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कोरोना की वजह से मेला निरस्त, कुम्हार के सामने रोजी-रोटी का संकट

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Published : Mar 18, 2020, 3:28 PM IST

आगर-मालवा के सुसनेर में हर साल लगने वाला पशु मेला निरस्त होने की वजह से खातेगांव से आए कुम्हार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

Fair canceled due to Corona virus in susner
कोरोना की वजह से मेला निरस्त

आगर-मालवा। मिट्टी को जीवंत आकार देने वाले कुम्हारों के सामने कोरोना वायरस ने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है, हर साल सुसनेर में लगने वाले मेले के लिए एक कुम्हार देवास जिले के खातेगांव से मटके लेकर आया, लेकिन कोरोना वायरस के चलते प्रशासन ने मेला निरस्त कर दिया, इसकी वजह से कुम्हार के पास कोई भी मटका खरीदने नहीं पहुंच रहा.

कोरोना की वजह से मेला निरस्त

खातेगांव से आए सत्यनारायण प्रजापति अपनी मटके की दुकान तो सजाकर बैठे हैं, लेकिन पूरा मेला ग्राउंड सूना पड़ा है. सत्यनारायण को चिंता इस बात की है कि वे 12 हजार रुपए भाड़ा देकर वहां से मटके सुसनेर बेचने के लिए लेकर आए, लेकिन यहां तो मेला ही निरस्त कर दिया गया, अब मटके कैसे बिकेंगे. सत्यनारायण अपने बेटे के साथ मेला ग्रांउड में पिछले 3-4 दिनों से डेरा डाले हुए हैं, लेकिन उनके पास एक भी ग्राहक नहीं पहुंचा, जिससे उनके सामने भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है.

सत्यनारायण प्रजापति ने बताया कि वे हर साल सुसनेर में आयोजित होने वाले 15 दिवसीय पुश मेले में मटके बेचने आते हैं, लेकिन इस बार मेला निरस्त होने की सूचना उन्हें नहीं मिल पायी, इस वजह से वे सुसनेर मटके बेचने आ गए, ऐसे में उनका काफी आर्थिक नुकसान हो गया है. सत्यनारायण के पास गर्मी में ठंडा पानी उपलब्ध कराने वाले मिट्‌टी के 100 से लेकर 500 रूपये तक के मटके उपलब्ध हैं, इसमें घरेलु मटकों से लेकर प्याऊ वाले मटके भी इनके पास मौजूद हैं. लेकिन इनकी खरीददारी नहीं होने के चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

आगर-मालवा। मिट्टी को जीवंत आकार देने वाले कुम्हारों के सामने कोरोना वायरस ने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है, हर साल सुसनेर में लगने वाले मेले के लिए एक कुम्हार देवास जिले के खातेगांव से मटके लेकर आया, लेकिन कोरोना वायरस के चलते प्रशासन ने मेला निरस्त कर दिया, इसकी वजह से कुम्हार के पास कोई भी मटका खरीदने नहीं पहुंच रहा.

कोरोना की वजह से मेला निरस्त

खातेगांव से आए सत्यनारायण प्रजापति अपनी मटके की दुकान तो सजाकर बैठे हैं, लेकिन पूरा मेला ग्राउंड सूना पड़ा है. सत्यनारायण को चिंता इस बात की है कि वे 12 हजार रुपए भाड़ा देकर वहां से मटके सुसनेर बेचने के लिए लेकर आए, लेकिन यहां तो मेला ही निरस्त कर दिया गया, अब मटके कैसे बिकेंगे. सत्यनारायण अपने बेटे के साथ मेला ग्रांउड में पिछले 3-4 दिनों से डेरा डाले हुए हैं, लेकिन उनके पास एक भी ग्राहक नहीं पहुंचा, जिससे उनके सामने भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है.

सत्यनारायण प्रजापति ने बताया कि वे हर साल सुसनेर में आयोजित होने वाले 15 दिवसीय पुश मेले में मटके बेचने आते हैं, लेकिन इस बार मेला निरस्त होने की सूचना उन्हें नहीं मिल पायी, इस वजह से वे सुसनेर मटके बेचने आ गए, ऐसे में उनका काफी आर्थिक नुकसान हो गया है. सत्यनारायण के पास गर्मी में ठंडा पानी उपलब्ध कराने वाले मिट्‌टी के 100 से लेकर 500 रूपये तक के मटके उपलब्ध हैं, इसमें घरेलु मटकों से लेकर प्याऊ वाले मटके भी इनके पास मौजूद हैं. लेकिन इनकी खरीददारी नहीं होने के चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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