास्य-व्यंग्य कर श्रोताओं को खूब हंसाया.

सालों पुरानी हैं परंपरा

होली के त्योहार पर जहां मीठे बताशों की माला पहनकर होली उत्सव की शुरूआत की जाती है. उसी तरह रगंपचमी पर मूर्ख सम्मेलन की परंपरा सालों से चली आ रही हैं, जिसे नगर के कुछ सामाजिक लोग आज भी जीवित रखे हुए हैं.

दी गई मूर्खों की उपाधि

मूर्ख सम्मेलन के दौरान राजनेताओं, जनप्रतिनिधियों, प्रतिष्ठित व्यापारियों और गणमान्य नागरिकों को मूर्खों की उपाधि दी गई.

Last Updated : Mar 14, 2020, 6:10 PM IST
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