उज्जैन। उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की जीत तय(victory of yogi adityanath) हुई एमपी में किए गए शत्रु विजय यज्ञ से. आपको विश्वास भले ही न हो रहा हो लेकिन एमपी के उज्जैन(baglamukhi temple done mirchi havan) में मिर्ची यज्ञ और हवन किया गया. यह यज्ञ उज्जैन में नाथ संप्रदाय के साधू और योगी आदित्यनाथ के गुरू भाईयों ने किया था. यज्ञ करने वाले साधु-संतों का दावा है कि मिर्ची यज्ञ करने से कभी भी असफलता नहीं मिलती. उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उज्जैन से गहरा नाता है. योगी आदित्यनाथ कई बार उज्जैन आ चुके हैं.
भर्तृहरि की गुफा में रहते हैं योगी के साथी
भर्तृहरि गुफा में रहने वाले रामनाथ महाराज, योगी आदित्यनाथ के गुरू भाई हैं. उन्होंने बताया कि जब वे यहां नाथ संप्रदाय की गद्दी के गादीपति बनाए जा रहे थे उनकी धार्मिक परंपराओं को योगी आदित्यनाथ ने ही पूरा किया था. रामनाथ महाराज ने बताया कि 5 राज्यों सहित यूपी चुनाव का परिणाम आने से ठीक पहले उज्जैन में योगी आदित्यनाथ की जीत सुनिश्चित करने के लिए मिर्ची हवन किया गया. गुफा में मौजूद साधु संतों ने का कहना था कि मिर्ची यज्ञ करने पर कभी भी असफलता नहीं मिली है. मिर्ची यज्ञ का नतीजा इतिहास के पन्नों पर दर्ज है. कई बड़े नेता भी शत्रुविजय के लिए पहले भी यहां मिर्ची यज्ञ करा चुके हैं.
मां बगलामुखी के मंदिर में हुआ यज्ञ
योगी आदित्यनाथ की जीत के लिए उज्जैन के मां बगलामुखी मंदिर में मिर्ची हवन किया गया. रामनाथ महाराज के मुताबिक मिर्ची हवन शत्रु पर विजय पाने का सटीक और कारगर साधन है. रामनाथ महाराज ने बताया कि भारत-चीन युद्ध और भारत -पाकिस्तान युद्ध के वक्त भी मिर्ची यज्ञ किया गया था. गुफा के महंत योगी रामनाथ महाराज बताते हैं कि शत्रु पर विजय पाने के लिए पीतांबरा मां बगलामुखी की 10 विधाओं में से मिर्ची हवन आठवें स्थान पर है. उन्होंने बताया कि मां बगलामुखी तंत्र साधना के सबसे प्रमुख देवी मानी जाती हैं.
शुत्र पर जीत के हैं कई उदाहरण
-गुफा में मौजूद साधू संतों के मुताबिक साल 1962 में चीन से युद्ध विराम के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने पितांबरा सिद्ध पीठ दतिया में 11 दिन का तांत्रिक महायज्ञ करवाया था. यज्ञ के 9 वें दिन ही चीन ने आक्रमण रोक दिया. इसके बाद 11वें दिन चीन की सेना वापस लौट गई थी.
-साल 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी गुप्त रूप से तांत्रिक महायज्ञ और मिर्ची हवन कराया गया था.
- साल 1977 में चुनाव हारने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांगड़ा बगलामुखी मंदिर में अनुष्ठान करवाया था कर साल 1980 में जीत हासिल की थी.