सतना। पर्यावरण संरक्षण को लेकर सतना अपर कलेक्टर ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है. अपर कलेक्टर राजेश शाही ने अपनी इस पहल की कोर्ट मैरिज करने आने वाले वर-वधू से एक आग्रह किया है. इस शर्ते के मुताबिक कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े को 5 फलदार पौधे लगाना होता है.अपर कलेक्टर का मानना है कि नव विवाहित जोड़ों द्वारा लगाए जाने वाले ये पौधे न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली बढ़ाने में सहायक भी बनेंगे. अपर कलेक्टर ऐसे कई जोड़ों से पौधारोपण करा भी चुके हैं और अब ये पौधे दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करने नव दंपत्तियों के लिए एक सुखद यादगार भी साबित हो रहे हैं.
जमा कराने होते हैं पौधों के फोटोग्राफ्स और डिटेल: राजेश शाही की इस अनोखी पहल में विवाह के लिए कोर्ट का सहारा लेने वाले नव दंपत्तियों से उनका यह सिर्फ आग्रह या शर्त नहीं है बल्कि इसकी पूरी जांच की जाती है.
- कोर्ट मैरिज करने वाले नव दंपत्ति को मैरिज सर्टिफिकेट देने से पहले पांच वृक्ष लगाकर उनके फोटोग्राफ्स और उनकी पूरी डिटेल कलेक्ट्रेट परिसर में जमा कराई जाती है.
- इसके बाद उन्हें अपर कलेक्टर द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट दिया जाता है.
- वृक्ष लगाने के साथ-साथ दंपत्ति को ही उसकी पूरी देखभाल की जिम्मेदारी उठानी होती है.
- पौधों की उचित देखभाल हो रही है या नहीं इसके लिए समय -समय पर राजस्व अधिकारी भी इसकी जानकारी लेते हैं.
190 फलदार पौधे लगवा चुके हैं: पेड़ पौधे हमारी प्रकृति का सबसे अभिन्न अंग हैं, ऐसे में पर्यावरण संरक्षण को प्रशासनिक कार्यों से जोड़ने को सतना अपर कलेक्टर की अनुकरणीय पहल माना जा रहा है. उन्होंने एडीएम कोर्ट में विवाह के लिए पंजीयन कराने और विवाह का प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले दम्पतियों के लिए न सिर्फ पौधरोपण अनिवार्य कर दिया है, बल्कि यह भी तय किया है इन जोड़ों को किसी सुरक्षित जगह पर पांच फलदार पौधे लगाने होंगे. इसके साथ ही यह संकल्प भी लेना होगा कि वे इन पौधों का पालन-संरक्षण भी करेंगे. अपर कलेक्टर राजेश शाही के अपनी इस पहले से अबतक 38 नव दंपत्तियों ने करीब 190 फलदार पौधे लगवा चुके हैं. विवाह प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अपर कलेक्टर की इस अनोखी शर्त को नव दंपत्ति भी खुश होकर स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि ये फलदार पौधे उनके विवाह की यादगार के तौर पर उन्हें हमेशा खुशी देते रहेंगे.
सीएम की योजना से मिली प्रेरणा:
अपनी इस अनोखी पहल के बारे में अपर कलेक्टर राजेश शाही बताते हैं कि उन्हें इसकी प्रेरणा मुख्यमंत्री द्वारा रोजाना पौधरोपण किये जाने से मिली. इससे उन्हें लगा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने स्तर पर भी कुछ किया जा सकता है. तभी ख्याल आया कि अगर विवाह का प्रमाण पत्र प्राप्त करने अथवा विवाह करने आने वाले जोड़ों को भी इससे जोड़ा जाए तो इसके अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं, हालांकि उन्होंने साफ किया कि इसके लिए वे किसी पर को लेकिन इसके लिए हम किसी पर कोई दबाव नहीं डालते बल्कि आग्रह करते हैं जिसे लोग खुशी - खुशी सहर्ष स्वीकार भी करते हैं.