सागर। मध्यप्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मतदान के बाद चुनाव परिणाम का भले ही इंतजार किया जा रहा हो, लेकिन मतदान केंद्रों पर हुई वोटों की गिनती से चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. एक तरफ राजस्व एवं परिवहन मंत्री के भाई हीरा सिंह राजपूत प्रदेश भर में अकेले जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हुए, तो दूसरी तरफ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को उनके गृह ग्राम में ही जबरदस्त झटका लगा है. उनका गढ़ माने जाने वाले इलाके में उनके भतीजे अरविंद सिंह टिंकू राजा की करारी हार हुई है. हालांकि अभी चुनाव परिणाम घोषित होना बाकी है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक बताया जा रहा है कि मंत्री के भतीजे की करीब 5 हजार वोटों से हार हुई है. हालांकि जीतने वाले पक्ष का दावा है कि, उनकी जीत 10 हजार वोटों से ज्यादा से हुई है. खास बात यह है कि जीतने वाले भी भाजपा नेता केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के करीबी हैं.
वार्ड नंबर 5 का शुरुआत से रहा रोचक मुकाबला: सागर जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 5 में शुरुआत से ही रोचक मुकाबला देखने को मिला. जिला पंचायत का ये वार्ड नरयावली विधानसभा के अंतर्गत आता है. इस वार्ड में प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का पैतृक गांव जैरई भी है. ये इलाका मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के परिवार का गढ़ माना जाता है, लेकिन पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में इस इलाके में हुए मतदान में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भतीजे अरविंद सिंह राजपूत टिंकू राजा को हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि मंत्री परिवार द्वारा निर्विरोध चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश की गई थी. लेकिन उन्हीं की पार्टी के केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के समर्थक सर्वजीत सिंह ने ना तो नामांकन वापस लिया, बल्कि चुनाव में मंत्री के परिवार का डटकर मुकाबला किया.
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सागर जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 05 से 22 वर्षीय युवा प्रत्याशी सर्वजीत ने प्रचंड मतों से विजय हासिल की है। उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सागर, श्रीमती तृप्ति सिंह जी व पूरे परिवार को मिठाई खिलाकर सबके साथ खुशी बांटी और शुभकामनाएं दी। pic.twitter.com/JO9ihU2II9
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) July 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) July 10, 2022
सर्वजीत सिंह ने अरविंद सिंह को करीब 5 हजार मतों से हराया: मतदान के दिन हालात ये बने कि मंत्री के गांव में प्रत्याशी सर्वजीत सिंह के लिए पोलिंग एजेंट तक नहीं मिले. ऐसे में उनकी चाची तृप्ति सिंह, जो सागर जिला पंचायत की पूर्व उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने पोलिंग एजेंट का काम संभाला. दिनभर चले मतदान के बाद जब वोटों की गिनती हुई, तो परिणाम चौंकाने वाले थे. मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भतीजे अरविंद सिंह अपने प्रतिद्वंदी सर्वजीत सिंह से चुनाव हार गए. वैसे तो हार जीत के अंतर को लेकर तरह-तरह के दावे चल रहे हैं, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक सर्वजीत सिंह ने अरविंद सिंह को करीब 5000 मतों से हराया है.
कौन है सर्वजीत सिंह: सर्वजीत सिंह बंडा विधानसभा क्षेत्र के कानोनी गांव के रहने वाले हैं. इनकी चाची तृप्ति सिंह सागर जिला पंचायत की पूर्व उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. दमोह सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के करीबी हैं. फिलहाल सर्वजीत सिंह की उम्र महज 21 साल है. मंत्री के भतीजे को हराने के बाद सर्वजीत सिंह चर्चाओं में हैं.
10 हजार सीट जीत का दावा, परिणाम आना बाकी: जिला पंचायत सदस्य चुनाव को लेकर सर्वजीत सिंह के पिता करण सिंह का कहना है कि, मेरे दो बेटे हैं. सर्वजीत सिंह छोटा बेटा है, जिसकी उम्र 21 साल 6 महीने हैं. इस चुनाव में सिर्फ दो लोगों के बीच मुकाबला था और जिला पंचायत वार्ड में करीब 42 हजार वोटर थे. फिलहाल चुनाव परिणाम घोषित नहीं किया गया है, लेकिन वार्ड क्रमांक 5 के सभी मतदान केंद्रों की गिनती हो चुकी है और हमने जो जानकारी इकट्ठा की है, उसके हिसाब से 10,000 से ज्यादा मतों से जीते हैं. हालांकि अभी चुनाव परिणाम घोषित नहीं किए गए हैं और इनकी अधिकृत घोषणा पंचायत के सभी चुनाव परिणाम के साथ की जाएगी.
सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत के लिए खतरे की घंटी: गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरासिंह राजपूत मध्य प्रदेश के इकलौते ऐसे जिला पंचायत सदस्य हैं, जो निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. गोविंद सिंह राजपूत अपने भाई को सागर जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने परिजनों को भी दूसरे वार्ड से मैदान में उतारा था कि, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के समय परेशानी ना हो. राजस्व एवं परिवहन मंत्री को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि, उनके गढ़ में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा. सबसे बड़ी बात ये है कि, गोविंद सिंह राजपूत भाजपा में पहुंच चुके हैं और उन्हें ये हार भाजपा के उम्मीदवार से ही मिली है. ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि, अब सिंधिया समर्थकों को मध्यप्रदेश में भाजपा के ही अंदर कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा. खासकर अगले विधानसभा चुनाव में और भी विपरीत परिस्थितियां हो सकती हैं.