चित्रकूट (सतना)। अगले साल यूपी समेत 5 राज्यों में होने वाले चुनावों समेत तमाम मुद्दों पर मंथन के लिए चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की बैठक आज से शुरू हो रही है. हाल ही में जिस तरह से डीएनए की बात कर संघ प्रमुख ने सामाजिक एकता के तार छेड़े हैं उससे स्पष्ट है कि रणनीति कुछ ऐसी बनाई जाएगी जिससे सर्व धर्म और सर्व जाति समभाव की विचारधारा को बल मिलेगा. राष्ट्रवाद , कश्मीर, पीओके जैसे मुद्दे तो होंगे ही साथ ही मोदी सरकार कैसे आगामी चुनावों में किला फतेह करे इस पर भी चिंतन होगा.
कोविड के दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में सोशल डिस्टेंसिंग समेत तमाम नियमों का ख्याल रखा जाएगा. नियमानुसार संख्या को नियंत्रित करने हेतु कुछ कार्यकर्ता यहां प्रत्यक्ष रूप से तो कुछ ऑनलाइन माध्यम से जुड़ रहे हैं.
संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिन पहले चित्रकूट पहुंच गए थे. हाल ही में रामजन्मभूमि के कथित घोटाले को लेकर सुर्खियों में आए ट्रस्ट के अध्यक्ष चंपत राय भी गुरुवार को यहां पहुंचे. मुख्य बैठकें 9 जुलाई से 12 जुलाई के बीच होगी.
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इमेज बिल्डिंग की कवायद तेज
हालांकि संघ हमेशा खुद को चुनावी राजनीति से दूर रखने की बात करता है लेकिन सूत्र बताते हैं कि चर्चा इस पर भी होगी कि संघ की ओर से कौन भारतीय जनता पार्टी के साथ कोऑर्डिनेट करेगा. अब तक कृष्णा आचार्य ये भूमिका निभाते आए हैं लेकिन क्या ऐसा आगे भी होगा, इस पर भी फैसला लिया जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश चुनाव की ग्राउंड रियल्टी जानने के लिए ही संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले यूपी का दौरा कर चुके हैं. जिसके बाद उनकी दिल्ली में संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ एक अहम बैठक हुई थी. बताया जा रहा है कि इसमें होसबोले ने यूपी की रिपोर्ट उन्हें सौंपी. सूत्र ये भी बताते हैं कि इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज को लेकर भी विचार विमर्श हुआ.
छनकर जो बातें सामने आईं हैं उसके मुताबिक कोरोना दौर में केन्द्र और सूबे की सरकार ने जिस तरह से जमीन पर काम किया है उससे ज्यादातर लोग नाखुश हैं. कोरोना का साइड इफेक्ट साफतौर पर फायर ब्रैंड यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेन्द्र मोदी की छवि पर पड़ा है.
कहा जा रहा है अब इस रिपोर्ट के आधार पर ही छवि को संवारने की रणनीति पर काम हो रहा है और इस एजेंडे पर प्रमुखता से विचार होगा.
एजेंडे में SC-ST को तरजीह
सूत्र ये भी बताते हैं कि संघ के केन्द्र में SC-ST भी हैं. इस छिटके हुए वर्ग को कैसे खुद से जोड़ा जाए इस पर गहन विमर्श होगा. संघ की कोशिश है कि इनकी जनसंख्या के आधार पर रणनीति को अमली जामा पहनाया जाए. हालांकि कोरोना की वजह से 2021 में प्रस्तावित जनगणना में विलम्ब इसमें एक बड़ी बाधा है. इसलिए संघ अपने तरीके से इस पर एजेंडा सेट करेगा. प्रयास होगा कि खासकर जनजाति वर्ग को गुमराह करने की कोशिश कुछ संस्थाएं न करें.
कामकाज में फेरबदल की गुंजाइश
संघ अपने पदाधिकारियों के कामकाज को लेकर भी गंभीर है. चिंतन शिविर में जहां कश्मीर के साथ ही पीओके, गिलकिट बाल्टीस्तान व अक्साई चीन पर विमर्श होगा वहीं बंगाल, केरल और दिल्ली, पंजाब, राजस्थान में राष्ट्रवाद की भावना को कैसे बल मिले इस पर भी चर्चा होगी. इन्हीं सब तथ्यों के परिपेक्ष्य में प्रांतों में काम कर रहे प्रचारकों के कामकाज में फेरबदल किया जा सकता है. इसमें मप्र की बात हो रही है.
ये है कार्यक्रम
इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबसेले, डॉ. कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य, भैया जी जोशी, अरुण कुमार, राष्ट्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख सुरेश सोनी सहित कई राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी शामिल होंगे.
10 और 11 जुलाई को 300 प्रांतीय प्रचारकों के साथ मोहन भागवत वर्चुअली बैठक लेंगे. सभी बैठकें दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्पों में होंगी जहां पर संघ के विभिन्न प्रान्तों के प्रचारक, विभागाध्यक्ष और संघ के प्रमुख लोग शामिल होंगे.
संगठनात्मक विषयों पर होगी बात
बैठक सामान्य रूप से संगठनात्मक विषयों पर केंद्रित रहेगी. साथ ही कोरोना के संक्रमण से पीड़ित लोगों की सहायता हेतु स्वयंसेवकों द्वारा किये गये देशव्यापी सेवा कार्यों की समीक्षा की जाएगी. संभावित तीसरी लहर के प्रभाव का आंकलन करते हुए, इस हेतु आवश्यक कार्य योजना पर विचार होगा. इस लिहाज़ से आवश्यक प्रशिक्षण और तैयारी पर भी विचार किया जायेगा.
14 जुलाई को भोपाल आएंगे होसबोले, सियासी चर्चा करेंगे
बताया जा रहा है कि संंघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले चित्रकूट से 14 जुलाई को भोपाल आएंगे. दत्तात्रेय भोपाल में बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मिल सकते हैं. कयास लगाए जा रहें हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनसे अलग से बात कर सकते हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर वो संघ के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती के एक सुसज्जित मुख्यालय का उदघाटन करेंगे. विद्या भारती के जरिए ही सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों का संचालन होता है.