आगर। जिले के कृषि मंडी कर्मचारियों ने गुरूवार को मॉडल मंडी एक्ट का विरोध करते हुए संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने विधायक को सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम ज्ञापन सौंपा है. ये ज्ञापन प्रदेशस्तरीय मोर्चा के आह्वान पर एक दिवसीय सामुहिक अवकाश पर रहते हुए सौंपा गया है. सभी कर्मचारियों ने सुसनेर में पुराना बस स्टेंड स्थित राणा हाऊस पर पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एक ज्ञापन श्रेत्रीय विधायक राणा विक्रम सिंह को सौंपा है.
ज्ञापन में कर्मचारियों ने विधायक को बताया कि सरकारी मंडी के नियंत्रण से बाहर प्राइवेट कंपनियों को अनाज खरीदने की अनुमति मिलने से वे शुगर मिलों की तरह किसानों के अनाज का पैसा नियम अनुसार भुगतान नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि सीधी खरीदी का ही परिणाम है कि कई गन्ना किसानों का लगभग 19 हजार 500 करोड़ रुपए अभी भी देशभर में बकाया है.
किसानों को किया जाएगा मजबूर
सरकारी मंडियों में अगर दो हजार रुपये प्रति क्विंटल गेहूं बिकेगा तो प्राइवेट कंपनियां 2 हजार 300 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने का ऑफर किसानों को देंगी. लेकिन अनाज के बदले पैसे का भुगतान न कर सामग्री खरीदने के लिए किसानों को मजबूर किया जाएगा. जैसे किराना वस्तुएं, खाद, बीजए इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि. निजी कंपनी 2 हजार 300 रुपए के अनाज के बदले 1500 रुपए की सामग्री पर 2300 रुपए कीमत छापकर किसान को बेचेंगी. इस तरह से अधिक कीमत का लालच देकर किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लूटा जाएगा.
होंगे कई बेरोजगार
प्राइवेट कंपनियां लोक लुभावन ऑफर के कारण सरकारी मंडियों में न तो अनाज की आवक होगी और न ही व्यापार होगा. इससे प्रदेशभर में लाखों की संख्या में मध्यमवर्गीय व्यापारी, हम्माल, तुलावटी बेरोजगार हो जाएंगे.
आगर कृषि उपज मंडी के सचिव सुरेन्द्र रावत ने कहा, मंडी अधिनियम में संशोधन का विरोध करते हुए विधायक को ज्ञापन सौंपा गया है. उन्होंने बताया कि इसमें मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में शासन ने संशोधन कर मॉडल एक्ट लागू किया है. एक मई 2020 को अध्यादेश क्रमांक 160 लाया गया है, जो प्रदेश के किसान, हम्माल, तुलावटी, व्यापारी, मंडी और मंडी बोर्ड के कर्मचारियों के हित में नहीं है. इसलिए, सभी कर्मचारियों ने इस अध्यादेश को निरस्त करने की मांग की है.