उज्जैन। डोल ग्यारस के मौके पर बाबा महाकाल के सेनापति कालभैरव की मंदिर से शाही सवारी निकाली गई. साल में दो बार नगर भ्रमण पर निकलने वाले कालभैरव मंगलवार ठीक शाम 4 बजे परंपरा अनुसार मंदिर से रजत पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले. बाबा काल भैरव का मंदिर से निकलने से पूर्व पूजन अर्चन किया गया. विशेष आरती की गई जिसमें कलेक्टर व एसएसपी शामिल हुए, और पालकी को कंधा देकर मंदिर से रवाना किया.
कैदियों ने बरसाए फूल: पालकी मंदिर से केंद्रीय भैरवगढ़ जेल पहुंची. जेल में बंद कैदियों ने बाबा कालभैरव के दर्शन लाभ लिए और फूलों की वर्षा कर बाबा का स्वागत किया. जेल अधीक्षक उषा राजे ने बाबा कालभैरव का पूजन किया. इसके अलावा पुलिस बल ने सलामी दी. इसके बाद बाबा भैरव सिद्धवट क्षिप्रा के घाट पहुंचे, जहां पूजन अर्चन के बाद देर शाम मंदिर लौटे. इस दौरान सम्पूर्ण भैरवगढ़ क्षेत्र भैरव नाथ के जय कारों से गूंज उठा. बेंड, ढोल नगाड़ों, भजन मंडली के साथ आम जन ने शाही सवारी में शामिल होकर आनंद उठाया. बाबा भैरव साल में दो बार नगर भ्रमण पर निकलते हैं. एक भैरव अष्टमी और दूसरा ढोल ग्यारस पर. बाबा को इस दौरान चांदी का मुखोटा व चरण पादुकाएं भेंट की गई.
Ujjain Kaal Bhairav savari : नगर भ्रमण पर निकले नगर कोतवाल, जेल से कैदियों ने की फूलों की बारिश
शाही सवारी में उमड़ा भक्तों का सैलाब: पुजारी राजेश चतुर्वेदी ने बताया कि ''बाबा का शासकीय पूजन सम्पन्न कर महाआरती की गई. जिसके बाद शाम 4 बजे बाबा भक्तों के सैलाब संग भ्रमण पर निकले. प्राचीन परमपरांए हैं बाबा मंदिर से जेल पहुंचते हैं और कैदियों को दर्शन देते हैं. फिर क्षिप्रा के घाट सिद्धवट पर बाबा का पूजन अर्चन होता है. इसके बाद बाबा मंदिर लौटते हैं.
बाबा महाकाल के सेनापति के रूप में विराजमान हैं कालभैरव: बाबा कालभैरव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के सेनापति के रूप में विराजमान हैं. बाबा कालभैरव को विश्व भर में सिर्फ अवंतिका तीर्थ में मदिरा का भोग लगाया जाता है. यहां के पूजारी बताते हैं ''मदिरा के भोग के बाद यहां मदिरा की स्मेल तक नही आती और ना आज तक कोई वैज्ञानिक जान पाया है कि ये मदिरा जाती कहां है. प्राचीन काल के इस रहस्यमय मंदिर से श्राद्धालुओं की आस्था भी अटूट है, यहां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी होती है''.
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