आगर मालवा। निजी स्कूलों में ऑटो रिक्शा से जाने वाले 12 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों के पालकों की अब फजीहत होने वाली है. ऑटो रिक्शा संचालकों ने ऑटो में 5 से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाने के सरकारी आदेश का विरोध करते हुए स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम ही बंद कर दिया है. ऐसे में अब पालकों को खुद ही अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाना पड़ेगा.
ये है मामला
⦁ सुप्रीम कोर्ट ने ऑटो रिक्शा में 12 साल से कम उम्र के 5 से अधिक स्कूली बच्चों के बैठाने पर लगाई रोक.
⦁ एससी के आदेश का बहिष्कार करते हुए ऑटो संचालकों ने बच्चों को स्कूल पहुचाने से मना कर दिया.
⦁ जिला परिवहन अधिकारी की बैठक में रिक्शे में 5 से कम बच्चे बैठाने के आदेश से ऑटो रिक्शा संचालक मुकर गए.
⦁ ऑटो रिक्शा संचालकों का कहना है कि सिर्फ 5 बच्चे ही एक बार में बैठाते हैं तो उन्हें आर्थिक नुकसान होगा.
⦁ यदि उनको 10 बच्चे बैठाने की इजाजत मिल जाती है तो वे इस बात का पालन करेंगे.
⦁ कई ऐसे पालक हैं जो नौकरी के चलते बच्चों को ऑटो रिक्शा से स्कूल भेजते हैं.
⦁ निजी स्कूलों में 12 वर्ष से कम उम्र के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे ऑटो रिक्शा से स्कूल जाते हैं.
इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी अंबिका प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन ऑटो रिक्शा संचालकों को करना पड़ेगा. डीटीओ ने अपील की है कि पालक ऐसे ऑटो रिक्शा में अपने बच्चों को नहीं बैठने दें, जिसमे 5 से ज्यादा बच्चे हों. इसके साथ ही बच्चों को जिस ऑटो रिक्शा से स्कूल भेजते हैं, उस ऑटो रिक्शा संचालक से ये सुनिश्चित करें कि ऑटो रिक्शा का परमिट हो, बीमा हो, फर्स्ट एड बॉक्स हो तथा चालक का लाइसेंस भी हो.