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दिव्यांग को नहीं मिल रहा योजना का लाभ, ट्राई साइकिल के लिए भटक रहा युवक

दिव्यांगों की सहूलियत के लिए सरकार कई तरह की योजना चला रही है. लेकिन इन योजनाओं का लाभ उन्हे नहीं मिल पा रहा है. जिससे शहर के दिव्यांग को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Dec 2, 2019, 8:38 PM IST

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दिव्यांग को नहीं मिली ट्राई साइकिल

आगर। दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार कई तरह की योजना चला रही है लेकिन दिव्यांगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.सरकारी कार्यालयों और बाकी जगहों पर दिव्यांगों की सहूलियत के लिए रैंप बनाने के भी आदेश दिए गए थे लेकिन आज तक ये नहीं बन पाया. जिसकी वजह से दिव्यागों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

दिव्यांग को नहीं मिली ट्राई साइकिल

नहीं मिल रही ट्राई साइकिल
ढाबला गांव के 40 वर्षीय दिव्यांग नारायण सिंह का कहना है कि वो कई सालों से ट्राई साइकिल की मांग कर रहे है, इसके लिए कई बार अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई लेकिन अभी तक उन्हें इस योजना के तहत कुछ नहीं मिला. जिसकी वजह से आज भी वो डंडे के सहारे चलने को मजबूर हैं. उन्होनें बताया कि उनके गांव तक बस भी नहीं जाती है, इसलिए वो टैम्पो में लटक कर सुसनेर आते है. दिव्यांग होने के कारण उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ता है.

अधिकारियों के गोलमोल जवाब
इस मामले में जब एसडीएम मनीष जैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार दिव्यांगों के लिए सुगम्य भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिसके अंतर्गत सभी सरकारी कार्यालयों पर दिव्यांगों की सुविधा के लिए रैंप बनवाए जाना अनिवार्य है. एसडीएम ने कहा कि इसके लिए एक बार फिर रैंप बनवाने के निर्देश दिए जाएंगे.

आगर। दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार कई तरह की योजना चला रही है लेकिन दिव्यांगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.सरकारी कार्यालयों और बाकी जगहों पर दिव्यांगों की सहूलियत के लिए रैंप बनाने के भी आदेश दिए गए थे लेकिन आज तक ये नहीं बन पाया. जिसकी वजह से दिव्यागों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

दिव्यांग को नहीं मिली ट्राई साइकिल

नहीं मिल रही ट्राई साइकिल
ढाबला गांव के 40 वर्षीय दिव्यांग नारायण सिंह का कहना है कि वो कई सालों से ट्राई साइकिल की मांग कर रहे है, इसके लिए कई बार अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई लेकिन अभी तक उन्हें इस योजना के तहत कुछ नहीं मिला. जिसकी वजह से आज भी वो डंडे के सहारे चलने को मजबूर हैं. उन्होनें बताया कि उनके गांव तक बस भी नहीं जाती है, इसलिए वो टैम्पो में लटक कर सुसनेर आते है. दिव्यांग होने के कारण उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ता है.

अधिकारियों के गोलमोल जवाब
इस मामले में जब एसडीएम मनीष जैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार दिव्यांगों के लिए सुगम्य भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिसके अंतर्गत सभी सरकारी कार्यालयों पर दिव्यांगों की सुविधा के लिए रैंप बनवाए जाना अनिवार्य है. एसडीएम ने कहा कि इसके लिए एक बार फिर रैंप बनवाने के निर्देश दिए जाएंगे.

Intro:आगर। सरकार दिव्यांगों के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन उनकी सहूलियत के लिए खुद शासकीय कार्यालयों में ही उचित व्यवस्था नहीं है। शासकीय कार्यालयों में प्रवेश के लिए रैंप की व्यवस्था नहीं है, इस वजह से दिव्यांगो को बड़ी मुश्किल से सीढियों से जाना पड़ता है। यही परेशानी बैंकों में भी है, दिव्यांगो के लिए न तो बेंके के मुख्य द्वार पर रेम्प का निर्माण किया गया है और न ही एटीएम सेंटरो पर रेम्प बनाई गई है। ऐसे में पैसो के लिए भी दिव्यांगो को बैंको में आने-जाने के लिए फाकी दिक्क्तों का सामना करना पडता है। विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर हमने 2 दिसम्बर को कई शासकीय कार्यालयों व बैंको का जायजा लिया तो कही पर दिव्यांगो के लिए रेम्प नहीं दिखाई दी।Body:विश्व विकलांग दिवस से एक दिन पूर्व सोमवार को हमने ग्राम ढाबला केलवा के 40 वर्षीय दिव्यांग नारायणसिंह से चर्चा कि तो उन्होने बताया कि उन्हे शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला है। इसके लिए अधिकारीयों से लेकर जनप्रतनिधियों तक आवाज उठाई लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला। ऐसे में वे आज भी दण्ड के सहारे शहर आना जाना कर रहे है। उन्होने बताया कि उनके गांव तक बस भी नहीं जाती है, इसलिए वे मेजिक या टेम्पो में लटक कर के सुसनेर आते है। दिव्यांगता के चलते उन्है कई समस्याओं से जुझना पडता है।

निर्देशों पर नहीं किया अमल, परेशान हो रहे दिव्यांग

एटीएम का इस्तेमाल लोगों को अक्सर करना पड़ता है। बैंकों को खुद दिव्यांगजनों की सुविधा का ध्यान रखते हुए इन मशीनों वाली जगहों पर उनकी आसान पहुंच के लायक रास्तों का निर्माण कराना चाहिए। कुछ साल पहले रिजर्व बैंक और दिव्यांग आयोग ने सभी बैंकों को लिखित निर्देश दिया था कि सभी एटीएम वाली जगहों पर दिव्यांग लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए स्लैब और सुविधाजनक रास्तों का निर्माण किया जाए मगर अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
Conclusion:नियमों के मुताबिक सभी दफ्तरों, सार्वजनिक भवनों आदि में दिव्यांगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए लिफ्ट लगाना और हाथ गाड़ी, चल सकने लायक रास्ते बनाना जरूरी है। लेकिन ये सब तो दूर दिव्यांगो के लिए रेम्प तक का निर्माण भी नहीं किया गया है। अधिकारियों ने भी इस मामले में अब तक कोई पहल नहीं की है। यह स्थिति केवल बैंकों तक ही सीमित नहीं। ज्यादातर सार्वजनिक भवनों और दफ्तरों में शारीरिक रूप से अक्षम को सहज ढंग से चल फिर सकने लायक रास्ते नहीं है। बहुमंजिला भवनों में लिफ्ट आदि की सुविधा भले हो प्रवेश द्वारों पर हाथ गाड़ी के चढ़ सकने की व्यवस्था आमतौर पर है ही नहीं। कई भवनों में दाखिल होने के लिए खासी ऊंचाई चढ़नी पड़ती है। यह समस्या अकेले दिव्यांगों की नहीं है, बल्कि बुजुर्गों के लिए भी सीढ़ियां चढ़ना तकलीफदेह होता है।

दिव्यांगो को लगाना पडती है मदद की गुहार

मालूम हो, कि दिव्यांग बिना किसी की मदद के अपना काम कर सकें, इसके लिए प्रदेश शासन ने करीब चार साल पूर्व सभी सार्वजनिक स्थलों पर दिव्यांगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रैंप बनाए जाने के निर्देश दिए थे। क्षेत्र में कई प्रमुख जगह पर रैंप नहीं हाेने के कारण दिव्यांगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दिव्यांग रैंप के अभाव में अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए लोगों की मदद की आस में खड़े रहते हैं। दिव्यांगों को बैंक व अन्य सरकारी कार्यालय में आने-जाने में कोई असुविधा न हो, इसके लिए आयुक्त सामाजिक न्याय मप्र शासन ने सभी सार्वजनिक स्थलों पर रैंप बनाने के निर्देश दिए थे। दिव्यांग के हित में शासन द्वारा लागू किए गए आदेश का जिले में सही ढंग से पालन नहीं हो पा रहा है।
इन स्थान पर होना चाहिए रैंप

शासन ने दिव्यांगों की सुविधा के लिए सुलभ कॉॅम्प्लेक्स, बस स्टैंड, शासकीय कार्यालय, पुलिस थाना, सरकारी अस्पताल सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर रैंप बनाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन क्षेत्र के अधिकांश सार्वजनिक स्थानों और शासकीय कार्यालयो पर रैंप का अभाव है। दिव्यांग को सबसे ज्यादा परेशानी उस समय हाेती है, जब सीढ़ियां चढ़ाने के लिए उन्हें कोई मददगार नहीं मिलता। ऐसे मे उन्हें कई बार मायूस होकर लौटना पड़ता है।

एसडीएम मनीष जैन से हमने चर्चा कि तो उन्होने कहां कि शासन के द्वारा दिव्यांगो के लिए सुगम्य भारत अभियान चलाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत सभी शासकीय कार्यालयो पर दिव्यांगो की सुविधा के लिए रेम्प बनवाए जाना अनिवार्य है। जब ईटीवी भारत ने कई शासकीय कार्यालयो के नाम बताए जहंा पर रेम्प नहीं है तो इस पर एसडीएम ने कहां कि इसके लिए में सभी शासकीय कार्यालयो को रेम्प बनवाए जाने के निर्देश जारी करूंगा।

विज्युअल- शासकीय कार्यालयों व एटीएम सेंट व बैंक में नही है रेम्प, दण्ड के सहारे शहर आते हुएं दिव्यांग।
बाईट- नारायणसिंह, दिव्यांग, ग्राम ढाबला केलवा।
बाईट- मनीष जैन, एसडीएम सुसनेर।
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