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करें खुशियों के रंग से सराबोर करने वाली होली की तैयारी, पर चंद्र ग्रहण के चलते शुभ मुहूर्त का रखें विशेष ध्यान - होली पर चंद्र ग्रहण

Holi 2024: होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन लोग अपनी बुराइयां छोड़ एक दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते हैं. इस साल यह त्यौहार 25 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन हर बार की तरह सवाल अब भी यही है कि होलिका दहन का मुहूर्त क्या होगा और रंग किस दिन खेला जाएगा, क्योंकि इस बार होली के दिन ही चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है.

Holi 2024
होली के रंग 2024
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 9:14 PM IST

Updated : Jan 17, 2024, 9:43 PM IST

Holi 2024। भारत के साथ-साथ अब ऐसे कई देश हैं, जहां धीरे-धीरे भारत के प्रमुख त्योहार होली का क्रेज बढ़ता जा रहा है. यह त्यौहार बुराइयों को भस्म कर अच्छाइयों के रंग में रंग जाने का प्रतीक है. इसीलिए लोग पहले होलिका दहन करते हैं और फिर सारी दुश्मनी बुराई भूल कर एक दूसरे के साथ रंग खेल कर नई शुरुआत करते हैं. यह त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. पूर्णिमा की रात होलिका दहन होता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है.

क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार

होली प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है. इस त्योहार के पीछे की पौराणिक कथा शायद ही किसी को ना पता हो, फिर भी हम आपको बताते हैं कि इस त्यौहार को मनाने की मुख्य वजह और कहानी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भक्त प्रहलाद से जुड़ी है. भक्त प्रहलाद का जन्म असुर राज हिरण्यकश्यप के पुत्र के रूप में हुआ था, लेकिन प्रहलाद भगवान नारायण के भक्त थे. ऐसे में जब कई बार हिरण्यकश्यप द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद भी उन्होंने भगवान में अपनी आस्था कम नहीं की, तो राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को भक्त प्रहलाद को भस्म करने का काम सौंपा था.

होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल नहीं सकती थी, लेकिन जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठी तो भक्त प्रहलाद को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन आग ने होलिका को भस्म कर दिया. तभी से शक्ति पर भक्ति की जीत के रूप में होलिका दहन और होली का त्योहार मनाया जाने लगा.

कब है होलिका दहन, किस दिन खिलेगा रंग

पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को लग रही है, जो सुबह 9:54 से शुरू होगी और अगले दिन 25 मार्च दोपहर 12 लगभग 29 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च को ही होगा, जिसके लिए पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:13 बजे से लेकर 12:27 बजे तक रहेगा. इस बीच आप कभी भी होलिका दहन कर सकते हैं. वहीं अगले दिन यानी 25 मार्च को धूमधाम से रंग गुलाल के साथ होली खेल सकते हैं.

होली पर होगा चंद्र ग्रहण का साया!

पिछले साल 2023 में होली के दिन भद्रा लगी थी और इस बार 25 मार्च को यानी जिस दिन होली खेली जाएगी, रंगों का त्यौहार मनाया जाएगा उसी दिन इस साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है. जब ग्रहण होता है, तो सूतक भी लगता है और यह सभी जानते हैं कि सूतक में किसी प्रकार की पूजा-पाठ या शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, तो क्या इस बार होली के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण होलिका दहन में भी समस्या पैदा करेगा. तो आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार का चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. ऐसे में भारत में इस पर सूतक भी लागू नहीं होगा. हालांकि जिन देशों में चंद्र ग्रहण नजर आने वाला है. वहां सूतक जरूर प्रभावित रहेगा, लेकिन भारत में लोग निश्चित होकर होलिका दहन कर सकते हैं और होली का त्यौहार मना सकते हैं.

(डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं ज्योतिष गणना और ज्योतिषविदों की जानकारी पर आधारित है ETV भारत इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता है)

यहां पढ़े...

Holi 2024। भारत के साथ-साथ अब ऐसे कई देश हैं, जहां धीरे-धीरे भारत के प्रमुख त्योहार होली का क्रेज बढ़ता जा रहा है. यह त्यौहार बुराइयों को भस्म कर अच्छाइयों के रंग में रंग जाने का प्रतीक है. इसीलिए लोग पहले होलिका दहन करते हैं और फिर सारी दुश्मनी बुराई भूल कर एक दूसरे के साथ रंग खेल कर नई शुरुआत करते हैं. यह त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. पूर्णिमा की रात होलिका दहन होता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है.

क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार

होली प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है. इस त्योहार के पीछे की पौराणिक कथा शायद ही किसी को ना पता हो, फिर भी हम आपको बताते हैं कि इस त्यौहार को मनाने की मुख्य वजह और कहानी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भक्त प्रहलाद से जुड़ी है. भक्त प्रहलाद का जन्म असुर राज हिरण्यकश्यप के पुत्र के रूप में हुआ था, लेकिन प्रहलाद भगवान नारायण के भक्त थे. ऐसे में जब कई बार हिरण्यकश्यप द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद भी उन्होंने भगवान में अपनी आस्था कम नहीं की, तो राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को भक्त प्रहलाद को भस्म करने का काम सौंपा था.

होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल नहीं सकती थी, लेकिन जब वह प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठी तो भक्त प्रहलाद को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन आग ने होलिका को भस्म कर दिया. तभी से शक्ति पर भक्ति की जीत के रूप में होलिका दहन और होली का त्योहार मनाया जाने लगा.

कब है होलिका दहन, किस दिन खिलेगा रंग

पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को लग रही है, जो सुबह 9:54 से शुरू होगी और अगले दिन 25 मार्च दोपहर 12 लगभग 29 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च को ही होगा, जिसके लिए पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:13 बजे से लेकर 12:27 बजे तक रहेगा. इस बीच आप कभी भी होलिका दहन कर सकते हैं. वहीं अगले दिन यानी 25 मार्च को धूमधाम से रंग गुलाल के साथ होली खेल सकते हैं.

होली पर होगा चंद्र ग्रहण का साया!

पिछले साल 2023 में होली के दिन भद्रा लगी थी और इस बार 25 मार्च को यानी जिस दिन होली खेली जाएगी, रंगों का त्यौहार मनाया जाएगा उसी दिन इस साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है. जब ग्रहण होता है, तो सूतक भी लगता है और यह सभी जानते हैं कि सूतक में किसी प्रकार की पूजा-पाठ या शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, तो क्या इस बार होली के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण होलिका दहन में भी समस्या पैदा करेगा. तो आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार का चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. ऐसे में भारत में इस पर सूतक भी लागू नहीं होगा. हालांकि जिन देशों में चंद्र ग्रहण नजर आने वाला है. वहां सूतक जरूर प्रभावित रहेगा, लेकिन भारत में लोग निश्चित होकर होलिका दहन कर सकते हैं और होली का त्यौहार मना सकते हैं.

(डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं ज्योतिष गणना और ज्योतिषविदों की जानकारी पर आधारित है ETV भारत इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता है)

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Last Updated : Jan 17, 2024, 9:43 PM IST
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