सागर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वन्य जीव अभ्यारण्य नौरादेही को टाइगर रिजर्व में बदलने का प्रस्ताव भेजा गया है. राष्ट्रीय बाघ परियोजना के सफल क्रियान्वयन के बाद नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों का कुनबा बढ़ गया है और इनकी संख्या 9 हो गई है. लेकिन अभी तक नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की अनुमति नहीं मिली है. वन्य जीव प्रेमी और संस्थाएं नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व के मुफीद नहीं पाते. इन जानकारों का कहना है कि नौरादेही अभयारण्य में काफी संख्या में आबादी है और अगर यहां टाइगर रिजर्व बनाया जाता है तो टाइगर और आबादी दोनों के लिए खतरा पैदा होगा. हालांकि वन विभाग का कहना है कि, अभयारण्य के अंदर मौजूद गांव के विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी है और आज की स्थिति में करीब 750 वर्ग किमी क्षेत्रफल आबादी विहीन हो चुका है. विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी रहने के कारण जल्द ही पूरा अभयारण्य आबादी विहीन हो जाएगा.
नौरादेही और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य को मिलाकर बनाया जा रहा है टाइगर रिजर्व: प्रदेश के सबसे बड़े अभ्यारण नौरादेही अभ्यारण्य की बात करें, तो यह सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला है. इसका क्षेत्रफल 1197 वर्ग किमी है. प्रदेश के सबसे बड़े अभ्यारण्य होने के साथ-साथ यह राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी महत्वपूर्ण अभयारण्य हैं. 2018 में यहां राष्ट्रीय बाघ परियोजना के अंतर्गत बाघों को बसाने की पहल की गई थी और महज 3 सालों में बाघों की संख्या 9 पहुंच चुकी है. बाघों की बसाहट के अनुकूल पाए जाने के कारण नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. 1197 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले नौरादेही और 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव जनवरी 2022 में राज्य सरकार को भेजा गया है. सूत्रों की मानें तो राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में ये प्रस्ताव रखा जा चुका है और इसकी प्रक्रिया भी विचाराधीन हैं.
बाघिन राधा और बाघ किशन ने बढ़ाया नौरादेही में अपना कुनबा: नौरादेही अभयारण्य में पहले अफ्रीकी चीतों को बसाने की तैयारी चल रही थी. लेकिन 2018 में राष्ट्रीय बाघ परियोजना के अंतर्गत यहां बाघों की शिफ्टिंग कर बाघों को बसाने की पहल की गई. कान्हा नेशनल पार्क से 2018 में बाघिन राधा को और बांधवगढ़ से बाघ किशन को नौरादेही अभ्यारण्य में छोड़ा गया था. मई 2019 में राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें दो मादा और एक नर है. वहीं नवंबर 2021 में राधा ने दो और शावकों को जन्म दिया, इसके बाद एक नया बाघ नौरादेही अभ्यारण्य में मेहमान के तौर पर डेरा जमाए हुए हैं. पिछले कई दिनों से बाघ नौरादेही में ही देखा जा रहा है. अप्रैल माह में राधा बाघिन से जन्मी बाघिन एन- 112 दो शावकों के साथ कैमरे में कैद की गई थी. इस तरह से नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों की कुल संख्या 10 पहुंच गई है. जिनमें से 9 बाग नौरादेही के और एक बाघ मेहमान है.
अभयारण्य के नोटिफिकेशन के बावजूद भी नौरादेही के ग्रामों का विस्थापन नहीं हो पाया है. बहुत बड़ी आबादी अभयारण्य के अंदर रहती है, जिसकी संख्या हजारों में है. इसके अलावा अतिक्रमण की समस्या बनी हुई है, मैंने खुद नौरादेही अभ्यारण को दो-तीन बार देखा है.
- अजय दुबे, संयोजक प्रयत्न संस्था
अभ्यारण की सीमा में बड़े पैमाने पर इंसानी आबादी: एक समय था कि नौरादेही अभयारण्य की सीमा में 100 से ज्यादा गांव बसे हुए थे. मौजूदा स्थिति में 3 जिलों में फैले अभयारण्य में 76 गांव हैं, जिनमें से 56 गांव अभ्यारण्य और 20 गांव अभयारण्य के कोर एरिया में है. हालांकि विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी है और मौजूदा स्थिति में करीब 35 गांव खाली कराए जा चुके हैं और बाकी बचे गांव में विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है. वन्य जीव प्रेमी और पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं का मानना है कि हजारों की संख्या में आबादी होने पर नौरादेही अभयारण्य में बाघों को बसाया जाना इंसान और बाघ दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है. कई गांव के लोग अभी भी अपना गांव और जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, ऐसी स्थिति में वन विभाग को चाहिए कि विस्थापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही बाघों को बसाने पर ध्यान दें. वहीं वन विभाग का कहना है कि हमारे पास अभयारण्य के क्षेत्रफल का दो तिहाई हिस्सा पूरी तरह से आबादीविहीन है, जहां 50 की संख्या में भी बाघ आसानी से बचाए जा सकते हैं.
मौजूदा स्थिति में वन्यजीव और इंसानों में बढ़ेगा टकराव: प्रयत्न संस्था के संयोजक अजय दुबे कहते हैं कि, मध्यप्रदेश का नौरादेही अभ्यारण्य बहुत सुंदर और बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और पन्ना टाइगर रिजर्व के निकट है. नौरादेही अभयारण्य को सुरक्षा और संरक्षण जरूरी है. वहां पर जहां अभी बाघों का संरक्षण हो रहा है, वह एक सीमित क्षेत्र में और वन विभाग की सतत मॉनिटरिंग में हो रहा है. पन्ना टाइगर रिजर्व का केन बेतवा लिंक परियोजना में काफी हिस्सा डूब जाएगा, उसके बाद नौरादेही में वन्य प्राणियों के संरक्षण और टाइगर रिजर्व बनाने की जरूरत है. वन विभाग की प्राथमिकता होनी चाहिए कि, उस वन क्षेत्र की भूमि के आसपास के रहवासी क्षेत्र का दबाव कम करें. जो पालतू पशु अभयारण्य के अंदर जाते हैं, उससे बाघ का शिकार हो सकता है और पालतू पशुओं पर भी हमला हो सकता है. ऐसे में अभयारण्य के वन्य प्राणियों, इंसानों और अन्य जानवरों के बीच टकराइट बढ़ सकती है. हमारी सरकार से मांग है कि विस्थापन को लेकर सरकार संवेदनशीलता और विनम्रता से वहां के रहवासियों से संवाद करें। बातचीत के बाद वहां पर बेहतर मुआवजे के साथ उन्हें विस्थापित करें. अतिक्रमण को सख्ती से हटाए, स्थानीय मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को इसका महत्व समझते हुए मदद करना चाहिए.
नौरादेही अभ्यारण का दो तिहाई हिस्सा आबादी मुक्त: सागर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक अमित दुबे कहते हैं कि, शासन को टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव भेजा गया है. नौरादेही अभयारण्य जो 3 जिले दमोह, सागर और नरसिंहपुर में है और दमोह जिले के सिंग्रामपुर में स्थित रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर एक टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है. मुख्यालय स्तर पर प्रक्रिया जारी है और विचाराधीन हैं. नौरादेही अभ्यारण्य में इंसानी आबादी को लेकर मुख्य वन संरक्षक कहते हैं किm ऐसा नहीं है. नौरादेही अभ्यारण्य के काफी गांव बाहर किए जा चुके हैं. नौरादेही अभ्यारण्य में वर्तमान में 750 वर्ग किमी का ऐसा वन क्षेत्र है, जो आबादी मुक्त है. यह काफी बड़ा क्षेत्र है, जिसमें बहुत सारे टाइगर रह सकते हैं.