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दुकानदारों ने किया चीनी राखियों का बहिष्कार, बाजार में दिख रहीं सिर्फ देसी राखियां - स्वदेशी राखियां

आगर जिले में बेची जा रही स्वदेशी राखियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं, इस बार 100 से भी अधिक दुकान संचालकों ने चीनी राखियों का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियां बेचने का फैसला किया था, जिसके चलते इस बार देसी राखियां ही बाजार में नजर आ रही हैं.

दुकानदारों ने किया चीनी राखियों का बहिष्कार, बाजार में दिख रहीं सिर्फ देसी राखियां
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Published : Aug 14, 2019, 11:42 PM IST

आगर। आगर जिले के सुसनेर में पहली बार व्यापारियों ने निर्णय लेते हुए देश हित में पहल की है. जिसके तहत चीनी राखी का बहिष्कार कर देसी राखियां बेचने का फैसला किया, एक दिन पहले ही पूरे शहर में 100 से भी अधिक दुकानों पर चीनी राखियों का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियां बेची गई.

दुकानदारों ने किया चीनी राखियों का बहिष्कार, बाजार में दिख रहीं सिर्फ देसी राखियां

नगर के व्यवसायी कमल भावसार ने बताया कि स्वदेशी अपनाने हेतु प्रचार-प्रसार होना चाहिए. मीडिया के माध्यम से अब हमारे बच्चे चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों को समझने लगे हैं. शहर में राखी बेचने वाले दुकानदार गुजरात, इलाहबाद, इन्दौर, उज्जैन, नलखेड़ा, कानड़, राजस्थान के पिडावा में बनाई जाने वाली स्वदेशी राखियां ही बेची जा रही हैं.

दुकानदारों के पास 25 से भी अधिक विभिन्न प्रकार की स्वदेशी राखियां मौजूद हैं. व्यवसाइयों के पास ओम, स्वास्तिक, चंदन, रूद्राक्ष वाली राखियां भी उपब्लध हैं. साथ ही दुकानदारों के पास डायमंड, फैन्सी, रेशमी डोर वाली राखियां भी मौजूद हैं.

आगर। आगर जिले के सुसनेर में पहली बार व्यापारियों ने निर्णय लेते हुए देश हित में पहल की है. जिसके तहत चीनी राखी का बहिष्कार कर देसी राखियां बेचने का फैसला किया, एक दिन पहले ही पूरे शहर में 100 से भी अधिक दुकानों पर चीनी राखियों का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियां बेची गई.

दुकानदारों ने किया चीनी राखियों का बहिष्कार, बाजार में दिख रहीं सिर्फ देसी राखियां

नगर के व्यवसायी कमल भावसार ने बताया कि स्वदेशी अपनाने हेतु प्रचार-प्रसार होना चाहिए. मीडिया के माध्यम से अब हमारे बच्चे चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों को समझने लगे हैं. शहर में राखी बेचने वाले दुकानदार गुजरात, इलाहबाद, इन्दौर, उज्जैन, नलखेड़ा, कानड़, राजस्थान के पिडावा में बनाई जाने वाली स्वदेशी राखियां ही बेची जा रही हैं.

दुकानदारों के पास 25 से भी अधिक विभिन्न प्रकार की स्वदेशी राखियां मौजूद हैं. व्यवसाइयों के पास ओम, स्वास्तिक, चंदन, रूद्राक्ष वाली राखियां भी उपब्लध हैं. साथ ही दुकानदारों के पास डायमंड, फैन्सी, रेशमी डोर वाली राखियां भी मौजूद हैं.

Intro:आगर। हर साल चीन में बनी राखियां बाजार में खूब बिकती है, लेकिन इस साल चीन के साथ चल रहे तनाव को देखते हुए चीन के सामान का बहिष्कार करने के उद्देश्य से नगर के व्यापारीयों ने स्वदेशी राखीयां ही बेची है। इसके लिए वे कई दिनों से तैयारीयां कर रहे थे। अब 15 अगस्त गुरूवार को रक्षाबंधन पर्व पर ये स्वदेशी राखीयां ही बहने अपने भाईयों की कलाई पर बांधेगी। बता दें की आगर जिलें के सुसनेर में इस बार पहली बार व्यापारीयो ने निर्णय लेते हुएं देशहित में यह पहल की है। इससे बुधवार को राखी से एक दिन पूर्व पूरे शहर में 100 से भी अधिक सजी दुकानों पर स्वदेशी राखीयां ही बेची गई।Body:हमने कई दुकानों पर जाकर स्वदेशी राखीयों की वास्वतिका देखी इस दौरान पता चला की हमारे शहर में थोक व्यापारीयों से लेकर फूटकर तक 100 से भी अधिक तरह की राखीयां बेचने हेतु दुकाने सजी है। इसमंे खास बात यह है कि इस बार कई दुकानाें पर चीनी राखीयों का बहिष्कार कर अबकी बार स्वदेशी राखीयां बेची जा रही है। नगर के व्यवसायी कमल भावसार ने बताया कि स्वदेशी अपनाने हेतु प्रचार- प्रसार होना चाहिए। मीडिया के माध्यम से अब हमारे बच्चे चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों को समझने लगे है। शहर के राखी बेेचने वाले दुकानदार गुजरात, इलाहबाद, इन्दौर, उज्जैन, नलखेडा, कानड, राजस्थान के पिडावा में बनाई जाने वाली स्वदेशी राखीयां ही बेची जा रही है।Conclusion:शहर के दुकानदारों के पास 25 से भी अधिक विभिन्न प्रकार की स्वदेशी राखीयों की वैरायटी है। व्यवसायीयों के पास धार्मिक तौर औम, स्वतिक, चंदन, रूद्राक्ष वाली राखीयां भी उपब्लध है जो बहनों को बहुत अधिक पसंद आ रही है। इसके अलावा दुकानदारों के पास डायमन्ड, फेन्सी, रेशमी डोर वाली राखीयां भी मौजूद है।

विज्युअल- स्वदेशी राखीयां बेचते हुएं दुाकनदार और राखीयां खरीदती हुई बहने।
स्वदेशी राखीयों से सजा बाजार।
बाईट-कमल भावसार, राखी विक्रेता, सुसनेर।
बाईट- मुरली पढीयार, राखी विक्रेता, सुसनेर।
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