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रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र की महिला मतदाताओं ने बताई अपनी राय

मध्यप्रदेश के बाकी बचे 8 सीटों पर 19 मई को मतदान किया जाएगा. जिसमें रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट भी शामिल है. वहीं यहां की महिला मतदाताओं का कहना है कि आने वाली सरकार ऐसी हो, जो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिये काम करे.

रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट
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Published : May 14, 2019, 6:41 PM IST

रतलाम। लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होना है. मध्यप्रदेश की बाकी बची 8 सीटों पर 19 मई को मतदान किया जाएगा, जिसमें रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट भी शामिल है. चुनाव को लेकर रतलाम संसदीय क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी राय बताई. इनमें समाजसेवी, नौकरीपेशा, गृहिणी और छात्राओं ने भाग लिया. महिलाओं के मुद्दे और जनप्रतिनिधियों से जो उम्मीदें उन्हें हैं, इस पर महिलाओं ने अपने विचार ईटीवी भारत से साझा किये हैं.

रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में 1 हजार पुरुषों के मुकाबले 970 महिला मतदाताएं हैं. वहीं 18 लाख मतदाताओं में 8 लाख 96 हजार मतदाता महिलाएं है. रतलाम लोकसभा सीट पर महिलाएं निर्णायक स्थिति में हैं, लेकिन यदि जनप्रतिनिधियों द्वारा महिलाओं के लिये किये गये कार्यों की बात करें, तो इस क्षेत्र में अब भी महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कार्य नहीं हुए हैं.

रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट

आदिवासी बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी क्षेत्र में खासकर महिलाएं अशिक्षित हैं. रतलाम की समाजसेवी सुनीता मांडोत का कहना है कि महिलाओं के लिये स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम हुए, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए शौचालय नहीं बनाये गये हैं. बैंकर गायत्री आर्या का कहना है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा के मामले में केवल शहरी क्षेत्रों में कार्य हुए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण महिलाओं के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहिए.

वहीं वर्किंग वुमन मोनिका पांडे का कहना है कि शहरों में महिलाएं अब सुरक्षित नहीं हैं और जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. छात्रा मनीषा शर्मा का मानना है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में अच्छे काम हुए हैं और आने वाली सरकार से भी वे यही उम्मीद करती हैं. कुल मिलाकर रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र की महिलाओं को आने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिये विशेष कार्य किये जाने चाहिये.

रतलाम। लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होना है. मध्यप्रदेश की बाकी बची 8 सीटों पर 19 मई को मतदान किया जाएगा, जिसमें रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट भी शामिल है. चुनाव को लेकर रतलाम संसदीय क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी राय बताई. इनमें समाजसेवी, नौकरीपेशा, गृहिणी और छात्राओं ने भाग लिया. महिलाओं के मुद्दे और जनप्रतिनिधियों से जो उम्मीदें उन्हें हैं, इस पर महिलाओं ने अपने विचार ईटीवी भारत से साझा किये हैं.

रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में 1 हजार पुरुषों के मुकाबले 970 महिला मतदाताएं हैं. वहीं 18 लाख मतदाताओं में 8 लाख 96 हजार मतदाता महिलाएं है. रतलाम लोकसभा सीट पर महिलाएं निर्णायक स्थिति में हैं, लेकिन यदि जनप्रतिनिधियों द्वारा महिलाओं के लिये किये गये कार्यों की बात करें, तो इस क्षेत्र में अब भी महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कार्य नहीं हुए हैं.

रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट

आदिवासी बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी क्षेत्र में खासकर महिलाएं अशिक्षित हैं. रतलाम की समाजसेवी सुनीता मांडोत का कहना है कि महिलाओं के लिये स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम हुए, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए शौचालय नहीं बनाये गये हैं. बैंकर गायत्री आर्या का कहना है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा के मामले में केवल शहरी क्षेत्रों में कार्य हुए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण महिलाओं के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहिए.

वहीं वर्किंग वुमन मोनिका पांडे का कहना है कि शहरों में महिलाएं अब सुरक्षित नहीं हैं और जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. छात्रा मनीषा शर्मा का मानना है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में अच्छे काम हुए हैं और आने वाली सरकार से भी वे यही उम्मीद करती हैं. कुल मिलाकर रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र की महिलाओं को आने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिये विशेष कार्य किये जाने चाहिये.

Intro:रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर चुनाव के अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है.यहाँ महिला मतदाताओं का जेंडर रेशो 1 हजार पुरुषों के मुकाबले 970 है.वही 18 लाख मतदाताओं में 8 लाख 96 हजार मतदाता महिलाएं है.रतलाम लोकसभा सीट पर महिलाएं निर्णायक स्थिति में है लेकिन यदि जनप्रतिनिधियों द्वारा महिलाओं के लिये किये गये कार्यो की बात करे तो इस क्षेत्र में अब भी महिलाओं की शिक्षा ,स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा कार्य नहीं हुए है.क्षेत्र की समाजसेवी ,नोकरीपेशा,ग्रहिणी और छात्राओं ने महिलाओं के मुद्दे और जनप्रतिनिधियो से उनकी अपेक्षाओं पर अपने विचार ईटीवी भारत से सांझा किये है.रतलाम लोकसभा सीट पर आंकड़ो में तो महिलाएं मतदाता मजबूत और निर्णायक दिखाई देती है लेकिन वास्तविकता में रतलाम शहर को छोड़ कर बाकी 7 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं में शिक्षा,स्वास्थ्य और सुरक्षा का अभाव दिखाई देता है.


Body:दरअसल आदिवासी बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी क्षेत्र में खासकर महिलाएं अशिक्षित है .रतलाम की समाजसेवी सुनीता मांडोत का कहना है कि महिलाओं के लिये स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम हुए लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए शौचालय नहीं बनाये गये है. रतलाम की बैंकर गायत्री आर्या का कहना है कि महिलाओं की शिक्षा ,स्वास्थ्य ,रोजगार और सुरक्षा के मामले में केवल शहरी क्षेत्रों में कार्य हुए है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है.जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि ग्रामीण महिलाओं के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करे.वहीं वर्किंग वूमेन मोनिका पांडे का कहना है कि शहरों में महिलाएं अब सुरक्षित नहीं है और जनप्रतिनिधियों ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया है.वहीं छात्रा मनीषा शर्मा का मानना है कि महिलाओं की शिक्षा ,स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में अच्छे काम हुए है और आने वाली सरकार से भी वे यही उम्मीद करती है


Conclusion:बहरहाल आदिवासी बहुल इस लोकसभा सीट पर महिलाओं की मिलीजुली राय है जिसमें शहरी इलाकों में माहिलाओं कि शिक्षा स्वास्थ्य और सुरक्षा की स्थित बेहतर हुई है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाए अशिक्षित है,स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी जिला मुख्यालय पर निर्भरता है.जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाने और आत्मनिर्भरता बढाने के लिए कोई खास काम नही किया है.कुल मिलाकर रतलाम लोकसभा क्षेत्र की महिलाओं को आने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से अपेक्षा है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिये विशेष कार्य किये जाने चाहिये.



बाइट-01-गायत्री आर्या(बैंकर) ब्लेक सूट में
बाइट--02-सुनीता मांडोत(समाजसेवी) साड़ी में
बाइट-03-मोनिका पांडेय (वर्किंग वूमेन) रेड सूट में
बाइट-04-मनीषा शर्मा(छात्रा) ब्लेक टी शर्ट पहने हुए
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