रीवा। ऑनलाइन रुपए के लेनदेन में लोगो को अब बड़ी ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है. क्योंकि बादमाशो ने ठगी करने का एक नायाब तरीका खोज निकाला है. बादमाशों द्वारा अब डुप्लीकेट एप तैयार कर लिए गए हैं, जिसमें भुगतान होने के बाद मोबाइल में मैसेज तो आता है लेकिन रुपए नहीं आते. ऐसे ही फर्जी एप का शिकार अब लोग होने लगे हैं. खासकर की दुकानदार सबसे ज्यादा इस जाल में फंस रहे हैं. क्योंकि वह पैसे पहुंचने का मैसेज देखकर ग्राहकों को सामान तो देते हैं, लेकिन उनके खाते तक पैसे पहुंच नहीं पाते. रीवा में डुप्लीकेट ऑनलाइन भुगतान एप के जरिए कई ठगी की वारदातें सामने आ चुकी हैं.
बादमाशों ने खोजा ठगी का नायाब तरीका
ताजा मामला रीवा के सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है. खन्ना चौराहा पर एक दुकानदार चार बार ठगी का शिकार हुआ. दुकानदार मनोज मागो, खन्ना चौराहे के पास ऑटो पार्ट्स की दुकान संचालित करते हैं. उनकी दुकान में पहले ग्राहक ने सामान खरीदा और 1450 रुपए उनको फोन-पे के माध्यम से भेज दिए. मोबाइल में मैसेज देखकर दुकानदार ने सामान दे दिया. लेकिन बाद में जब उन्होंने अपना खाता चेक किया तो उसमें मैसेज नहीं आया.
दुकानदार को 1600, 650 और 350 रुपए की चपत लगी. इस बार तो उन्होंने एक ग्राहक से उसके मोबाइल का स्क्रीनशाट भी अपने मोबाइल में मंगवा लिया था, लेकिन सामान लेकर जाते ही आरोपी ने स्क्रीन शॉट डिलीट कर दिया. पीड़ित दुकानदार की मानें तो सामान खरीदने आए चारों लोग अलग-अलग व्यक्ति थे. ठगी का शिकार हुए पीड़ित दुकानदार द्वारा मामले की शिकायत शहर के सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई गई है.
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डुप्लीकेट ऑनलाइन पेमेंट एप के जरिए ठगी
समान खरीदने आए इन ग्राहकों में से एक तो अपने को इंदौर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बता रहा था.सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि डुप्लीकेट एप भी बिल्कुल असली एप की तरह ही दिखाई देता है और काम भी हूबहू असली एप की तरह करता है जिससे किसी को संदेह भी नहीं होता है और दुकानदार आसानी से बादमाशो द्वारा की गई ठगी का शिकार हो जाते है. कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के एप को बनाए गए थे लेकिन बदमाशों ने अब इसे भी ठगी का जरिया बना लिया है.
गिरोह में कई लोगो के शामिल होने की आशंका
बादमाश डुप्लीकेट एप के जरिए दुकानदारों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. जिन दुकानों में ठगी की घटना हुई है. उसमें अलग-अलग व्यक्ति सामान की खरीदारी करने पहुंचे थे. जिसके आधार पर अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस तरह से हुई ठगी के मामलों में कई युवक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. एक दुकान में एक ही बदमाश जाता है और दूसरी बार बदमाश का चेहरा बदल जाता है ताकि पकड़े जाने की सभावना न हो.
भीड़भाड़ वाले दुकानों को बनाते हैं निशाना
फर्जी ऑनलाइन पेमेंट एप के जरिए ठगी करने वाले शातिर बदमाश आमतौर पर उन दुकानों को अपना निशाना बनाते है जिन दुकानों में भीड़भाड़ अधिक होती है. बदमाश पहले दुकानदार से सामान की खरीददारी करते हैं. बाद में उसी डुप्लीकेट एप के जरिए ऑनलाइन भुगतान करते हैं. बादमाशों द्वारा बाकायदा रुपए कटने का मैसेज भी दुकानदारों को दिखाया जाता है. इस दौरान कई बार दुकानदार व्यस्त होने के कारण अपना मोबाइल तक चेक नहीं कर पाते है. यदि वे अपना मोबाइल चेक भी करते हैं तो बदमाश सर्वर डाउन होने का बहाना बताकर सामान ले जाता है. इस बात पर दुकानदार भी बड़ी आसानी भरोसा कर लेते हैं.