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महिलाओं ने मनाया दशा माता का पर्व, पीपल की पूजा-अर्चना कर मांगी मुराद

प्रदेशभर में आज दशा माता का त्योहार श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है. आगर मालवा, देवास, खरगोन और झाबुआ में भी महिलाओं ने दशा माता का पर्व मनाया और पीपल के पेड़ की पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.

दशा माता का त्योहार
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Published : Mar 30, 2019, 3:15 PM IST

आगर मालवा/देवास/खरगोन/झाबुआ। प्रदेश में आज दशा माता का पर्व सुहागन महिलाओं ने धूमधाम से मनाया. महिलाओं ने पीपल की पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की. सुबह से ही महिलाओं ने बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ दशा माता का पर्व मनाया. इस दिन पीपल के वृक्ष पर सूती धागा बांधकर परिक्रमा करने की परंपरा है.


आगर मालवा में भी श्रद्धापूर्वक मनाया गया त्योहार
आगर मालवा में सुबह से ही महिलाओं द्वारा दशामाता की पूजा मंदिरों में की जा रहा रही है. पूजा स्थल पर पांच झाड़ू की पूजा करने की भी मान्यता है. माना जाता है कि झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए महिलाएं नया झाड़ू खरीदकर अपने साथ ले जाती हैं. वे घर-आंगन में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती है.

दशा माता का त्योहार


देवास में भी महिलाओं ने पीपल के पेड़ के लगाए फेरे
देवास में सुबह से ही शहर में स्थित पीपल के पेड़ों के नीचे महिलाओं की भीड़ देखी गई. महिलाओं ने दशा माता का पूजन-अर्चन कर सूती धागे से पीपल के पेड़ के चारों ओर फेरे लगाए. शहर के हर गली-मोहल्ले में जहां पीपल के पेड़ हैं, वहां सुबह से ही महिलाओं का हुजूम लगा रहा. पूरे श्रृंगार के साथ सजधज कर आई महिलाओं ने दशा माता का पूजन किया.


खरगोन में भी सुबह से ही मंदिर में लगा रहा श्रद्धालुओं का तांता
वहीं खरगोन में आज सुहागन महिलाओं ने सुख-समृद्धि की कामना को लेकर दशा माता का पूजन किया. पुजारी दीपिका शर्मा ने बताया कि राजा नल और उनकी पत्नी दयावंती रानी ने इस पर्व की शुरुआत की थी. माना जाता है कि राजा ने इस पर्व का अपमान किया था, जिसके बाद उनके घर-परिवार की दशा बिगड़ गई थी और वे दीन-हीन हो गए थे. राजा ने अपनी गलती को सुधारते हुए दशा माता की पूजा-अर्चना की और सुख-वैभव को प्राप्त किया. जिसके बाद सैकड़ों सालों से यह त्योहार मनाया जा रहा है.


झाबुआ में भी दशा माता के पर्व की रही धूम
झाबुआ में भी महिलाओं ने दशा माता का आस्था के साथ पूजन किया और माता से मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना की.

आगर मालवा/देवास/खरगोन/झाबुआ। प्रदेश में आज दशा माता का पर्व सुहागन महिलाओं ने धूमधाम से मनाया. महिलाओं ने पीपल की पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की. सुबह से ही महिलाओं ने बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ दशा माता का पर्व मनाया. इस दिन पीपल के वृक्ष पर सूती धागा बांधकर परिक्रमा करने की परंपरा है.


आगर मालवा में भी श्रद्धापूर्वक मनाया गया त्योहार
आगर मालवा में सुबह से ही महिलाओं द्वारा दशामाता की पूजा मंदिरों में की जा रहा रही है. पूजा स्थल पर पांच झाड़ू की पूजा करने की भी मान्यता है. माना जाता है कि झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए महिलाएं नया झाड़ू खरीदकर अपने साथ ले जाती हैं. वे घर-आंगन में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती है.

दशा माता का त्योहार


देवास में भी महिलाओं ने पीपल के पेड़ के लगाए फेरे
देवास में सुबह से ही शहर में स्थित पीपल के पेड़ों के नीचे महिलाओं की भीड़ देखी गई. महिलाओं ने दशा माता का पूजन-अर्चन कर सूती धागे से पीपल के पेड़ के चारों ओर फेरे लगाए. शहर के हर गली-मोहल्ले में जहां पीपल के पेड़ हैं, वहां सुबह से ही महिलाओं का हुजूम लगा रहा. पूरे श्रृंगार के साथ सजधज कर आई महिलाओं ने दशा माता का पूजन किया.


खरगोन में भी सुबह से ही मंदिर में लगा रहा श्रद्धालुओं का तांता
वहीं खरगोन में आज सुहागन महिलाओं ने सुख-समृद्धि की कामना को लेकर दशा माता का पूजन किया. पुजारी दीपिका शर्मा ने बताया कि राजा नल और उनकी पत्नी दयावंती रानी ने इस पर्व की शुरुआत की थी. माना जाता है कि राजा ने इस पर्व का अपमान किया था, जिसके बाद उनके घर-परिवार की दशा बिगड़ गई थी और वे दीन-हीन हो गए थे. राजा ने अपनी गलती को सुधारते हुए दशा माता की पूजा-अर्चना की और सुख-वैभव को प्राप्त किया. जिसके बाद सैकड़ों सालों से यह त्योहार मनाया जा रहा है.


झाबुआ में भी दशा माता के पर्व की रही धूम
झाबुआ में भी महिलाओं ने दशा माता का आस्था के साथ पूजन किया और माता से मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना की.

Intro:झाबुआ : अंचल में आज दशा माता का पर्व सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया गया। मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाएं पीपल की पूजा अर्चना करती है और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती है। सुबह से जिले के सभी बड़े शहरों और गांवों में महिलाओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ दशा माता का पर्व मनाया जा रहा है। पीपल के वृक्ष पर सूती धागों से परिक्रमा कर उसे धारण करने की मान्यता है ।


Body:दशा माता के पर्व को लेकर पौराणिक कथाओं में उल्लेख आता है। राजा नल व उनकी पत्नी दयावंती रानी ने इस पर्व की शुरुआत की थी। माना जाता है कि राजा ने इस पर्व का अपमान किया था, जिसके बाद उनके घर परिवार की दशा और दिशा बिगड़ गई वे दीन -हीन हो गए । राजा ने अपनी गलती को सुधारते हुए दशा माता की पूजा अर्चना की और सुख-वैभव को प्राप्त किया, जिसके बाद सैकड़ों सालों से यह प्रथा बदस्तूर चलती आ रही है।


Conclusion:आज सुबह से ही शुभ मुहूर्त में महिलाओं द्वारा दशामाता की पूजा मंदिरों में की जा रहा रही है। पूजा स्थल पर पांच झाड़ू की पूजा करने की भी मान्यता है ,माना जाता है कि झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास होता है लिहाजा आज के दिन महिलाएं नई झाड़ू खरीद कर अपने साथ ले जाती है। आस्था स्वरूप महिलाएं व्रत और उपवास रखती है ,घर- आंगन में स्वास्तिक का चिन्ह बना कर परिवार के लिए सुख -समृद्धि की कामना करती है।

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