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जर्जर स्कूल में कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य, डर के साये में पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी - प्राचार्य जी पी कारपेंटर

आगर मालवा के सुसनेर एक्सीलेंस स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हालत में है. जिससे कभी भी हादसा होने की संभावना बनी रहती है. स्कूल में शिक्षकों और बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं.

एक्सीलेंस स्कूल सुसनेर
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Published : Aug 21, 2019, 5:50 AM IST

आगर। एक तरफ सरकार शिक्षा के विकास के दावे करती है. वहीं जिले के सुसनेर में हायर सेकंडरी स्कूल की खस्ता हालत सरकार के तमाम दावों को कमजोर कर देती है. शिक्षा विभाग ने 2005 में हायर सेकंडरी स्कूल सुसनेर को उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा दिया था. लेकिन स्कूल को भले ही उत्कृष्ट दर्जा मिला हो पर सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, जिसके चलते बड़ा हादसा होने का डर हमेशा बना रहता है.

जर्जर स्कूल में कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य, डर के साये में पढ़ रहे छात्र

स्कूल की खस्ता हालत का आलम ये है कि छात्रों को बैठने क्लास रूम तक नहीं है. छात्रों की कक्षाएं बाहर बरामदे में लगती हैं. स्कूल में पर्याप्त टीचर स्टाफ नहीं है, जिससे छात्रों का सिलेबस समय पर पूरा नहीं हो पाता है.
हैरानी की बात है कि इस स्कूल की स्थापना 1966 में की गई थी. फिर भी स्कूल में न पढ़ने के लिए क्लासरुम हैं न पढ़ाने के लिए टीचर. स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.

स्कूल प्राचार्य जीपी कारपेंटर का कहना है कि स्कूल बिल्डिंग पुरानी है. जैसे-तैसे काम चला रहे हैं. स्कूल का नया भवन डग रोड पर निर्माणाधीन है, जैसे ही नई बिल्डिंग हमें मिलेगी स्कूल वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा.

आगर। एक तरफ सरकार शिक्षा के विकास के दावे करती है. वहीं जिले के सुसनेर में हायर सेकंडरी स्कूल की खस्ता हालत सरकार के तमाम दावों को कमजोर कर देती है. शिक्षा विभाग ने 2005 में हायर सेकंडरी स्कूल सुसनेर को उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा दिया था. लेकिन स्कूल को भले ही उत्कृष्ट दर्जा मिला हो पर सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, जिसके चलते बड़ा हादसा होने का डर हमेशा बना रहता है.

जर्जर स्कूल में कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य, डर के साये में पढ़ रहे छात्र

स्कूल की खस्ता हालत का आलम ये है कि छात्रों को बैठने क्लास रूम तक नहीं है. छात्रों की कक्षाएं बाहर बरामदे में लगती हैं. स्कूल में पर्याप्त टीचर स्टाफ नहीं है, जिससे छात्रों का सिलेबस समय पर पूरा नहीं हो पाता है.
हैरानी की बात है कि इस स्कूल की स्थापना 1966 में की गई थी. फिर भी स्कूल में न पढ़ने के लिए क्लासरुम हैं न पढ़ाने के लिए टीचर. स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.

स्कूल प्राचार्य जीपी कारपेंटर का कहना है कि स्कूल बिल्डिंग पुरानी है. जैसे-तैसे काम चला रहे हैं. स्कूल का नया भवन डग रोड पर निर्माणाधीन है, जैसे ही नई बिल्डिंग हमें मिलेगी स्कूल वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा.

Intro:आगर। शासन ने आगर जिलें के सुसनेर में हायर सेकण्डरी स्कूल को उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा तो दिया, किन्तु सुविधाएं नही दी। यह उत्कृष्ट विद्यालय आज भी 100 साल पुराने भवन में संचालित होता रहा है। बारिश के मौसम में 15 अगस्त के दिन इस स्कूल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर गिर गया है। स्कूल का पूरा भवन ही क्षतिग्रस्त अवस्था में है। जिस वजह से कभी भी बच्चों के साथ हादसा हो सकता है। यह विद्यालय इन दिनों कई समस्याओं से जुझ रहा है, बच्चों की क्लास बरामदें में लगाई जा रही है तो वही शिक्षकों के बैठने के िलए स्टाफ रूम नहीं है। स्कूल में जगह की कमी के चलते बच्चों को वितरित की जाने वाले कीताबे भी छात्रों की कक्षाओं में ही पडी हुई है।Body:नाम तो उत्कृष्ट है पर सुविधाएं कुछ भी नहीं, कैसे पढे छात्र

बालको की पढाई का स्तर सुधरे तथा हायर सैकेण्ड्री स्कूल में पढने वाले छात्र-छात्राओ काे सुविधाए पूरी मिले इस उद्देश्य से शासन ने नगरीय क्षैत्र के एकमात्र बालक हायर सैकेण्ड्री स्कूल को वर्ष 2005-06 में उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा प्रदान किया है। दर्जा मिले 15 वर्ष पूरे हो चुके है। लेकिन स्कूल में सुविधाओ के नाम पर विद्यार्थीयो को कुछ भी नही मिला है। नगर में बालक हायर सैकेण्ड्री स्कूल शुरू हुए 60 वर्षो से भी अधिक का समय हो चुका है। किन्तु विद्यालय के पास आज तक अपना निजी भवन तक नही है। वही स्कूल के पास पर्याप्त स्टाफ की व्यवस्था भी नही है। जिसके चलते प्रतिवर्ष शिक्षण के लिए अतिथि शिक्षको की व्यवस्था करना होती है। कुला मिलाकर शासन ने हायर सेकण्डरी को स्कूल का नाम उत्कृष्ट तो दे दिया लेकिन सुविधाओ के नाम पर कुछ भी नही दिया है। शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में मुलभूत सुविधाएं नहीं होने तथा शिक्षको के पद रिक्त होने के कारण हर साल बोर्ड कक्षाओं का कोर्स पूरा नहीं हो पाता है। जिसके कारण इस स्कूल में पढने वाले विद्यार्थीयो को मजबूर होकर प्रायवेट कोंचिंग संस्थाओ का सहारा लेना पडता है। तब जाकर वे बोर्ड परीक्षा में पास हो पाते है।

नहीं है पानी की व्यवस्था, कैंपर से पिलाते है पानी

इस भवन में छात्रों के पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से स्कूल प्रंबधन ने निजी व्यवस्था कर रखी है। बाजार से चिल्ट वाटर के केंपर खरीदकर छात्रों को पानी पिलाया जा रहा है। इसमें स्कूल प्रबंधन का अतिरिक्त राशि का व्यय हो रहा है।Conclusion:100 साल पुराने इस भवन में जहां शिक्षकों का स्टाफ रूम संचालित होता था। वह क्षतिग्रस्त होकर गिर गया है, इस वजह से शिक्षकों का स्टाफ रूम भी अब कक्षा 11 वीं की कामर्स क्लास वाले कक्ष में संचालित हो रहा है। और यह क्लास भी भवन के अन्य जर्जर कक्ष में लगाई जा रही है। ऐसे में छात्रों के सामने पढाई करने के लिए जगह की कमी एक बढे परेशानी बनी हुई है। जर्जर भवन में पढाई करते समय बच्चों में हादसे का भय बना रहता है। हालाकि उत्कृष्ट का नया भवन डग रोड पर पौने 2 करोड की लागत से बनाया जा रहा है, लेकिन यह कब तक पूरा होगा कोई भी कहने को तैयार नहीं। ऐसे में इस सत्र के तीन से चार माह बीत जाने के बाद भी छात्र इसी 100 साल पूराने अंग्रेजो के जमाने के जर्जर भवन में पढने को मजबूर है।

उत्कृष्ट के प्राचार्य जी पी कारपेंटर का कहना है की 1966 में सुसनेर में हायर सेकण्डरी स्कूल की शुरूआत हुई थी। तब से लेकर आज तक स्कूल इसी भवन में संचालित होता आ रहा है। स्कूल का भवन 100 साल पुराना है। और क्षतिग्रस्त हालत में है। जैसे-तैसे काम चला रहे है। स्कूल का नया भवन डग रोड पर निर्माणाधीन है। जैसे ही नवीन भवन हमें मिलेगा। स्कूल नवीन भवन में संचालित किया जाएगा। जब तक नवीन भवन नहीं मिलता है। तब तक पूराने भवन में संचालन करना पडेगा।

विज्युअल-इस तरह बरामदें में लग रही उत्कृष्ट स्कूल की क्लास।
उत्कृष्ट की कक्षा 11 वीं की कामर्स क्लास में संचालित हाे रहा शिक्षकों का स्टाफ रूम।
कक्षों में पडी है कीताबें, परिसर में घुमते समय व पढाई करते समय छात्रों को लगा रहता है हादसे का भय।
अंग्रेजो के जमाने में जिस भवन में संचालित था स्टाफ रूम वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होकर गिर गया है।

बाईट-संतोष मालवीय, छात्र उत्कृष्ट स्कूल।          
बाईट- जी पी कारपेंटर, प्राचार्य उत्कृष्ट विद्यालय, सुसनेर।
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