सागर। प्रदेश भर में चल रहे नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा बड़ी जीत का दावा कर रही है, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने कई इलाकों में भाजपा की नींद उड़ाई हुई है. बीजेपी प्रदेश की 16 की 16 नगर निगमों पर कब्जा करना चाहती है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कई नगर निगमों में ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं कि बीजेपी को अपनी जीत सुनिश्चित करने में पसीना आ रहा है. सागर नगर निगम की बात करें, तो प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह की साख दांव पर लगी हुई है, नगरीय प्रशासन मंत्री होने के नाते एक तरह से नगरीय निकाय चुनाव पूरे प्रदेश में उनके कामकाज का आकलन है. हालांकि उनके गृह जिले में कमलनाथ ने ऐसा दांव खेला है कि तमाम चुनाव छोड़कर भूपेंद्र सिंह सागर में डेरा डाले हुए हैं और भाजपा की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं.
कमलनाथ ने चली ऐसी चाल कि बीजेपी हो गई बेहाल: सागर नगर निगम के महापौर पद के प्रत्याशी चयन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने ऐसी चाल चली कि बीजेपी उलझी हुई नजर आ रही है. दरअसल कमलनाथ ने जैन और ब्राह्मण बाहुल्य वाली महापौर सीट पर जैन महिला को प्रत्याशी बनाया है, खास बात ये है कि कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के मौजूदा विधायक शैलेंद्र जैन के छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी हैं जो कि जिले की देवरी विधानसभा से कांग्रेस विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं, इसलिए शहर में उनकी सामाजिक सक्रियता काफी ज्यादा है. वहीं महापौर प्रत्याशी उनकी पत्नी निधि जैन भी एक जाना पहचाना नाम हैं. बीजेपी की मुश्किल ये थी कि 1993 से लगातार बीजेपी विधानसभा चुनाव के लिए जैन उम्मीदवार को टिकट देती आ रही है, बीजेपी पर दबाव था कि महापौर चुनाव के लिए किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाए. बीजेपी के पास कई कद्दावर नेता थे, लेकिन बीजेपी ने कुछ साल पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सुशील जैन की पत्नी संगीता तिवारी को उम्मीदवार बनाया, जबकि सुशील तिवारी कांग्रेस के टिकट पर दो बार भाजपा के मौजूदा विधायक शैलेंद्र जैन से चुनाव हार चुके हैं. सुशील तिवारी नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के करीबी हैं और माना जा रहा है कि उन्हीं ने उनकी पत्नी को टिकट दिलाया है.
टिकट वितरण से विधायक और पार्टी कार्यकर्ता निराश: भाजपा के कई समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस से आए व्यक्ति को महापौर उम्मीदवार बनाने से जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है, वहीं स्थानीय विधायक शैलेंद्र जैन भी टिकट वितरण से नाराज हैं. हालांकि पार्टी के निर्देश पर सभी महापौर टिकट के दावेदार और विधायक पार्टी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं, लेकिन इन लोगों में जोश और उत्साह नजर नहीं आ रहा है.
भूपेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा का सवाल बनी सागर महापौर सीट: पार्टी के सभी योग्य दावेदारों को दरकिनार कर अपने मित्र और कांग्रेस से आए नेता की पत्नी को टिकट दिए जाने के बाद अब बीजेपी की जीत का वजन एक तरह से भूपेंद्र सिंह के कंधे पर आ गया है. नगरीय निकाय मंत्री होने के कारण ये चुनाव पूरे प्रदेश में उनके कामकाज का आकलन होगा, लेकिन फिलहाल उनको गृह जिले में ही कड़ी चुनौती मिल रही है. हालात ये है कि पिछले 2 हफ्ते से भूपेंद्र सिंह सागर में ही डेरा डाले हैं और भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, एक तरह से उन्होंने अपने स्तर पर पूरी जिम्मेदारी ले ली है.
क्या कहना है नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का: नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के लिए साख का सवाल बन गई सागर महापौर सीट में जब उनकी प्रतिष्ठा दांव पर होने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि "भाजपा में कोई जीतता है, तो उसमें सबका श्रेय होता है और कोई हारता है, तो सबकी जिम्मेदारी होती है. कोई एक व्यक्ति की पार्टी भाजपा नहीं है, भाजपा एक कैडरबेस पार्टी है, इसलिए पूरी पार्टी चुनाव लड़ रही है. हम अकेले चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. आप विश्वास मान कर चलिए कि सागर में महापौर चुनाव में हमारे प्रत्याशी शानदार विजय प्राप्त करेंगे." चुनाव प्रचार में बीजेपी के पिछड़ने के सवाल पर भूपेंद्र सिंह का कहना है कि "यह अपना-अपना आकलन हो सकता है, अंत में परिणाम ही सब कुछ होता है. जब परिणाम आएगा तो आप देखेंगे कि बीजेपी अच्छी विजय प्राप्त करेगी, हमारी पार्टी के सभी नेता हम तीनों मंत्री, जिला अध्यक्ष, विधायक शैलेंद्र जैन और सांसद सभी दिन-रात सागर में बीजेपी का महापौर बने, इसके लिए काम कर रहे हैं.