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150 वर्ष पुरानी अनूठी परंपरा: तोप की आवाज सुनकर रोजेदार खोलते हैं रोजा, इसी से पता चलता है सहरी का समय

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Published : Apr 17, 2022, 2:19 PM IST

मध्यप्रदेश के उज्जैन में रमजान के महीने में सेहरी और इफ्तारी के समय की जानकारी देने के लिए तोप चलाए जाने की परंपरा है. 150 वर्ष पुरानी इस तोप में एक वक्त में 100 ग्राम बारूद उपयोग होता है और पूरे माह में करीब 3 किलो बारूद का उपयोग किया जाता है. तोप खाना क्षेत्र बाबा महाकालेश्वर के मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर ही है. (Unique tradition in ramadan)

Unique tradition in ramadan
150 वर्ष पुरानी अनुठी परंपरा

उज्जैन। पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग माहे रमजान का पर्व मना रहे हैं. इस पाक महीने में रोजा रखकर खुदा की इबादत की जाती है. ज्यादातर जगह अजान सुनकर या बम फोड़कर सेहरी और इफ्तारी के सही समय की जानकारी मिलती है. लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन में मुस्लिम समाज आज भी रमजान पुरानी परंपरा के अनुसार मना रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सेहरी और इफ्तार के वक्त चलाई जाने वाली बारूद से भरी तोप की. उज्जैन में इसे एक दिन नहीं बल्कि पूरे महीने चलाया जाता है.

तोप की आवास से पता चलता है सहरी और इफ्तार का टाइम

तोप में रमजान भर 3 किलो बारूद का होता है उपयोग: तोप खाना क्षेत्र में बनी 150 वर्ष पुरानी इस तोप में एक वक्त में 100 ग्राम बारूद उपयोग होता है. वहीं पूरे माह में करीब 3 किलो बारूद का उपयोग किया जाता है. उज्जैन के मोहम्मद मकसूद बताते हैं कि सालों पु​रानी इस तोप का प्रयोग रमजान में किया जाता है. तोप के माध्यम से ही आज भी लोगों को सेहरी व इफ्तार के समय एकत्रित करने का संदेश देते हैं. उन्होंने बताया कि एक वक्त था जब तोप की आवाज पूरी नगरी में गुंजती थी. लेकिन अब इमारतें बन जाने से तोप की आवाज केवल 3 किलोमीटर के क्षेत्र में जाती है.

महाकाल की नगरी ने पेश की सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल, बजरंगबली के चल समारोह में मुस्लिम भाइयों ने की फूलों की बारिश

नफरत फैलाने वालों को संदेश दे रहा तोप खाना क्षेत्र: तोप खाना क्षेत्र बाबा महाकालेश्वर के मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर ही है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं और अपना व्यापार व्यवसाय करते हैं. वर्षों से हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे के पर्व पर बड़ी संख्या में इसी क्षेत्र से आवागमन व खरीदारी करते आये हैं. ये समाज में नफरत फैलाने वाले लोगों को शां​ति का संदेश देने वाला क्षेत्र है. (Ramadan mubarak 2022) (Unique tradition in ramadan) (muslims open fast with sound of cannon)

उज्जैन। पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग माहे रमजान का पर्व मना रहे हैं. इस पाक महीने में रोजा रखकर खुदा की इबादत की जाती है. ज्यादातर जगह अजान सुनकर या बम फोड़कर सेहरी और इफ्तारी के सही समय की जानकारी मिलती है. लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन में मुस्लिम समाज आज भी रमजान पुरानी परंपरा के अनुसार मना रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सेहरी और इफ्तार के वक्त चलाई जाने वाली बारूद से भरी तोप की. उज्जैन में इसे एक दिन नहीं बल्कि पूरे महीने चलाया जाता है.

तोप की आवास से पता चलता है सहरी और इफ्तार का टाइम

तोप में रमजान भर 3 किलो बारूद का होता है उपयोग: तोप खाना क्षेत्र में बनी 150 वर्ष पुरानी इस तोप में एक वक्त में 100 ग्राम बारूद उपयोग होता है. वहीं पूरे माह में करीब 3 किलो बारूद का उपयोग किया जाता है. उज्जैन के मोहम्मद मकसूद बताते हैं कि सालों पु​रानी इस तोप का प्रयोग रमजान में किया जाता है. तोप के माध्यम से ही आज भी लोगों को सेहरी व इफ्तार के समय एकत्रित करने का संदेश देते हैं. उन्होंने बताया कि एक वक्त था जब तोप की आवाज पूरी नगरी में गुंजती थी. लेकिन अब इमारतें बन जाने से तोप की आवाज केवल 3 किलोमीटर के क्षेत्र में जाती है.

महाकाल की नगरी ने पेश की सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल, बजरंगबली के चल समारोह में मुस्लिम भाइयों ने की फूलों की बारिश

नफरत फैलाने वालों को संदेश दे रहा तोप खाना क्षेत्र: तोप खाना क्षेत्र बाबा महाकालेश्वर के मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर ही है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं और अपना व्यापार व्यवसाय करते हैं. वर्षों से हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे के पर्व पर बड़ी संख्या में इसी क्षेत्र से आवागमन व खरीदारी करते आये हैं. ये समाज में नफरत फैलाने वाले लोगों को शां​ति का संदेश देने वाला क्षेत्र है. (Ramadan mubarak 2022) (Unique tradition in ramadan) (muslims open fast with sound of cannon)

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