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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खफा ऑटो संचालक, बच्चों को स्कूल पहुंचाने से किया मना

ऑटो रिक्शा संचालकों ने ऑटो में 5 से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाने के सरकारी आदेश का विरोध करते हुए स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम ही बंद कर दिया है.

ऑटो संचालक ने स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम किया बंद
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Published : Jun 25, 2019, 6:53 PM IST

आगर मालवा। निजी स्कूलों में ऑटो रिक्शा से जाने वाले 12 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों के पालकों की अब फजीहत होने वाली है. ऑटो रिक्शा संचालकों ने ऑटो में 5 से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाने के सरकारी आदेश का विरोध करते हुए स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम ही बंद कर दिया है. ऐसे में अब पालकों को खुद ही अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाना पड़ेगा.

ऑटो संचालक ने स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम किया बंद

ये है मामला
⦁ सुप्रीम कोर्ट ने ऑटो रिक्शा में 12 साल से कम उम्र के 5 से अधिक स्कूली बच्चों के बैठाने पर लगाई रोक.
⦁ एससी के आदेश का बहिष्कार करते हुए ऑटो संचालकों ने बच्चों को स्कूल पहुचाने से मना कर दिया.
⦁ जिला परिवहन अधिकारी की बैठक में रिक्शे में 5 से कम बच्चे बैठाने के आदेश से ऑटो रिक्शा संचालक मुकर गए.
⦁ ऑटो रिक्शा संचालकों का कहना है कि सिर्फ 5 बच्चे ही एक बार में बैठाते हैं तो उन्हें आर्थिक नुकसान होगा.
⦁ यदि उनको 10 बच्चे बैठाने की इजाजत मिल जाती है तो वे इस बात का पालन करेंगे.
⦁ कई ऐसे पालक हैं जो नौकरी के चलते बच्चों को ऑटो रिक्शा से स्कूल भेजते हैं.
⦁ निजी स्कूलों में 12 वर्ष से कम उम्र के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे ऑटो रिक्शा से स्कूल जाते हैं.

इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी अंबिका प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन ऑटो रिक्शा संचालकों को करना पड़ेगा. डीटीओ ने अपील की है कि पालक ऐसे ऑटो रिक्शा में अपने बच्चों को नहीं बैठने दें, जिसमे 5 से ज्यादा बच्चे हों. इसके साथ ही बच्चों को जिस ऑटो रिक्शा से स्कूल भेजते हैं, उस ऑटो रिक्शा संचालक से ये सुनिश्चित करें कि ऑटो रिक्शा का परमिट हो, बीमा हो, फर्स्ट एड बॉक्स हो तथा चालक का लाइसेंस भी हो.

आगर मालवा। निजी स्कूलों में ऑटो रिक्शा से जाने वाले 12 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों के पालकों की अब फजीहत होने वाली है. ऑटो रिक्शा संचालकों ने ऑटो में 5 से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाने के सरकारी आदेश का विरोध करते हुए स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम ही बंद कर दिया है. ऐसे में अब पालकों को खुद ही अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाना पड़ेगा.

ऑटो संचालक ने स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम किया बंद

ये है मामला
⦁ सुप्रीम कोर्ट ने ऑटो रिक्शा में 12 साल से कम उम्र के 5 से अधिक स्कूली बच्चों के बैठाने पर लगाई रोक.
⦁ एससी के आदेश का बहिष्कार करते हुए ऑटो संचालकों ने बच्चों को स्कूल पहुचाने से मना कर दिया.
⦁ जिला परिवहन अधिकारी की बैठक में रिक्शे में 5 से कम बच्चे बैठाने के आदेश से ऑटो रिक्शा संचालक मुकर गए.
⦁ ऑटो रिक्शा संचालकों का कहना है कि सिर्फ 5 बच्चे ही एक बार में बैठाते हैं तो उन्हें आर्थिक नुकसान होगा.
⦁ यदि उनको 10 बच्चे बैठाने की इजाजत मिल जाती है तो वे इस बात का पालन करेंगे.
⦁ कई ऐसे पालक हैं जो नौकरी के चलते बच्चों को ऑटो रिक्शा से स्कूल भेजते हैं.
⦁ निजी स्कूलों में 12 वर्ष से कम उम्र के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे ऑटो रिक्शा से स्कूल जाते हैं.

इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी अंबिका प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन ऑटो रिक्शा संचालकों को करना पड़ेगा. डीटीओ ने अपील की है कि पालक ऐसे ऑटो रिक्शा में अपने बच्चों को नहीं बैठने दें, जिसमे 5 से ज्यादा बच्चे हों. इसके साथ ही बच्चों को जिस ऑटो रिक्शा से स्कूल भेजते हैं, उस ऑटो रिक्शा संचालक से ये सुनिश्चित करें कि ऑटो रिक्शा का परमिट हो, बीमा हो, फर्स्ट एड बॉक्स हो तथा चालक का लाइसेंस भी हो.

Intro:आगर मालवा
-- निजी स्कूलों में ऑटोरिक्शा से जाने वाले 12 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों के पालकों की अब फजीहत होने वाली है। ऑटोरिक्शा संचालकों ने ऑटो में 5 से अधिक बच्चे नही बैठाए जाने के सरकारी आदेश का विरोध करते हुवे स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम ही बन्द कर दिया है। ऐसे में अब पालकों को स्वयं ही अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने के लिए जाना पड़ेगा। इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी ने बाकायदा ऑटोरिक्शा संचालकों की बैठक बुलाकर उन्हें नियम का पालन करने के सख्त निर्देश दिए वहीं ऑटोरिक्शा संचालकों ने भी इस नियम को अपने पक्ष का नही बताते हुवे इसमें परिवर्तन की मांग की।


Body:बतादे की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुसार ऑटोरिक्शा में 12 साल से कम उम्र के 5 से अधिक स्कूली बच्चों को बैठाकर परिवहन नही किया जा सकता है। इस निर्देश का जिले में कही भी पालन नही हो रहा था ऐसे में इस नियम का पालन करवाने के लिए ऑटोरिक्शा संचालकों को हिदायत भी दी गई लेकिन वे नही माने और ऑटोरिक्शा में 5 से अधिक स्कूली बच्चों को बैठाकर परिवहन जारी रखा। अब जब जिला परिवहन अधिकारी ने ऑटोरिक्शा संचालकों की बैठक बुलाकर रिक्शा में 5 से कम बच्चे बैठाने की बात कही तो सभी मुकर गए।
ऑटोरिक्शा संचालकों का मानना है कि यदि वे 5 बच्चे एक बार मे बैठाते है तो उनका आर्थिक फायदा होने की बजाय उल्टा ज्यादा नुकसान होगा। यदि उनको 10 बच्चे बैठाने की इजाजत भी मिल जाती है तो वे इस बात का पालन करेंगे लेकिन अधिकारी ने भी कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुवे इस नियम का सख्ती से पालन करने की बात कही।
बता दे कि ऑटोरिक्शा संचालकों द्वकर अब स्कूली बच्चों को नही छोड़े जाने और लाने के निर्णय के बाद बच्चों के पालकों की परेशानिया बढ़ जाएंगी। कई ऐसे पालक है जो अपनी नौकरी के कारण बच्चों को स्कूल ऑटोरिक्शा से भेजते है। निजी स्कूलों में 12 वर्ष से कम उम्र के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे ऑटोरिक्शा से स्कूल आते और जाते है। अब परिजनों के साथ ही बच्चे भी परेशान होंगे।


Conclusion:ऑटोरिक्शा संचालक अध्यक्ष सुनील मालिनी बताया कि 5 बच्चों से ज्यादा नही बैठाने पर उन्हें काफी नुकसान होगा अभी एक बच्चे का 300 रुपये महीना किराया लेते है एक बार मे 10 बच्चे बैठाने का भी आदेश हो तो उसने थोड़ी बहुत बचत होगी लेकिन 5 बच्चों को बैठाने पर केवल आर्थिक नुकसान ही होगा। इसलिए अब से कोई भी ऑटोरिक्शा में स्कूली बच्चों को नही बैठाया जाएगा।
जब इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी अंबिका प्रसाद श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कोर्ट के निर्देश का पालन ऑटोरिक्शा संचालकों को करना पड़ेगा। डीटीओ ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है कि पालक अपनी जिम्मेदारी का परिचय दे ऐसे ऑटोरिक्शा में अपने बच्चों को नही बैठने दे जिसमे 5 से ज्यादा बच्चे हो। वही बच्चों को जिस ऑटोरिक्शा से स्कूल भेजते है उस ऑटोरिक्शा संचालक से यह सुनिश्चित करे कि ऑटोरिक्शा का परमिट हो, बीमा हो, फर्स्ट एड बॉक्स हो तथा चालक का लाइसेंस भी पालक देखे।

बाईट 1- सुनील माली, ऑटो रिक्शा यूनियन अध्यक्ष

बाइट 2- अम्बिका प्रसाद श्रीवास्तव, जिला परिवहन अधिकारी आगर मालवा
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