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Sagar News: अंतिम संस्कार की जद्दोजहद! श्मशान घाट में सरकारी तंत्र की लापरवाही, अंतिम संस्कार के लिए हो रही परेशानी - Trouble for Sagar Funeral

मध्यप्रदेश के सागर जिले से दिल को दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण श्मशान घाट में मुर्दों को जलाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है.

Sagar negligence of government machinery
सागर अंतिम संस्कार की जद्दोजहद
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Published : Jul 23, 2022, 10:54 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 11:03 PM IST

सागर। आम इंसान में लाखों बुराइयां हो,लेकिन उसके निधन के बाद बुराइयों को ताक पर रखकर ससम्मान अंतिम संस्कार किया जाता है और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है, लेकिन सरकारी इंतजाम के चलते सागर के बीना विकासखंड में मौत के बाद लोगों का अंतिम संस्कार भी तरीके से नहीं हो पा रहा है. बारिश के चलते लोग अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ये है कि जब शव का दाह संस्कार किया जाता है,तो बारिश का पानी उसके ऊपर ना पड़े. इसका इंतजाम पहले करना पड़ता है.

श्मशान घाट में सरकारी तंत्र की लापरवाही
बीना विकासखंड के किरावर्दा ग्राम पंचायत के पाली गांव के सनी अहिरवार ने बताया कि उसके पिता मुन्ना लाल अहिरवार (70) का गुरुवार की सुबह 5 बजे देहांत हो गया था. सुबह 11:30 बजे हम लोग उनका अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट पहुंचे, लेकिन श्मशान घाट में करीब डेढ़ फुट पानी भरा था. पहले तो हम लोगों ने श्मशान घाट के चारों तरफ नालियां बना कर पानी निकाला. तब जाकर कहीं अंतिम संस्कार के हालात बन सके. करीब 2 बजे हमने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन इसके बाद बारिश शुरू हो गई और लकड़ियां भीगने लगी तो आग बुझने लगी. तब हम गांव के लोगों से टीन के टुकड़े लेकर आए और चिता के ऊपर लगाकर खड़े हुए, तब जाकर अंतिम संस्कार हो सका. बाद में भी गांव के लोगों और मृतक के परिजन देर रात तक रुके रहे कि कहीं बारिश होने से आग ना बुझ जाए.
Sagar negligence of government machinery
अंतिम संस्कार के लिए हो रही परेशानी

हे भगवान! बेच दी सैकड़ों साल पुराने श्मशान घाट की जमीन, वापसी की मांग पर अड़े ग्रामीण

राजनीति के कारण नहीं बन सका श्मशान घाट: जब ग्राम पंचायत के पंचायत सचिव रामबाबू अहिरवार से श्मशान घाट की बदहाली के लिए सवाल पूंछा गया, तो उन्होंने बताया कि 2019 में मनरेगा के तहत श्मशान घाट के निर्माण की स्वीकृति हुई थी, लेकिन गांव की स्थानीय राजनीति के चलते तत्कालीन सरपंच रामबाबू ठाकुर ने अधूरा काम छोड़ दिया था. तब से श्मशान घाट इसी स्थिति में पड़ा हुआ है.

सागर। आम इंसान में लाखों बुराइयां हो,लेकिन उसके निधन के बाद बुराइयों को ताक पर रखकर ससम्मान अंतिम संस्कार किया जाता है और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है, लेकिन सरकारी इंतजाम के चलते सागर के बीना विकासखंड में मौत के बाद लोगों का अंतिम संस्कार भी तरीके से नहीं हो पा रहा है. बारिश के चलते लोग अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ये है कि जब शव का दाह संस्कार किया जाता है,तो बारिश का पानी उसके ऊपर ना पड़े. इसका इंतजाम पहले करना पड़ता है.

श्मशान घाट में सरकारी तंत्र की लापरवाही
बीना विकासखंड के किरावर्दा ग्राम पंचायत के पाली गांव के सनी अहिरवार ने बताया कि उसके पिता मुन्ना लाल अहिरवार (70) का गुरुवार की सुबह 5 बजे देहांत हो गया था. सुबह 11:30 बजे हम लोग उनका अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट पहुंचे, लेकिन श्मशान घाट में करीब डेढ़ फुट पानी भरा था. पहले तो हम लोगों ने श्मशान घाट के चारों तरफ नालियां बना कर पानी निकाला. तब जाकर कहीं अंतिम संस्कार के हालात बन सके. करीब 2 बजे हमने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन इसके बाद बारिश शुरू हो गई और लकड़ियां भीगने लगी तो आग बुझने लगी. तब हम गांव के लोगों से टीन के टुकड़े लेकर आए और चिता के ऊपर लगाकर खड़े हुए, तब जाकर अंतिम संस्कार हो सका. बाद में भी गांव के लोगों और मृतक के परिजन देर रात तक रुके रहे कि कहीं बारिश होने से आग ना बुझ जाए.
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राजनीति के कारण नहीं बन सका श्मशान घाट: जब ग्राम पंचायत के पंचायत सचिव रामबाबू अहिरवार से श्मशान घाट की बदहाली के लिए सवाल पूंछा गया, तो उन्होंने बताया कि 2019 में मनरेगा के तहत श्मशान घाट के निर्माण की स्वीकृति हुई थी, लेकिन गांव की स्थानीय राजनीति के चलते तत्कालीन सरपंच रामबाबू ठाकुर ने अधूरा काम छोड़ दिया था. तब से श्मशान घाट इसी स्थिति में पड़ा हुआ है.

Last Updated : Jul 23, 2022, 11:03 PM IST
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