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Mumbai की तरह Sagar में भी है सिद्धिविनायक गणेश मंदिर: एक ही पत्थर में विराजे हैं गणेश, हनुमान, रिद्धि-सिद्धि - गणेश घाट मंदिर सागर

क्या आपको पता है कि सागर में भी एक अष्टविनायक गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) है. 418 साल पहले लाखा बंजारा झील के किनारे खुदाई में गणेश जी की मूर्ति (God Ganesh Idol) मिली थी. इसकी खास बात है कि एक ही पत्थर में भगवान गणेश के साथ हनुमान जी और रिद्धि-सिद्धि विराजे हैं. गणेश प्रतिमा मिलने के बाद तालाब के इस घाट का नाम गणेश घाट(Ganesh Ghat) रखा गया.

Ashtvinayak Ganesh Temple
सागर का सिद्धिविनायक मंदिर
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Published : Sep 15, 2021, 12:26 PM IST

Updated : Sep 15, 2021, 2:04 PM IST

सागर। वैसे तो मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में भगवान गणेश के लाखों मंदिर हैं, लेकिन लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर 400 साल पुराना गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) कई मायनों में खास है. बताया जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 35 साल लग गए थे. इस मंदिर का वास्तु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) जैसा है. सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हुए हैं. इसी की तर्ज पर सागर के गणेश घाट मंदिर में भी गणपति अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हुए हैं.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तर्ज पर अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हैं गणेश जी

सागर के गणेश घाट मंदिर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में हुआ था. इसका निर्माण उन सामग्रियों से किया गया था, जिनसे उस जमाने में किलों का निर्माण किया जाता था. मान्यता है कि इस मंदिर में जो सच्चे मन से कई गई मनोकामना जरूर पूरी होती है.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: 35 साल में मराठा परिवारों ने मिलकर बनाया गणेश मंदिर

सागर शहर की पहचान कहीं जाने वाली लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर स्थित 400 साल पुराने प्राचीन गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) का मान्यता किसी से छिपी नहीं हैं. इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है. मंदिर का निर्माण 1603 में शुरू हुआ था. 1638 में यानि मंदिर 35 सालों में बनकर तैयार हुआ. मंदिर का निर्माण कार्य मराठी,भोसले, शिंदे और सागर के तत्कालीन 11 मराठी परिवारों ने मिलकर कराया था. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में गणेश भगवान की मूर्ति कोई लाया नहीं था, बल्कि ये मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar
गोल गुंबद की जगह अष्टकोणीय गुंबद में विराजमान गणेश जी
Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तर्ज पर बना है मंदिर

मंदिर के प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि इस मंदिर का वास्तु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) जैसा है. मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणपति (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हैं. सागर के गणेश घाट पर प्राचीन मंदिर में भी भगवान गणेश अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजमान हैं. कहा जाता है कि गणेश मूर्ति गोल गुंबद में स्थापित करने से संकट आता है. इसलिए गणेश जी को अष्टकोणीय गर्भ गृह में स्थापित किया गया है. मंदिर के पुजारी जगदीश तिवारी बताते हैं कि इसी वजह से यह मंदिर "सिद्धिविनायक सर्वेश्वर गणेश" के (ashtvinayak ganesh temple of sagar) नाम से जाना जाता है. इसका वास्तु ऐसा है कि कोई भी व्यक्ति कितना भी परेशान और थका हुआ , यहां आकर मंदिर में बैठकर उसे पॉजिटव एनर्जी मिलती है.

मंदिर प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले से जानिए मंदिर का इतिहास
Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: किला बनाने की सामग्री से हुआ मंदिर का निर्माण

मंदिर के प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भी काफी खास है. दाल, चावल, गेहूं, चना, तेल, गोंद, गुड़ और रेत को मिलाकर मसाला तैयार किया गया था. उस वक्त सीमेंट प्रचलन में नहीं था. इसी तरह के मसालों से किले तैयार होते थे. इसी सामग्री से इस मंदिर को भी बनाया गया. शायद इसी कारण इसे बनाने में 33 साल लग गए.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar
एक ही पत्थर में विराजे हैं गणेश, हनुमान, रिद्धि-सिद्धि

Indore के खजराना गणेश मंदिर में बनेगा देश का दूसरा गणेश संग्रहालय

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: हर मनोकामना होती है पूरी

ऐसे कम ही मंदिर हैं जहां भगवान गणेश को सिंदूर (Sindoor is offered to Lord Ganesh ) चढ़ाया जाता है. इस मंदिर में भगवान गणेश को सिंदूर अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी या बुधवार के दिन पीले वस्त्र में एक नारियल, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, मूंग और दूर्वा को बांधकर भगवान को अर्पित कर सच्चे मन से की गई मनोकामना जरूर पूरी होती है.

मंदिर के पुजारी पंडित जगदीश तिवारी से जानिए मंदिर की महिमा

सागर। वैसे तो मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में भगवान गणेश के लाखों मंदिर हैं, लेकिन लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर 400 साल पुराना गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) कई मायनों में खास है. बताया जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 35 साल लग गए थे. इस मंदिर का वास्तु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) जैसा है. सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हुए हैं. इसी की तर्ज पर सागर के गणेश घाट मंदिर में भी गणपति अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हुए हैं.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तर्ज पर अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हैं गणेश जी

सागर के गणेश घाट मंदिर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में हुआ था. इसका निर्माण उन सामग्रियों से किया गया था, जिनसे उस जमाने में किलों का निर्माण किया जाता था. मान्यता है कि इस मंदिर में जो सच्चे मन से कई गई मनोकामना जरूर पूरी होती है.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: 35 साल में मराठा परिवारों ने मिलकर बनाया गणेश मंदिर

सागर शहर की पहचान कहीं जाने वाली लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर स्थित 400 साल पुराने प्राचीन गणेश मंदिर (Ashtvinayak Ganesh Temple) का मान्यता किसी से छिपी नहीं हैं. इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है. मंदिर का निर्माण 1603 में शुरू हुआ था. 1638 में यानि मंदिर 35 सालों में बनकर तैयार हुआ. मंदिर का निर्माण कार्य मराठी,भोसले, शिंदे और सागर के तत्कालीन 11 मराठी परिवारों ने मिलकर कराया था. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में गणेश भगवान की मूर्ति कोई लाया नहीं था, बल्कि ये मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar
गोल गुंबद की जगह अष्टकोणीय गुंबद में विराजमान गणेश जी
Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तर्ज पर बना है मंदिर

मंदिर के प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि इस मंदिर का वास्तु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) जैसा है. मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणपति (Sidhivinayak Ganesh Temple of Mumbai) अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजे हैं. सागर के गणेश घाट पर प्राचीन मंदिर में भी भगवान गणेश अष्टकोणीय गर्भ गृह में विराजमान हैं. कहा जाता है कि गणेश मूर्ति गोल गुंबद में स्थापित करने से संकट आता है. इसलिए गणेश जी को अष्टकोणीय गर्भ गृह में स्थापित किया गया है. मंदिर के पुजारी जगदीश तिवारी बताते हैं कि इसी वजह से यह मंदिर "सिद्धिविनायक सर्वेश्वर गणेश" के (ashtvinayak ganesh temple of sagar) नाम से जाना जाता है. इसका वास्तु ऐसा है कि कोई भी व्यक्ति कितना भी परेशान और थका हुआ , यहां आकर मंदिर में बैठकर उसे पॉजिटव एनर्जी मिलती है.

मंदिर प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले से जानिए मंदिर का इतिहास
Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: किला बनाने की सामग्री से हुआ मंदिर का निर्माण

मंदिर के प्रबंधक गोविंद दत्तात्रेय आठले बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भी काफी खास है. दाल, चावल, गेहूं, चना, तेल, गोंद, गुड़ और रेत को मिलाकर मसाला तैयार किया गया था. उस वक्त सीमेंट प्रचलन में नहीं था. इसी तरह के मसालों से किले तैयार होते थे. इसी सामग्री से इस मंदिर को भी बनाया गया. शायद इसी कारण इसे बनाने में 33 साल लग गए.

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar
एक ही पत्थर में विराजे हैं गणेश, हनुमान, रिद्धि-सिद्धि

Indore के खजराना गणेश मंदिर में बनेगा देश का दूसरा गणेश संग्रहालय

Sidhivinayak Ganesh Temple of Sagar: हर मनोकामना होती है पूरी

ऐसे कम ही मंदिर हैं जहां भगवान गणेश को सिंदूर (Sindoor is offered to Lord Ganesh ) चढ़ाया जाता है. इस मंदिर में भगवान गणेश को सिंदूर अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी या बुधवार के दिन पीले वस्त्र में एक नारियल, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, मूंग और दूर्वा को बांधकर भगवान को अर्पित कर सच्चे मन से की गई मनोकामना जरूर पूरी होती है.

मंदिर के पुजारी पंडित जगदीश तिवारी से जानिए मंदिर की महिमा
Last Updated : Sep 15, 2021, 2:04 PM IST
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