रतलाम। आलोट में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय द्वारा निपानिया राजगुरु गांव की 100 बीघा जमीन अतिक्रमण से मुक्त कर शासकीय घोषित की गई है. 100 बीघा सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी की बात सामने आने के बाद एसडीएम ने कार्रवाई की है और जमीन को फिर से सरकारी घोषित कर दिया है. अनुविभागीय अधिकारी ने बताया कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. साथ ही ऐसी कार्रवाई लगातार आगे भी जारी रहेगी.
शिकायत मिली थी कि ग्राम निपानिया राजगुरु की शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 808/2 रकबा 1.150, सर्वे क्रमांक 812/2 रकबा 8.150, सर्वे क्रमांक 170/2 रकबा 3.200, सर्वे क्रमाक्र 180/2 रकबा 1.900, सर्वे क्रमांक 199/2 रकबा 2.800, सर्वे क्रमांक 805/2 रकबा 3.00, सर्वे क्रमांक 603/2 रकबा 3.250, सर्वे क्रमांक 764/2 रकबा 1.900, सर्वे क्रमांक 697/2 रकबा 2.700, सर्वे क्रमांक 817/2 रकबा 2.600 हेक्टेयर कुल रकबा 24.35 भूमि निर्मल कुमार पिता बालुसिंह, बालुसिंह पिता नाथुसिंह, मानकुंवर पिता जुवानसिंह, श्यामुबाई पति दानूसिंह के नाम से भू स्वामियों में दर्ज की गई है, इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर अनावेदकों और तत्कालीन गांव के पटवारी को सूचना पत्र जारी किया गया था. अनावेदकों और पटवारी के लेखी बयान से ये सरकारी जमीन फर्जी तरीके से अनावेदकों के नाम से की गई और अभिलेखों में बिना किसी आदेश के अद्यतन कर दी गई है. जिससे यह साफ होता है कि उपरोक्त कार्रवाई पूरी तरह अवैध और जालसाजी पूर्वक की गई है.
अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा उक्त भूमि को दोबारा सरकारी घोषित किया गया है. तहसीलदार को आदेशित किया गया कि सभी सर्वे क्रमांक की भूमि को शासकीय मद में दर्ज कर अभिलेख दुरूस्त करें. यदि भूमि पर अतिक्रमण है तो विधि मुताबिक अतिक्रमण हटाएं. तत्कालीन तहसीलदार व पटवारी के खिलाफ अवैध और जालसाजी पूर्वक कार्य करने को लेकर कार्रवाई के लिए कलेक्टर रतलाम को पत्र लिखा गया है. गौरतलब है कि उस समय तहसीलदार अनिल कुशवाह और पटवारी एबी भुवान थे. अनुविभागीय अधिकारी मोहनलाल आर्य ने बताया कि आलोट और अन्य गांवों से भी शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने संबंधी शिकायतें मिली हैं, जिन पर भी कार्रवाई की जा रही है.