सागर। मिट्टी बचाने (Journey to Save Soil) के लिए मुहिम चला रहे प्रसिद्ध धर्मगुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru jaggi vasudev) 100 दिनों की यात्रा के 79वें दिन सागर पहुंचे. लंदन से शुरू हुई और 27 देशों से होकर गुजरने वाली यात्रा 79वें दिन सागर पहुंची. नगरवासियों ने सद्गुरू का भव्य स्वागत किया. यहां भैसा स्कूल के पास यात्रा के स्वागत और सद्गुरू के उद्बोधन की व्यवस्था ईशा फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई. इस मौके पर सद्गुरू ने कहा कि- "एक बड़ा संकट आने वाला है, इसलिए मिट्टी को बचाए रखना जरूरी है. जब हम अगले 15 वर्ष तक बिना रुके काम करेंगे तब मिट्टी बचेगी. कार्यक्रम स्थल पर मिट्टी बचाओ से संबंधित चल चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिले में बन रहे 111 अमृत तालाबों के बारे में भी जानकारी प्रदर्शित की गई.
वर्तमान की गतिविधियां भविष्य का मार्ग तय करेंगी: इस यात्रा का उद्देश्य मिट्टी में नीतिगत सुधार के जरिए कृषि भूमि में कम से कम 3 से 6 प्रतिशत जैविक तत्व को आवश्यक रूप से बनाए रखना है. मृदा वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जैविक तत्व के बिना मिट्टी की मृत्यु निश्चित है, इस घटना को 'मिट्टी का विलुप्त होना' भी कहा जा रहा है. सद्गुरू ने कहा कि हम एक बड़े संकट से गुजरने वाले हैं, अब बहुत जरूरी हो गया है कि हम मिट्टी को बचाने के लिए एक बड़ी मुहिम चलाएं, ताकि इस दिशा में सही निर्णय लिए जा सकें. मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखना और जहां आवश्यक है उसे पुनर्जीवित करने के उपाय शीघ्र अपनाने होंगे. हमारी वर्तमान की गतिविधियां भविष्य निर्माण का मार्ग तय करेंगी.
21 मार्च को लंदन से शुरू हुई यात्रा: सदगुरू जग्गी वासुदेव ने 100 दिन में 30 हजार किमी की मोटर साइकिल यात्रा 'जर्नी टू सेव सॉइल' (मिट्टी बचाओ अभियान) की शुरुआत की थी. 21 मार्च को सद्गुरू ने लंदन से इस आंदोलन को शुरू किया था, जो 21 जून 2022 को खत्म होगा. इस यात्रा के दौरान सद्गुरू 26 देशों में होकर आए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका समर्थन किया और 'सेव सॉइल' को लेकर जागरूक होने का विश्व से आह्वान कर 5 सूत्रीय मंत्र भी साझा किया.
कैंपेन को पीएम मोदी का सपोर्ट: सद्गुरू जग्गी वासुदेव के इस कैंपेन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समर्थन किया है और सेव सॉइल को लेकर सम्पूर्ण विश्व से आह्वान कर जागरूक होने का 5 सूत्रीय मंत्र भी साझा किया है. बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण सबसे ज्यादा खतरा पृथ्वी को है. कई तरह के खतरनाक रसायनों का उपयोग करने से धरती की उर्वरा नष्ट होती जा रही है. इस संकट को देखते हुए विश्व भर के प्रबुद्ध वर्ग व राजनेता, सामाजिक संगठन चिंता जता रहे हैं.
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