सागर। वैसे तो मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में भगवान गणेश के लाखों मंदिर हैं, लेकिन लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर 400 साल पुराना गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) कई मायनों में खास है. बताया जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 35 साल लग गए थे. इस मंदिर का वास्तु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) जैसा है. सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हुए हैं. इसी की तर्ज पर सागर के गणेश घाट मंदिर में भी गणपति अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हुए हैं.
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सागर के गणेश घाट मंदिर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में हुआ था. इसका निर्माण उन सामग्रियों से किया गया था, जिनसे उस जमाने में किलों का निर्माण किया जाता था. मान्यता है कि इस मंदिर में जो सच्चे मन से कई गई मनोकामना जरूर पूरी होती है.
Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: 35 साल में मराठा परिवारों ने मिलकर बनाया गणेश मंदिर
सागर शहर की पहचान कहीं जाने वाली लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर स्थित 400 साल पुराने प्राचीन गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) का मान्यता किसी से छिपी नहीं हैं. इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है. मंदिर का निर्माण 1603 में शुरू हुआ था. 1638 में यानि मंदिर 35 सालों में बनकर तैयार हुआ. मंदिर का निर्माण कार्य मराठी,भोसले, शिंदे और सागर के तत्कालीन 11 मराठी परिवारों ने मिलकर कराया था. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में गणेश भगवान की मूर्ति कोई लाया नहीं था, बल्कि ये मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी.
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मंदिर के प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि इस मंदिर का वास्तु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) जैसा है. मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणपति (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हैं. सागर के गणेश घाट पर प्राचीन मंदिर में भी भगवान गणेश अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजमान हैं. कहा जाता है कि गणेश मूर्ति गोल गुंबद में स्थापित करने से संकट आता है. इसलिए गणेश जी को अष्टकोणीय गर्भ गृह में स्थापित किया गया है. मंदिर के पुजारी जगदीश तिवारी बताते हैं कि इसी वजह से यह मंदिर "सिद्धिविनायक सर्वेश्वर गणेश" के (ashtvinayak ganesh temple of sagar) नाम से जाना जाता है. इसका वास्तु ऐसा है कि कोई भी व्यक्ति कितना भी परेशान और थका हुआ , यहां आकर मंदिर में बैठकर उसे पॉजिटव एनर्जी मिलती है.
मंदिर के प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भी काफी खास है. दाल, चावल, गेहूं, चना, तेल, गोंद, गुड़ और रेत को मिलाकर मसाला तैयार किया गया था. उस वक्त सीमेंट प्रचलन में नहीं था. इसी तरह के मसालों से किले तैयार होते थे. इसी सामग्री से इस मंदिर को भी बनाया गया. शायद इसी कारण इसे बनाने में 33 साल लग गए.
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Indore के खजराना गणेश मंदिर में बनेगा देश का दूसरा गणेश संग्रहालय
Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: हर मनोकामना होती है पूरी
ऐसे कम ही मंदिर हैं जहां भगवान गणेश को सिंदूर (Sindoor is offered to Lord Ganesh ) चढ़ाया जाता है. इस मंदिर में भगवान गणेश को सिंदूर अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी या बुधवार के दिन पीले वस्त्र में एक नारियल, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, मूंग और दूर्वा को बांधकर भगवान को अर्पित कर सच्चे मन से की गई मनोकामना जरूर पूरी होती है.