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मेंटेनेंस कंपनी के इंजीनियर और बैंक कर्मियों ने SBI को लगाया 41 लाख का चूना, कैश डिपॉजिट मशीन से छेड़छाड़ कर रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर की मोटी रकम

एक निजी कंपनी के कर्मचारियों ने कैश डिपोजिट मशीन का मेंटेंनेंस करने के नाम पर बैंक को 41 लाख का चूना लगा दिया. मामले का खुलासा तब हुआ सागर ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच की.

sbi case diposit machine froud
एसबीआई की कैश डिपॉजिट मशीन के जरिए धोखाधड़ी
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Published : Apr 30, 2022, 7:51 PM IST

सागर। टीकमगढ़ की एसबीआई शाखा और बैंकिंग से जुड़ी मशीनें सुधारने वाली एक निजी कंपनी के कर्मचारियों ने कैश डिपोजिट मशीन का मेंटेंनेंस करने के नाम पर बैंक को 41 लाख का चूना लगा दिया. मामले का खुलासा तब हुआ सागर ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच की. पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू (EOW) ने जब मामले की शिकायत की गई तब पता चला कि एक निजी कंपनी डायबोल्ट और एसबीआई बैंक की टीकमगढ़ शाखा के कर्मचारियों ने मिलकर सीडीएम मशीन से अपने परिचितों और रिश्तेदारों के खातों में 41 लाख 19 हजार रूपए ट्रांसफर किए हैं. मामले की जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.

sbi case diposit machine froud
इस तरह लगाया 41 लाख का चूना:मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू में किए जाने के बाद मामले की जांच निरीक्षक उमा नवल आर्य को सौंपी गई. जांच में उन्होंने पाया कि बैंकिंग से जुड़ी मशीनें सुधारने वाली डाईबोल्ट कंपनी के इंजीनियर सीताराम तिवारी और अन्य आरोपियों ने एसबीआई की टीकमगढ़ शाखा में सीडीएम मशीन को रिपेयर करने के दौरान 41 लाख 19 हजार रूपए अवैध तरीके से अपने परिचितों और रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर किए हैं.

-डाईबोल्ट कंपनी के इंजीनियर आरोपी सीताराम तिवारी को सीडीएम मशीन रिपेयर करने के लिए बैंक के ज्वाइंट कस्टोडियन ओम प्रकाश और अन्य लोग फोन करके बुलाते थे.
- मशीन की रिपेयरिंग के दौरान बैंक कर्मचारी भी वहीं मौजूद रहते थे.
- आरोपी इंजीनियर सीताराम तिवारी सीडीएम मशीन ठीक करने के दौरान 100, 500 और 1000 रूपए के नोट के पैकेट ज्वाइंट कस्टोडियन से ले लेता था.
- मशीन को सुपरवाइजरी मोड से हटाकर कंज्यूमर मोड में कराकर रुपयों को मशीन में डालते थे.
- इसके बाद अपने एटीएम के जरिए आरोपी, रिश्तेदारों और परिचितों के खातों में पैसे ट्रांसफर कर देते थे.
- इसके बाद सीडीएम मशीन को ज्वाइंट कस्टोडियन से कंज्यूमर मोड से सुपरवाइजरी मोड में करा देते थे.
- खास बात यह है कि आरोपी इस दौरान हुए ट्रांजेक्शन की काउंटर स्लिप जीरो कर देते थे.
- जिससे मशीन में मौजूद बैलेंस का भी पता भी नहीं चलता था.

सवा 2 साल में किए 260 ट्रांजैक्शन:
आरोपियों ने इस तरीके से 12 जून 2014 से लेकर 21 अक्टूबर 2016 तक 260 ट्रांजैक्शन किए. इनके एसबीआई टीकमगढ़ शाखा की ईवीएम मशीन से एटीएम कार्ड के द्वारा पांच आरोपियों और उनके परिचितों के खाते में 41 लाख 19 हजार रूपये जमा किए गए. जांच में इसकी तस्दीक भी हो चुकी है कि इन खातों से अलग-अलग तारीखों में पैसे निकालकर बैंक के साथ धोखाधड़ी की गई है. इस धोखाधड़ी में एसबीआई टीकमगढ़ के ज्वाइंट कस्टोडियन ने आरोपियों की मदद की.

आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई मामलों में हुई FIR: जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है. जिसकी जांच जारी है. इन आरोपियों में डायबोल्ट कंपनी के इंजीनियर सीताराम तिवारी, रितेश खरे, अरुण कुमार पांडेय, ब्रजकिशोर पांडेय, जितेंद्र तिवारी के साथ ही बैंक कर्मचारी ओम प्रकाश सक्सेना, शील चंद वर्मा, अनिल वाजपेई और बाबूलाल के नाम शामिल हैं. ईओडब्ल्यू ने इन आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 408, 409, 468, 477 ए, 120 बी आईपीसी 7 सी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

सागर। टीकमगढ़ की एसबीआई शाखा और बैंकिंग से जुड़ी मशीनें सुधारने वाली एक निजी कंपनी के कर्मचारियों ने कैश डिपोजिट मशीन का मेंटेंनेंस करने के नाम पर बैंक को 41 लाख का चूना लगा दिया. मामले का खुलासा तब हुआ सागर ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच की. पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू (EOW) ने जब मामले की शिकायत की गई तब पता चला कि एक निजी कंपनी डायबोल्ट और एसबीआई बैंक की टीकमगढ़ शाखा के कर्मचारियों ने मिलकर सीडीएम मशीन से अपने परिचितों और रिश्तेदारों के खातों में 41 लाख 19 हजार रूपए ट्रांसफर किए हैं. मामले की जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.

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इस तरह लगाया 41 लाख का चूना:मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू में किए जाने के बाद मामले की जांच निरीक्षक उमा नवल आर्य को सौंपी गई. जांच में उन्होंने पाया कि बैंकिंग से जुड़ी मशीनें सुधारने वाली डाईबोल्ट कंपनी के इंजीनियर सीताराम तिवारी और अन्य आरोपियों ने एसबीआई की टीकमगढ़ शाखा में सीडीएम मशीन को रिपेयर करने के दौरान 41 लाख 19 हजार रूपए अवैध तरीके से अपने परिचितों और रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर किए हैं.

-डाईबोल्ट कंपनी के इंजीनियर आरोपी सीताराम तिवारी को सीडीएम मशीन रिपेयर करने के लिए बैंक के ज्वाइंट कस्टोडियन ओम प्रकाश और अन्य लोग फोन करके बुलाते थे.
- मशीन की रिपेयरिंग के दौरान बैंक कर्मचारी भी वहीं मौजूद रहते थे.
- आरोपी इंजीनियर सीताराम तिवारी सीडीएम मशीन ठीक करने के दौरान 100, 500 और 1000 रूपए के नोट के पैकेट ज्वाइंट कस्टोडियन से ले लेता था.
- मशीन को सुपरवाइजरी मोड से हटाकर कंज्यूमर मोड में कराकर रुपयों को मशीन में डालते थे.
- इसके बाद अपने एटीएम के जरिए आरोपी, रिश्तेदारों और परिचितों के खातों में पैसे ट्रांसफर कर देते थे.
- इसके बाद सीडीएम मशीन को ज्वाइंट कस्टोडियन से कंज्यूमर मोड से सुपरवाइजरी मोड में करा देते थे.
- खास बात यह है कि आरोपी इस दौरान हुए ट्रांजेक्शन की काउंटर स्लिप जीरो कर देते थे.
- जिससे मशीन में मौजूद बैलेंस का भी पता भी नहीं चलता था.

सवा 2 साल में किए 260 ट्रांजैक्शन:
आरोपियों ने इस तरीके से 12 जून 2014 से लेकर 21 अक्टूबर 2016 तक 260 ट्रांजैक्शन किए. इनके एसबीआई टीकमगढ़ शाखा की ईवीएम मशीन से एटीएम कार्ड के द्वारा पांच आरोपियों और उनके परिचितों के खाते में 41 लाख 19 हजार रूपये जमा किए गए. जांच में इसकी तस्दीक भी हो चुकी है कि इन खातों से अलग-अलग तारीखों में पैसे निकालकर बैंक के साथ धोखाधड़ी की गई है. इस धोखाधड़ी में एसबीआई टीकमगढ़ के ज्वाइंट कस्टोडियन ने आरोपियों की मदद की.

आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई मामलों में हुई FIR: जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है. जिसकी जांच जारी है. इन आरोपियों में डायबोल्ट कंपनी के इंजीनियर सीताराम तिवारी, रितेश खरे, अरुण कुमार पांडेय, ब्रजकिशोर पांडेय, जितेंद्र तिवारी के साथ ही बैंक कर्मचारी ओम प्रकाश सक्सेना, शील चंद वर्मा, अनिल वाजपेई और बाबूलाल के नाम शामिल हैं. ईओडब्ल्यू ने इन आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 408, 409, 468, 477 ए, 120 बी आईपीसी 7 सी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

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