आगर मालवा। कोरोना टीकाकरण अभियान सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को शामिल किया गया. इसी के तहत राजस्व, पुलिस, स्थानीय निकायों सहित अन्य संस्थाओं में काम करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया जा रहा है, लेकिन इस दौरान बड़ी लापरवाही भी देखने को मिली है. गड़बड़ी का आलम ये है कि एक ही मोबाइल नंबर पर सैंकड़ों लोगों को टीकाकरण के लिए पंजीकृत कर दिया गया. जिसके चलते सैकड़ों लोग टीकाकरण से वंचित रह गये.
फ्रंटलाइन वर्कर्स का एक ही नम्बर पर पंजीयन
जिला मुख्यालय पर ही पुलिस और नगर पालिका के सैकड़ों कर्मचारियों का पंजीयन एक ही नंबर पर दर्ज हो गया, जिसमें नगर पालिका के करीब 200 कर्मियों के नाम के आगे नगर पालिका के स्वच्छता प्रभारी का मोबाइल नंबर अंकित है. जिसके कारण प्रभारी के नंबर पर सभी के टीकाकरण के लिए मैसेज और कॉल आ रहे हैं.
पशोपेश में कर्मचारी
टीकाकरण अभियान में पंजीकृत कर्मचारी पशोपेश में हैं कि पंजीयन के बावजूद उनको टीका क्यों नहीं लग पा रहा है. इतना ही नहीं जिन कर्मचारियों ने पंजीयन करवाया है, उनके मोबाइल पर दूसरे कर्मचारियों को टीका लगवाने संबंधी मैसेज और कॉल मिल रहे हैं. मामले में नगर पालिका के अधिकारी आरोप लगा रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों के चलते ये सब हो रहा है.
लक्ष्य की नहीं हो पाई पूर्ति
इन सारी गड़बड़ी के बीच टीकाकरण अपने लक्ष्य से बहुत पीछे रह गया. अकेले आगर मालवा जिले में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले महज 60% लोगों को ही टीका लग पाया है. पंजीकृत कर्मचारियों के गलत मोबाइल नंबर दर्ज होने के चलते उनका टीकाकरण नहीं हो पा रहा है क्योंकि सॉफ्टवेयर इसकी इजाजत नहीं देता है.
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एसपी भी हुए बदहाली के शिकार
सिस्टम में बदहाली का आलम ये कि जिले के पुलिस कप्तान और आईपीएस अधिकारी राकेश सगर भी इससे अछूते नहीं रहे. इन अधिकारियों को सात फरवरी को टीका लगना था, लेकिन उनके नाम के आगे जो मोबाइल नम्बर था, वो किसी और कर्मचारी का था. राकेश सगर को तीन दिनों की मशक्कत के बाद 10 फरवरी को टीका लग पाया था.