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लापरवाही की भेंट चढ़ा गरीबों के लिए खुला अंग्रेजी मीडियम स्कूल, 10 में से 4 बंद

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Published : Feb 24, 2019, 12:57 AM IST


आगर-मालवा। गरीब तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से सरकार अंग्रेजी माध्यम के 10 स्कूलों को अनुमित दी थी, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और प्रचार-प्रसार के अभाव में दस में से चार स्कूल बंद हो गए. गौर करने वाली बात ये है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को इसकी जानकारी भी नहीं है.


दरअसल, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 2015 में अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के 10 स्कूल खोले गए थे. इन स्कूलों में शुरू से ही न तो शिक्षकों की समुचित व्यवस्था की गई और न ही दूसरे संसाधन उपलब्ध करवाए गए. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा ये रहा कि चारों विकासखंड को मिलाकर खोले गए 10 में से 4 स्कूल बंद हो गए.


बता दें बंद हुए स्कूलों में नलखेड़ा विकास खंड के तीन और बड़ौद विकास खंड का एक स्कूल शामिल है. ये स्कूल सांसद के आदर्श गांव सुदवास में संचालित हो रहा था. बाकी जो स्कूल संचालित हो रहे हैं. उसमें भी दो से तीन कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. वहीं आगर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय हाटपुरा में एक से पांचवी तक 70 बच्चे, माध्यमिक घोसीपुरा में 9, छावनी में 19 बच्चे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ रहे हैं. इसी तरह सुसनेर विकास खंड के सुसनेर शहर में 13 बच्चे, देहरिया सोयत में 27 और छापरिया में 29 बच्चे पढ़ रहे हैं.


इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी व्यवस्था जिम्मेदारों द्वारा नहीं की गई है. जहां जुगाड़ के जरिए दूसरे स्कूलों के शिक्षकों को अंग्रेजी मीडियम के बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया गया. इतना ही नहीं इन स्कूलों के लिए अलग से भवन की व्यवस्था भी नहीं की गई है. जिसके चलते हिंदी-अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है.

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आगर-मालवा। गरीब तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से सरकार अंग्रेजी माध्यम के 10 स्कूलों को अनुमित दी थी, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और प्रचार-प्रसार के अभाव में दस में से चार स्कूल बंद हो गए. गौर करने वाली बात ये है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को इसकी जानकारी भी नहीं है.


दरअसल, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 2015 में अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के 10 स्कूल खोले गए थे. इन स्कूलों में शुरू से ही न तो शिक्षकों की समुचित व्यवस्था की गई और न ही दूसरे संसाधन उपलब्ध करवाए गए. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा ये रहा कि चारों विकासखंड को मिलाकर खोले गए 10 में से 4 स्कूल बंद हो गए.


बता दें बंद हुए स्कूलों में नलखेड़ा विकास खंड के तीन और बड़ौद विकास खंड का एक स्कूल शामिल है. ये स्कूल सांसद के आदर्श गांव सुदवास में संचालित हो रहा था. बाकी जो स्कूल संचालित हो रहे हैं. उसमें भी दो से तीन कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. वहीं आगर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय हाटपुरा में एक से पांचवी तक 70 बच्चे, माध्यमिक घोसीपुरा में 9, छावनी में 19 बच्चे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ रहे हैं. इसी तरह सुसनेर विकास खंड के सुसनेर शहर में 13 बच्चे, देहरिया सोयत में 27 और छापरिया में 29 बच्चे पढ़ रहे हैं.


इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी व्यवस्था जिम्मेदारों द्वारा नहीं की गई है. जहां जुगाड़ के जरिए दूसरे स्कूलों के शिक्षकों को अंग्रेजी मीडियम के बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया गया. इतना ही नहीं इन स्कूलों के लिए अलग से भवन की व्यवस्था भी नहीं की गई है. जिसके चलते हिंदी-अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है.

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Intro:गरीब तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से शासन द्वारा जिले में अंग्रेजी माध्यम के 10 स्कूल खुलवाएं थे लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी तथा प्रचार-प्रसार के अभाव के चलते 10 में से 4 अंग्रेजी माध्यम के स्कूल बंद हो चुके है इतना ही नही शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को यह सुध भी नही है कि ये स्कूल बंद हो चुके है जब ईटीवी भारत द्वारा इन स्कूलों के संबंध में जानकारी मांगी गई तब शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को पता चला कि यह स्कूल बंद हो चुके है वही प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी खुद स्कूल बंद होने की इस जानकारी से अनभिज्ञ है। वही जो स्कूल संचालित किए जा रहे है वे भी कही न कही अव्यवस्था के शिकार हो रहे है। बड़ी बात यह है कि अंग्रेजी माध्यम में पड़ने वाले इन बच्चों के स्कूल का डाइस कोड भी आज तक जारी नही हुआ है ये बच्चे पढ़ते अंग्रेजी माध्यम में है और इनकी उपस्थिति हिंदी माध्यम के स्कूलों में दर्ज होती है।जिम्मेदारों का तो कुछ नही लेकिन इन स्कूलों में पड़ने वाले बच्चों का भविष्य जरूर अंधेरे में जा रहा है।


Body:बता दे कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शासन द्वारा वर्ष 2015 में जिले में अंग्रेजी माध्यम के प्रावि व मावि स्तर के 10 स्कूल खोले गए थे इन स्कूलों में आरम्भ से ही न तो शिक्षकों की समुचित व्यवस्था की गई और न ही अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए गए। जिम्मेदारों के इस तरफ ध्यान न देने का नतीजा है कि चारो विकासखंड को मिलाकर खोले गए इन 10 स्कूलों में से 4 स्कूल बंद हो गए। बंद हुवे स्कूलों में नलखेड़ा विकासखंड के 3 तथा बडौद विकासखंड का एक स्कूल शामिल है यह स्कूल सांसद के आदर्श गांव सुदवास में संचालित हो रहा था। बाकी जो स्कूल संचालित हो रहे है उनमें भी दो से तीन कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाकर अंग्रेजी का पाठ पढ़ाया जा रहा है। बता दे कि आगर विकासखंड के प्रावि हाटपुरा में पहली से पांचवी तक 70 बच्चे, मावि घोसीपुरा में 9 बच्चे, मावि छावनी में 19 बच्चे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ रहे है इसी प्रकार सुसनेर विकासखंड के सुसनेर शहर में 13 बच्चे, प्रावि देहरिया सोयत में 27 बच्चे तथा प्रावि छापरिया में 29 बच्चे पढ़ रहे है।


Conclusion:उल्लेखनीय है इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी व्यवस्था जिम्मेदारों द्वारा नही की गई है जुगाड़ के माध्यम से अन्य स्कूलों के शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया गया इतना ही नही इन स्कूलों के लिए अलग से भवन की व्यवस्था भी नही की गई हिंदी माध्यम स्कूलों के एक कक्ष में ही अंग्रेजी माध्यम की सारे बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है।
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