आगर। जिले में माध्यमिक और प्राथमिक स्तर के 11 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए थे. जिनमें से केवल 3 स्कूल का संचालन जारी है, बाकी 8 स्कूल अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती के अभाव में बंद हो चुके हैं. इतना ही नहीं जो स्कूल चालू हैं, वहां पर भी केवल अंग्रेजी शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है. जिस दिन अंग्रेजी विषय के शिक्षक अवकाश पर होते हैं, उस दिन इन स्कूलों के बच्चे हिंदी माध्यम की कक्षा के बच्चों के साथ पढ़ते हैं.
स्कूल अंग्रेजी, लेकिन अंग्रेजी शिक्षक नहीं
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जिले में 11 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए थे. इनको खोलने के लिए कोई अलग से भवन नहीं था. हिंदी माध्यम स्कूलों के भवन का उपयोग ही अंग्रेजी माध्यम स्कूल के लिए किया जाने लगा. भले ही स्कूल की दीवार पर अंग्रेजी माध्यम लिख दिया गया हो, लेकिन इन स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई. पिछले 5 सालों में अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बच्चो ने प्रवेश भी लिया और उनका नाम बकायदा अंग्रेजी माध्यम में दर्ज भी किया गया लेकिन पढ़ाई हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चों के साथ ही कराई गई. जिससे बच्चों का शैक्षणिक स्तर सुधरने की अपेक्षा बिगड़ गया. अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चे ठीक से अंग्रेजी तो नहीं पढ़ पाए. हिंदी में भी कमजोर हो गए. वर्तमान में स्थिति ये बनी है की, अधिकांश अंग्रेजी माध्यम के स्कूल व्यवस्थाओं के अभाव में बंद हो गए.
जुगाड़ से चल रहे बचे हुए तीन स्कूल
जिला मुख्यालय पर तीन स्कूल अंग्रेजी माध्यम के खोले गए हैं जो जुगाड़-तुगाड़ से चल रहे हैं. तनोडिया में स्थित अंग्रेजी माध्यम स्कूल बच्चों के अभाव में बंद हो चुका है. बड़ौद विकासखंड में एक स्कूल सुदवास और एक बड़ौद शहर में खोला गया था. दोनों ही स्कूल शिक्षकों के अभाव में बंद हो चुके हैं. सुसनेर विकासखंड के ग्राम छापरिया, देहरिया सोयत के अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद हो चुके है. वहीं सुसनेर में संचालित माध्यमिक विद्यालय सुसनेर बंद होने की कगार पर आ चुका है. नलखेड़ा विकासखंड में प्राथमिक विद्यालय पीलवास और कन्या माध्यमिक विद्यालय नलखेड़ा बंद हो चुका है. केवल प्राथमिक विद्यालय धरोला व्यवस्थित संचालित हो रहा है.
बीआरसी गिरिराज बंशीया ने बताया कि, अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शुरू से ही अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई थी. स्कूलों में व्यवस्थाएं गड़बड़ाई हैं, लेकिन बच्चों का भविष्य खराब नहीं होने देंगे. स्कूलों को वैकल्पिक व्यवस्था करके चालू करवाये जाएंगे.