आगर मालवा। इंसानों की पशुओं के साथ प्रेम की कई मिसाल देखने को मिलती है, लेकिन शहर के निवासी तेज सिंह चौहान का पशुओं के प्रति अटूट प्रेम का अंदाज ही अनोखा है. मोतीसागर तालाब पर तेजसिंह को देखते ही बंदरो की फौज आ जाती है. बंदरों के साथ उनका लगाव कुछ खास है.
तेज सिंह और बंदरों का ऐसा है 'याराना', आप भी देखिए शरारत का खूबसूरत वीडियो
आगर मालवा के तेजसिंह से बंदरों का लगाव कुछ खास है. रोज सुबह और शाम ले जाते हैं बंदरों के लिए खाना.
अगर मालवा के तेजसिंह से बंदरों का लगाव कुछ खास है
आगर मालवा। इंसानों की पशुओं के साथ प्रेम की कई मिसाल देखने को मिलती है, लेकिन शहर के निवासी तेज सिंह चौहान का पशुओं के प्रति अटूट प्रेम का अंदाज ही अनोखा है. मोतीसागर तालाब पर तेजसिंह को देखते ही बंदरो की फौज आ जाती है. बंदरों के साथ उनका लगाव कुछ खास है.
Intro:आगर मालवा
-- इंसानों की पशुओं के साथ प्रेम की कई मिसाले देखने को मिलती है लेकिन शहर के निवासी तेजसिंह चौहान का पशुओं के प्रति अटूट प्रेम का अंदाज ही अनोखा दिखता है। तेजसिंह वैसे तो सभी पशुओं को बराबर प्रेम करते हैं लेकिन बंदरों के साथ उनके प्रेम की मिसाल सबसे अलग है। बंदर भी तेजसिंह के ऐसे दीवाने हैं कि इन्हें देखते ही दर्जनों की संख्या में बंदर इनके पास आ जाते हैं। तेजसिंह पिछले 6 महीने से इन बंदरों के लिए सुबह-शाम समय निकाल कर खाने की व्यवस्था करते आ रहे हैं। इंसान और पशुओं का यह प्रेम देखकर हर कोई स्तब्ध रह जाता है।
Body:शहर के मोतिसागर तालाब पर हर दिन सुबह व शाम को बंदरो की फौज तेजसिंह का इंतजार करती हुई दिखाई देती। जैसे ही तेजसिंह अपनी सायकिल से तालाब स्थित हनुमान घाट पहुंचते है वैसे ही बंदरो की यह फ़ौज तेजसिंह को चारों और से घेर लेती है कोई उनकी साईकल पर बैठ जाता है तो कोई साइड में लगी टेबल पर बैठ जाता है और सभी इंतजार करते है तेजसिंह के पास रखे झोले के खुलने का जैसे ही झोला खुलता है सभी बंदर चीखने लगते है। तेजसिंह प्रतिदिन अपने साथ बिस्कुट के पैकेट और रोटियां लाते है। बड़े बंदर तो तेजसिंह के हाथ से ही खाने की वस्तु लेते है लेकिन छोटे शरारती बंदर झपट्टा मारकर बिस्कुट छुड़ाकर खाते है। बंदर और तेजसिंह के बीच इस अटूट प्रेम को वहां आने वाले लोग देखकर अचंभित हो जाते है। वही जब खाना खत्म हो जाता है तब कुछ बंदर उनका पूरा झोला टटोलने के बाद ही वहाँ से हटते है।
Conclusion:जब इस संबंध में तेजसिंह चौहान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बंदर शरारती जरूर होते है लेकिन वे आक्रमक बिलकुल भी नही होते गर्मी में जब बंदरो को यहाँ पानी और खाने के लिए परेशान होते देखा तो उसी समय से निश्चित कर लिया था कि इनको अपनी तरफ से जो भी खिला सकता हु वह प्रतिदिन खिलाऊंगा। लोगो से अपील है कि पशुओं को प्रेम करे।
बाइट- तेजसिंह चौहान, सामाजिक कार्यकर्ता आगर मालवा
-- इंसानों की पशुओं के साथ प्रेम की कई मिसाले देखने को मिलती है लेकिन शहर के निवासी तेजसिंह चौहान का पशुओं के प्रति अटूट प्रेम का अंदाज ही अनोखा दिखता है। तेजसिंह वैसे तो सभी पशुओं को बराबर प्रेम करते हैं लेकिन बंदरों के साथ उनके प्रेम की मिसाल सबसे अलग है। बंदर भी तेजसिंह के ऐसे दीवाने हैं कि इन्हें देखते ही दर्जनों की संख्या में बंदर इनके पास आ जाते हैं। तेजसिंह पिछले 6 महीने से इन बंदरों के लिए सुबह-शाम समय निकाल कर खाने की व्यवस्था करते आ रहे हैं। इंसान और पशुओं का यह प्रेम देखकर हर कोई स्तब्ध रह जाता है।
Body:शहर के मोतिसागर तालाब पर हर दिन सुबह व शाम को बंदरो की फौज तेजसिंह का इंतजार करती हुई दिखाई देती। जैसे ही तेजसिंह अपनी सायकिल से तालाब स्थित हनुमान घाट पहुंचते है वैसे ही बंदरो की यह फ़ौज तेजसिंह को चारों और से घेर लेती है कोई उनकी साईकल पर बैठ जाता है तो कोई साइड में लगी टेबल पर बैठ जाता है और सभी इंतजार करते है तेजसिंह के पास रखे झोले के खुलने का जैसे ही झोला खुलता है सभी बंदर चीखने लगते है। तेजसिंह प्रतिदिन अपने साथ बिस्कुट के पैकेट और रोटियां लाते है। बड़े बंदर तो तेजसिंह के हाथ से ही खाने की वस्तु लेते है लेकिन छोटे शरारती बंदर झपट्टा मारकर बिस्कुट छुड़ाकर खाते है। बंदर और तेजसिंह के बीच इस अटूट प्रेम को वहां आने वाले लोग देखकर अचंभित हो जाते है। वही जब खाना खत्म हो जाता है तब कुछ बंदर उनका पूरा झोला टटोलने के बाद ही वहाँ से हटते है।
Conclusion:जब इस संबंध में तेजसिंह चौहान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बंदर शरारती जरूर होते है लेकिन वे आक्रमक बिलकुल भी नही होते गर्मी में जब बंदरो को यहाँ पानी और खाने के लिए परेशान होते देखा तो उसी समय से निश्चित कर लिया था कि इनको अपनी तरफ से जो भी खिला सकता हु वह प्रतिदिन खिलाऊंगा। लोगो से अपील है कि पशुओं को प्रेम करे।
बाइट- तेजसिंह चौहान, सामाजिक कार्यकर्ता आगर मालवा