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दमोह में बीजेपी के प्रहलाद के सामने कांग्रेस के प्रताप, मिलेगी जीत या होगी हार - दमोह

दमोह लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रहलाद पटेल का मुकाबला कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी से है, जबकि बुंदेलखंड के मशहूर लोकगीत गायक जित्तू खरे बीएसपी के टिकट से मैदान में हैं, जिससे इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है.

दमोह लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रहलाद पटेल का मुकाबला कांग्रेस के प्रताप लोधी से
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Published : May 5, 2019, 12:24 AM IST

दमोह। बुंदेलखंड अंचल की दमोह लोकसभा सीट पर मतदान का काउंडाउन शुरू हो चुका है. बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाने वाली दमोह लोकसभा सीट पर हर बार की तरह इस बार भी मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है. यहां कांग्रेस ने बीजेपी के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल के सामने कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी को मैदान में उतारा है.

दमोह में दिख रहा त्रिकोणीय मुकाबला
बात अगर दमोह लोकसभा सीट के इतिहास की जाए तो इस सीट से चुनाव जीतने वाले नेता देश की राजनीति में अपनी महती भूमिका निभाते रहे हैं. कभी कांग्रेस के दबदबे वाली दमोह सीट अब बीजेपी का मजबूत किला बन गयी है. जहां 1989 से कांग्रेस लगातार मुंह की खाती आ रही है. 1962 से अबतक यहां14 आम चुनाव हुए हैं. जिनमें आठ बार बीजेपी को जीत मिली है, तो पांच बार कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है. जबकि एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी दमोह में जीत दर्ज की थी. खास बात यह है कि 1989 में पहली बार दमोह लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी पिछले 8 आठ चुनावों से यहां लगातार जीत दर्ज करती आ रही है.

दमोह लोकसभा सीट पर इस बार कुल 17लाख 69हजार 101 मतदाता अपने नए सांसद का चुनाव करेंगे. जिनमें 9 लाख 30हजार 964 पुरुष मतदाता तो 8 लाख 34हजार 266 महिला मतदाता शामिल है. जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 26 है. दमोह संसदीय क्षेत्र में इस बार कुल 2295 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 285 पोलिंग बूथ संवेदनशील और 43 अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है. निर्वाचन आयोग के अनुसार सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग और वीडियोग्राफी से नजर रखी जाएगी.

दमोह लोकसभा सीट के तहत दमोह, पथरिया, जबेरा, हटा, बंडा, रहली, देवरी और बड़ामलहरा विधानसभा सीटें आती हैं. इन आठ सीटों में से चार सीटों पर कांग्रेस काबिज है, तो तीन सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. जबकि एक सीट बीएसपी के खाते में है. विधानसभा चुनाव के आधार पर इस बार दमोह में कांग्रेस ने बीजेपी से एक सीट ज्यादा जीतकर बढ़त बनाई है. 2014 के चुनाव में बीजेपी के प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह को बड़े अंतर से हराया था.

खास बात यह कि दमोह के सियासी समीकरण जातिगत राजनीति के आधार पर ही तय होते हैं. लोधी बाहुल्य मतदाता सीट होने के चलते यहां दोनों पार्टियां इसी जाति से आने वाले प्रत्याशी पर दांव लगाती है. इस बार भी दोनों दलों ने लोधी जाति के प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा है. हालांकि बीएसपी द्वारा बुंदेलखंड अंचल के मशहूर लोकगीत गायक जित्तू खरे को मैदान में उतारे जाने से इस बार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है.

शहरी और ग्रामीण आबादी में बंटी बुंदेलखंड अंचल के इस सीट पर जातिगत राजानीति के साथ-साथ अन्य मुद्दे भी हावी नजर आते हैं. जिनमें बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. साथ ही पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी परेशानियों से भी यहां का मतदाता परेशान नजर आता है. यहां देखना दिलचस्प होगा कि दमोह का मतदाता 6 मई को अपने मत से 23 मई को किसका भाग्य उदय करता है.

दमोह। बुंदेलखंड अंचल की दमोह लोकसभा सीट पर मतदान का काउंडाउन शुरू हो चुका है. बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाने वाली दमोह लोकसभा सीट पर हर बार की तरह इस बार भी मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है. यहां कांग्रेस ने बीजेपी के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल के सामने कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी को मैदान में उतारा है.

दमोह में दिख रहा त्रिकोणीय मुकाबला
बात अगर दमोह लोकसभा सीट के इतिहास की जाए तो इस सीट से चुनाव जीतने वाले नेता देश की राजनीति में अपनी महती भूमिका निभाते रहे हैं. कभी कांग्रेस के दबदबे वाली दमोह सीट अब बीजेपी का मजबूत किला बन गयी है. जहां 1989 से कांग्रेस लगातार मुंह की खाती आ रही है. 1962 से अबतक यहां14 आम चुनाव हुए हैं. जिनमें आठ बार बीजेपी को जीत मिली है, तो पांच बार कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है. जबकि एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी दमोह में जीत दर्ज की थी. खास बात यह है कि 1989 में पहली बार दमोह लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी पिछले 8 आठ चुनावों से यहां लगातार जीत दर्ज करती आ रही है.

दमोह लोकसभा सीट पर इस बार कुल 17लाख 69हजार 101 मतदाता अपने नए सांसद का चुनाव करेंगे. जिनमें 9 लाख 30हजार 964 पुरुष मतदाता तो 8 लाख 34हजार 266 महिला मतदाता शामिल है. जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 26 है. दमोह संसदीय क्षेत्र में इस बार कुल 2295 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 285 पोलिंग बूथ संवेदनशील और 43 अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है. निर्वाचन आयोग के अनुसार सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग और वीडियोग्राफी से नजर रखी जाएगी.

दमोह लोकसभा सीट के तहत दमोह, पथरिया, जबेरा, हटा, बंडा, रहली, देवरी और बड़ामलहरा विधानसभा सीटें आती हैं. इन आठ सीटों में से चार सीटों पर कांग्रेस काबिज है, तो तीन सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. जबकि एक सीट बीएसपी के खाते में है. विधानसभा चुनाव के आधार पर इस बार दमोह में कांग्रेस ने बीजेपी से एक सीट ज्यादा जीतकर बढ़त बनाई है. 2014 के चुनाव में बीजेपी के प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह को बड़े अंतर से हराया था.

खास बात यह कि दमोह के सियासी समीकरण जातिगत राजनीति के आधार पर ही तय होते हैं. लोधी बाहुल्य मतदाता सीट होने के चलते यहां दोनों पार्टियां इसी जाति से आने वाले प्रत्याशी पर दांव लगाती है. इस बार भी दोनों दलों ने लोधी जाति के प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा है. हालांकि बीएसपी द्वारा बुंदेलखंड अंचल के मशहूर लोकगीत गायक जित्तू खरे को मैदान में उतारे जाने से इस बार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है.

शहरी और ग्रामीण आबादी में बंटी बुंदेलखंड अंचल के इस सीट पर जातिगत राजानीति के साथ-साथ अन्य मुद्दे भी हावी नजर आते हैं. जिनमें बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. साथ ही पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी परेशानियों से भी यहां का मतदाता परेशान नजर आता है. यहां देखना दिलचस्प होगा कि दमोह का मतदाता 6 मई को अपने मत से 23 मई को किसका भाग्य उदय करता है.

Intro:दमोह संसदीय क्षेत्र कई चुनाव में रही है हाई प्रोफाइल सीट, यहां से लड़े हैं देश के कई बड़े चेहरे

तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी के बेटे, डॉ रामकृष्ण कुसमरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल यहां से रहे हैं सांसद

भारतीय जनता पार्टी ने प्रहलाद पटेल को फिर बनाया प्रत्याशी, कांग्रेस पार्टी ने बनाया पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी को प्रत्याशी

Anchor. दमोह संसदीय सीट वर्तमान ही नहीं पहले भी हाई प्रोफाइल सीट रही है. पूर्व में भी इस सीट से ऐसे कई चेहरे चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. जो देश की राजनीति में अपनी महती भूमिका निभा चुके हैं. ऐसे कई बड़े चेहरे दमोह संसदीय क्षेत्र की पहचान बने हैं. जो इस सीट को हाई प्रोफाइल सीट का तमगा देती है. दमोह से चुनाव लड़ने वालों में राष्ट्रपति भवन से लेकर फिल्मी दुनिया भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता केंद्र सरकार के मंत्री सहित कई ऐसे चेहरे हैं जो दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनकर संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, और इतना ही नहीं इन चेहरों के प्रचार प्रसार में वे चेहरे भी दमोह आ चुके हैं जो चेहरे देश की पहचान है. जो चेहरे देश का बच्चा-बच्चा जानता है.


Body:Vo. देश की आजादी के बाद सन 1962 में दमोह संसदीय सीट से सहोदरा राय ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता. 1967 के चुनाव में मणि भाई पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता, जो बीड़ी उद्योगपति थे. सन 1971 में तत्कालीन देश के राष्ट्रपति वीवी गिरी के पुत्र शंकर गिरी दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और वे जीते. उस दौरान दमोह की सीट को हाई प्रोफाइल सीट का तमगा हासिल हुआ. राष्ट्रपति के बेटे ने दमोह संसदीय क्षेत्र की बातें संसद भवन में रखी. लेकिन चुनाव जीतने के बाद कभी दमोह नहीं आए. सन 1977 में भारतीय लोक दल के नरेंद्र सिंह ने चुनाव जीता. सन 1980 में कांग्रेस के प्रभु नारायण टंडन ने चुनाव जीता. सन 1984 में कांग्रेस के डालचंद जैन ने चुनाव जीता. सन 1989 में भारतीय जनता पार्टी से लोकेंद्र सिंह चुनाव जीते. सन 1991 सन 1996 सन 1998 और सन 1999 में लगातार चार बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर डॉ रामकृष्ण कुसमरिया दमोह के सांसद बने. साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी के चंद्रभान सिंह लोधी चुनाव जीते. साल 2009 में भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह लोधी चुनाव जीते. 5 साल होने संसद में दमोह संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

बाइट- नारायण सिंह ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीति के जानकार

VO. दमोह को एक बार फिर हाई प्रोफाइल सीट का तमगा तब हासिल हुआ जब साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रहलाद पटेल ने दमोह संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनकर चुनाव जीता. उन्होंने संसद में दमोह का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने पूरे 5 साल दमोह संसदीय क्षेत्र की समस्याओं को संसद के पटल पर रखा एक कई बार टीवी चैनलों की डिबेट में शामिल हुए और संसद में सवाल करते नजर आए. इस बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में वे चुनावी मैदान में हैं 28 जून 1960 को नरसिंहपुर गोटेगांव में जन्मे प्रहलाद सिंह पटेल ग्रेजुएशन एलएलबी है. साथ ही भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता भी माने जाते हैं. साल 2014 के चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह को 222000 से भी ज्यादा मतों से पराजित किया था. उस दौरान मोदी लहर ने भी प्रहलाद पटेल का खूब साथ दिया. साल 2019 के चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान सांसद प्रहलाद पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस की राजनीति कर रहे प्रताप सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है. प्रताप सिंह लोधी साल 2013 में कांग्रेस के टिकट पर जबेरा विधानसभा से विधायक बने थे. 5 साल विपक्ष में रहकर एक बार फिर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने इनको विधायक का टिकट दिया. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के युवा प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह लोधी से प्रताप सिंह लोधी करीब साढे तीन हजार मतों से पराजित हो गए. वही इस बार कांग्रेस ने भी जातिगत आंकड़ों को साधते हुए प्रताप सिंह लोधी को अपना प्रत्याशी बनाया.


Conclusion:Vo. दमोह संसदीय सीट जहां वर्तमान में हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है. वहीं इसके पहले भी चुनाव प्रचार के लिए देश के बड़े नेता सभाओं को संबोधित करने आ चुके हैं. चाहे कांग्रेस हो और चाहे भारतीय जनता पार्टी और अन्य दलों के भी बड़े नेता दमोह की धरती पर लोकसभा चुनाव के समय सभाओं को संबोधित कर अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाते इतिहास रचते रहें है. वर्तमान में दमोह संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने अपने कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल को एक बार फिर दमोह संसदीय क्षेत्र से ही मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को अपना प्रत्याशी बनाया है. जातिगत समीकरणों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस के प्रत्याशी एक ही जाति से आते हैं.

दमोह लोकसभा में जातिगत समीकरण

दमोह लोकसभा में जातिगत समीकरण की बात करें तो आंकड़ों में किसी भी प्रकार से जातिगत समीकरण स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है. लेकिन राजनीतिक पार्टियां जातिगत आंकड़ों को अपने तौर पर तैयार कराती हैं. जातियों के आंकड़ों की बात करें तो दमोह संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 350000 है. अनुसूचित जनजाति के मतदाता करीब 200000 है. लोधी समाज के मतदाता करीब ढाई लाख है. कुर्मी समाज के मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं. ब्राह्मण समाज के मतदाता करीब सवा लाख है. जैन समाज के मतदाता करीब सवा लाख है. मुस्लिम समाज के मतदाता करीब पचास हजार हैं इसी प्रकार अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या भी लोकसभा क्षेत्र में अच्छी खासी है सभी राजनीतिक पार्टियां इन्हीं आंकड़ों के आधार पर जहां चुनाव में टिकट बैठती है वही इन जातियों को साधने में भी लगी हुई है.

आशीष कुमार जैन ईटीवी भारत दमोह



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