सागर। केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. किसानों को उम्मीद थी कि सरकार बजट में सम्मान निधि की राशि बढ़ाएगी. खाद और उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाने और डीजल के दाम कम करके किसानों को राहत देगी, लेकिन किसानों का मानना है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. किसानों का कहना है कि आय भले ही दुगनी न हुई हो लेकिन लागत दोगुनी हो गई है. दूसरी तरफ बजट में (what is ken betwa link project) केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए बजट आवंटन और पांच अन्य (nirmala sitaraman mention specially in budget speech) नदियों को जोड़े जाने की योजना से किसान खुश भी हैं. परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. केंद्रीय कैबिनेट ने 39,317 करोड़ रुपए की राशि को मंजूरी दे दी है.
बुंदेलखंड के लिए वरदान है केन-बेतवा लिंक परियोजना
आम बजट में बुंदेलखंड के लिए वरदान कही जाने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 1400 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है. इसके अलावा लिंक परियोजना में 5 और नदियों को जोड़ा जाएगा. माना जाता है कि यह परियोजना बुंदेलखंड के लिए वरदान साबित होगी. कमी की कमी से जूझते बुंदेलखंड में इस परियोजना के पूरा होने से पानी की कोई कमी नहीं रहेगी और खेती का रकबा भी बढ़ जाएगा. बुंदेलखंड के किसान इसे राहत की बात तो मानते हैं, लेकिन यह भी कहते हैं कि इस परियोजना के पूरे होने से ज्यादा फायदा उत्तरप्रदेश के किसानों को होगा. उनका यह भी कहना है कि सरकार का यह फैसला उत्तरप्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया बताते हैं.
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना
-2005 में केन बेतवा लिंक परियोजना की बुनियाद रखी गई थी. यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ने की योजना का संकल्प था.
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लगभग 44,605 करोड़ की परियोजना का समय निर्धारण करते हुए इसे 8 साल में पूरा करने का निर्णय लिया गया है.
- मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके मेंं बरसों से पानी की कमी रही है.केन बेतवा लिंक परियोजना के पूरे होने पर लगभग 8 लाख 11हजार हेक्टेयर में कृषि सिंचाई का रकबा बढ़ेगा.
- मध्य प्रदेश में 62 लाख व्यक्तियों को पीने के शुद्ध जल के साथ ही 126 मेगावाट बिजली मिलेगी.
- वर्तमान में लगभग प्रदेश में 42 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है.केन -बेतवा लिंक परियोजना के पूरे होने पर कृषि का रकबा 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर बढ़ जाएगा.
बुंदेलखंड के लिए क्यों वरदान कही जा रही है ये योजना
पानी के संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड के लिए साल 2008 में केन-बेतवा लिंक परियोजना का एमओयू साइन किया गया छा. पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद भी 2017 से पानी बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच विवाद चल रहा था. जिसे सुलझा लिया गया है. परियोजना के पूरा होने पर सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र को काफी राहत मिलेगी. परियोजना में मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल है. मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो से सांसद वीडी शर्मा ने इस परियोजना को क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली परियोजना बताया है.
पांच और नदियां और जुड़ेंगी
- केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. केंद्रीय कैबिनेट ने 39,317 करोड़ रुपए की राशि को मंजूरी दे दी है. इसमें से 1400 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए हैं.
- 36,290 करोड़ रुपए केंद्र सरकार अनुदान के तौर पर देगी, 3027 करोड़ रुपए का लोन देगी.
- इस प्रोजेक्ट पर कुल 44 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिसमें से 1400 करोड़ रुपए मंगलवार को केंद्र सरकार ने दे दिए. बजट में प्रोजेक्ट के विस्तार की घोषणा करते हुए इसमें 5 और नदियों को जोड़े जाने की बात कही गई है.
किसानों की चिंता, न आय दोगुनी हुई न किसान सम्मान निधि बढ़ी
केन-बेतवा लिंक परियोजना को वरदान मान कर चल रहे किसान कुछ मुद्दों पर बजट से नाराज भी दिखाई दिए. किसानों का आरोप है कि सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती हुई आई. 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का वादा लेकिन किसानों का मानना है कि यह भी एक राजनीतिक जुमला साबित हुआ है. उनका कहना है कि आय भले ही दोगुनी नहीं हुई हो, लेकिन लागत जरूर दो गुनी हो गई है. बजट से किसानों को उम्मीद थी कि लागत दो गुनी करने के लिए सरकार कुछ प्रावधान करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बजट से किसान राहत पाने के लिए डीजल के दाम कम होने, खाद और उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाए जाने की उम्मीद भी लगाए बैठे थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली 6 हजार रूपये की किसान सम्मान निधि की राशि में बढ़ोतरी होने की उम्मीद थी. माना जा रहा था कि सरकार इसे 6 हजार से बढ़ाकर 9 हजार तक कर सकती है, लेकिन बजट में ऐसा कोई प्रस्ताव न होने से किसानों की उम्मीद टूटी है.