सागर। कई बार बच्चे खेल-खेल में बड़ा कारनामा कर दिखाते हैं, ऐसा ही कारनामा बीना की 9 साल की नैषधा साहू ने कर दिखाया है. नैषधा साहू ने आंखें बंद करके महज 9 सैकंड में स्नैक क्यूब फोल्ड करने का रिकार्ड बनाया है, उनके पेरेंट्स को अंदाजा नहीं था कि नैषधा रिकॉर्ड बना चुकी है. दरअसल नैषधा खुद बाजार से स्नैक क्यूब लाई और फोल्ड करने की प्रेक्टिस करने लगी, नैषधा ने जब पेरेंट्स को आंखें बंद कर कुछ ही सैकंड में क्यूब फोल्ड कर दिखाया तो पेरेंट्स हैरान रह गए और जानकारी जुटाई. बाद में पता चला कि उनकी बेटी ने रिकॉर्ड बना दिया है, नैषधा के पिता ने इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स (India Book of Records) से संपर्क किया और तमाम औपचारिकताओं के बाद नैषधा का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया.
लगातार प्रेक्टिस से हासिल किया मुकाम: बीना के सर्वोदय चौराहा के नजदीक रहने वाले मोहित साहू और निधि साहू की बेटी नैषधा साहू कक्षा पांचवीं की छात्रा है. नैषधा को पजल सॉल्व करने का शौक है, इसी शौक के चलते नैषधा बाजार से खुद स्नैक क्यूव लेकर आई और प्रैक्टिस करने में जुट गई. पहले नैषधा ने खुली आंखों से फिर आंखें बंद कर स्नैक क्यूब को फोल्ड करने की प्रेक्टिस की, कुछ ही दिनों में नैषधा चंद सैकंड में स्नैक क्यूब फोल्ड करने लगी. नैषधा के माता पिता ने जब देखा तो वह भी हैरान रह गए. बाद में नैषधा के पिता ने इंटरनेट से जानकारी जुटाई, तो पता चला कि स्नैक क्यूब सॉल्व करने का रिकार्ड 15 सैकंड का है.
इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज: नैषधा के पिता ने अपनी बच्ची का वीडियो बनाकर दिल्ली में इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स से संपर्क किया. इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स कार्यालय ने नैषधा का वीडियो देखने के बाद एक टीम बीना भेजी, जिसके बाद टीम ने नैषधा का कमाल देखने के बाद सार्वजनिक तौर पर वीडियो रिकार्डिंग की. 9 साल की नैषधा ने आंखें बंद कर महज नौ सैकंड में यह कमाल कर दिखाया, जिसके बाद इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स ने नैषधा का नाम 'आंखें बंद कर स्नैक क्यूव फोल्ड' करने के रिकॉर्ड में दर्ज किया है.
गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स के लिए प्रयास: नैषधा के पिता मोहित और मां निधि साहू अपनी बेटी की उपलब्धि पर खुश हैं और अब नैषधा का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज कराने का प्रयास कर रहे हैं. नैषधा के पेरेंट्स का कहना है कि "सभी बच्चों में कोई ना कोई हुनर होता है, बस उन्हें थोड़े से सपोर्ट की जरूरत होती है. फील्ड कोई भी हो, बच्चों को प्रोत्साहन जरूरी है."