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सतना में ऑक्सीजन प्लांट के नाम पर हो रही सिर्फ 'खानापूर्ति', बेसमेंट पर अटका काम - मध्य प्रदेश की खबरें

सतना जिले में बन रहे तीन ऑक्सीजन प्लांट में से सिर्फ दो का काम ही शुरू हो सका है. निर्माण कार्य के नाम पर अभी तक सिर्फ बेसमेंट तैयार किया जा सका है, जबकि समय सीमा पहले ही खत्म हो चुकी है.

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Published : Jun 6, 2021, 4:10 PM IST

सतना। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान देश भर में सबसे ज्यादा किल्लत ऑक्सीजन की हुई थी. प्रदेश में भी लगभग सभी जिलों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था. भविष्य में ऐसी कोई परिस्थिति न बने इसलिए सरकार ने जिलों में ऑक्सीजन प्लांट बनाने का फैसला किया था, इसमें सतना जिला भी शामिल था. शासन ने यहां तीन ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए, लेकिन इसका काम ना के बराबर चल रहा है.

सतना जिले में शासन की मदद से तीन ऑक्सीजन प्लांट जिला अस्पताल में तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कार्य सिर्फ बेसमेंट तक ही पहुंचा है. कुछ लोगों ने आरोप भी लगाए हैं कि यहां जो कार्य चल रहा है, उसमें गुणवत्ता की कमी है.

सतना में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण

तीन प्लांट किए जा रहे तैयार

सतना जिले में 3 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की शुरुआत हो चुकी है. पहला प्लांट 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन का तैयार किया जाना है. दूसरा प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन का तैयार किया जाना है. इसमें पहले प्लांट को करीब 80 लाख के बजट से राज्य सरकार की मदद से तैयार किया जाना है और दूसरे प्लांट को करीब 75 लाख के बजट से मुख्यमंत्री राहत कोष से तैयार किया जाना है.

निर्माण कार्य केवल बेसमेंट तक ही सीमित

इन दोनों ऑक्सीजन प्लांट के बनाने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी तक इसका कार्य केवल बेसमेंट तक ही सीमित है. इसका पूरा कार्य निर्माण एजेंसी एमपीआरडीसी को सौंपा गया है. इन दोनों प्लांटों के बेसमेंट को निर्माण एजेंसी PIU द्वारा बनाया जा रहा है, जिसमें पीडब्ल्यूडी की निर्माण एजेंसी PIU द्वारा 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन प्लांट के बेसमेंट को 9 लाख 56 हजार की लागत से तैयार किया जा रहा है, दूसरा 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन के बेसमेंट को 8 लाख 75 हजार की लागत से तैयार किया जा रहा है. सतना में ईटीवी भारत द्वारा ऑक्सीजन प्लांट कार्य का जब रियलिटी चेक किया गया तो तस्वीर कुछ और ही थी.

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किसी की तय नहीं है जिम्मेदारी

इस मामले में जिला अस्पताल की सिविल सर्जन रेखा त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए बताया कि सतना जिला अस्पताल में मध्यप्रदेश शासन की तरफ से ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना है. एक प्लांट 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन क्षमता का है और दूसरा करीब 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन क्षमता का है, दूसरा प्लांट केंद्र सरकार के द्वारा बनाया जा रहा है. एनएचआई के बजट से यह कार्य पूरा किया जाना है. इसका हमारे यहां से कोई संपर्क नहीं है. जब इस प्लांट का साइट सिलेक्शन होना था, तब जिला कलेक्टर और हम 2 दिन गए थे, लेकिन उसके बाद हम अभी तक उसे देखने नहीं गए.

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कांग्रेस लिखेगी मुख्यमंत्री को पत्र

इस मामले पर कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि शासन, प्रशासन और सरकार को समय सीमा का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर किसी तरीके से लोगों ने देख ली, लेकिन अगर तीसरी और चौथी लहर ऐसे में आ जाती है तो शासन प्रशासन के लिए एक बार फिर बड़ी चुनौती होगी और यह कोई बहुत बड़ा तकनीति काम नहीं है. प्लांट लगाने का काम समयसीमा में नहीं हो रहा है, यह दुखद है. उन्होंने कहा कि इस मामले कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री से बात करेगी और उन्हें पत्र भी लिखेंगे.

जिम्मेदारियों से भाग रहे अधिकारी!

जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अशोक अवधिया से जब बात की गई तो वह भी अपना पल्ला झाड़ते और गोलमोल जवाब देते नजर आए. फिलहाल स्वास्थ्य अधिकारी अपना राग अलापते और अपनी जिम्मेदारियों पर पर्दा डालते हुए नजर आ रहे हैं.

सतना। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान देश भर में सबसे ज्यादा किल्लत ऑक्सीजन की हुई थी. प्रदेश में भी लगभग सभी जिलों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था. भविष्य में ऐसी कोई परिस्थिति न बने इसलिए सरकार ने जिलों में ऑक्सीजन प्लांट बनाने का फैसला किया था, इसमें सतना जिला भी शामिल था. शासन ने यहां तीन ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए, लेकिन इसका काम ना के बराबर चल रहा है.

सतना जिले में शासन की मदद से तीन ऑक्सीजन प्लांट जिला अस्पताल में तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कार्य सिर्फ बेसमेंट तक ही पहुंचा है. कुछ लोगों ने आरोप भी लगाए हैं कि यहां जो कार्य चल रहा है, उसमें गुणवत्ता की कमी है.

सतना में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण

तीन प्लांट किए जा रहे तैयार

सतना जिले में 3 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की शुरुआत हो चुकी है. पहला प्लांट 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन का तैयार किया जाना है. दूसरा प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन का तैयार किया जाना है. इसमें पहले प्लांट को करीब 80 लाख के बजट से राज्य सरकार की मदद से तैयार किया जाना है और दूसरे प्लांट को करीब 75 लाख के बजट से मुख्यमंत्री राहत कोष से तैयार किया जाना है.

निर्माण कार्य केवल बेसमेंट तक ही सीमित

इन दोनों ऑक्सीजन प्लांट के बनाने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी तक इसका कार्य केवल बेसमेंट तक ही सीमित है. इसका पूरा कार्य निर्माण एजेंसी एमपीआरडीसी को सौंपा गया है. इन दोनों प्लांटों के बेसमेंट को निर्माण एजेंसी PIU द्वारा बनाया जा रहा है, जिसमें पीडब्ल्यूडी की निर्माण एजेंसी PIU द्वारा 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन प्लांट के बेसमेंट को 9 लाख 56 हजार की लागत से तैयार किया जा रहा है, दूसरा 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन के बेसमेंट को 8 लाख 75 हजार की लागत से तैयार किया जा रहा है. सतना में ईटीवी भारत द्वारा ऑक्सीजन प्लांट कार्य का जब रियलिटी चेक किया गया तो तस्वीर कुछ और ही थी.

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किसी की तय नहीं है जिम्मेदारी

इस मामले में जिला अस्पताल की सिविल सर्जन रेखा त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए बताया कि सतना जिला अस्पताल में मध्यप्रदेश शासन की तरफ से ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना है. एक प्लांट 600 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन क्षमता का है और दूसरा करीब 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन क्षमता का है, दूसरा प्लांट केंद्र सरकार के द्वारा बनाया जा रहा है. एनएचआई के बजट से यह कार्य पूरा किया जाना है. इसका हमारे यहां से कोई संपर्क नहीं है. जब इस प्लांट का साइट सिलेक्शन होना था, तब जिला कलेक्टर और हम 2 दिन गए थे, लेकिन उसके बाद हम अभी तक उसे देखने नहीं गए.

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इस मामले पर कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि शासन, प्रशासन और सरकार को समय सीमा का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर किसी तरीके से लोगों ने देख ली, लेकिन अगर तीसरी और चौथी लहर ऐसे में आ जाती है तो शासन प्रशासन के लिए एक बार फिर बड़ी चुनौती होगी और यह कोई बहुत बड़ा तकनीति काम नहीं है. प्लांट लगाने का काम समयसीमा में नहीं हो रहा है, यह दुखद है. उन्होंने कहा कि इस मामले कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री से बात करेगी और उन्हें पत्र भी लिखेंगे.

जिम्मेदारियों से भाग रहे अधिकारी!

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