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2019 में किसानों का हाल रहा बेहाल, अब 2020 से अन्नदाता को है नई आस

2019 हां 2019 चंद दिनों में अलविदा कह देगा. सबकुछ कितना जल्दी निकल गया ना. अरे हां याद आया किसानों का क्या हुआ, जी हां वहीं किसान जो पूरे साल प्रदेश में आंदोलन करते रहे, कभी यूरिया तो कभी फसल के लिए. तो चलिए मध्यप्रदेश में कैसा रहा पूरा साल किसानों का हाल, ये आपको सिलसिलेवार बताते हैं.

farmers of madhya pradesh
किसानों के लिए कैसा रहा साल 2019
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Published : Dec 26, 2019, 8:17 PM IST

रतलाम। 2019 चंद दिनों में अलविदा कह देगा. लेकिन जाता हुआ यह साल प्रदेश के किसानों को लिए शायद ही अच्छा कहा जाए. साल की शुरुआत में जोरदार पाला पड़ने से रबी की फसलों को भारी नुकसान हुआ. तो खरीफ की फसलों पर अतिवृष्टि की मार ने सबकुछ तबाह कर दिया.

2019 में किसानों का हाल रहा बेहाल

बात अगर रतलाम जिले की जाए, तो प्रदेशभर में उन्नत खेती के लिए अपनी पहचान रखने वाला रतलाम जिले का किसान भी इस साल मुसीबतों से घिरा रहा. प्रदेशभर की तरह जिले में भी रबी और खरीब की फसलों को तो नुकसान हुआ ही. जबकि जिले की प्रमुख कपास की फसल भी इस साल बर्बाद हो गई.

प्रदेश में सत्ता बदलने से किसानों को कर्जमाफी की उम्मीद बंधी लेकिन वह भी आधी अधूरी रही. तो अतिवृष्टि की मुआवजा राशि अब तक नहीं मिली. साल के जाते-जाते जिले भर में यूरिया के लिए किसानों की लंबी-लंबी लाइने लगी रही. ईटीवी भारत ने जब इस मसले पर किसानों से बात कही तो उनका कहना था कि न तो पूरा कर्ज माफ हुआ और न मुआवजा मिला.

किसानों की बाते सुनकर तो यही लगता है कि 2019 ने किसानों के चहरे पर मुस्कान से ज्यादा परेशानी बनाए रखी. बहरहाल 2019 जाने वाले वाला है और नई उम्मीदों के साथ 2020 आने वाला है. जिससे किसानों को भी इस नूतनवर्ष से कई उम्मीदे बंधी हुई है.

रतलाम। 2019 चंद दिनों में अलविदा कह देगा. लेकिन जाता हुआ यह साल प्रदेश के किसानों को लिए शायद ही अच्छा कहा जाए. साल की शुरुआत में जोरदार पाला पड़ने से रबी की फसलों को भारी नुकसान हुआ. तो खरीफ की फसलों पर अतिवृष्टि की मार ने सबकुछ तबाह कर दिया.

2019 में किसानों का हाल रहा बेहाल

बात अगर रतलाम जिले की जाए, तो प्रदेशभर में उन्नत खेती के लिए अपनी पहचान रखने वाला रतलाम जिले का किसान भी इस साल मुसीबतों से घिरा रहा. प्रदेशभर की तरह जिले में भी रबी और खरीब की फसलों को तो नुकसान हुआ ही. जबकि जिले की प्रमुख कपास की फसल भी इस साल बर्बाद हो गई.

प्रदेश में सत्ता बदलने से किसानों को कर्जमाफी की उम्मीद बंधी लेकिन वह भी आधी अधूरी रही. तो अतिवृष्टि की मुआवजा राशि अब तक नहीं मिली. साल के जाते-जाते जिले भर में यूरिया के लिए किसानों की लंबी-लंबी लाइने लगी रही. ईटीवी भारत ने जब इस मसले पर किसानों से बात कही तो उनका कहना था कि न तो पूरा कर्ज माफ हुआ और न मुआवजा मिला.

किसानों की बाते सुनकर तो यही लगता है कि 2019 ने किसानों के चहरे पर मुस्कान से ज्यादा परेशानी बनाए रखी. बहरहाल 2019 जाने वाले वाला है और नई उम्मीदों के साथ 2020 आने वाला है. जिससे किसानों को भी इस नूतनवर्ष से कई उम्मीदे बंधी हुई है.

Intro:**नोट- वर्ष 2019 पर कृषि और किसानों की स्पेशल स्टोरी**


प्रदेश के किसानों के लिए वर्ष 2019 मिला जुला वर्ष रहा है। इस साल की शुरुआत में ही किसानों को पाला पड़ने की वजह से चना और गेहूं की फसलों में नुकसान उठाना पड़ा। वही किसानों को गेहूं की फसल पर मिलने वाली बोनस राशि भी नहीं मिल सकी। प्रदेश की कमलनाथ सरकार की कर्जमाफी योजना का लाभ छोटे किसानों को प्रथम चरण में जरूर मिला लेकिन दूसरे चरण और तीसरे चरण की कर्ज माफी का इंतजार अब भी किसानों को है। रतलाम जिले में प्रथम चरण में करीब 61000 किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला है। इस वर्ष हुई अत्यधिक बारिश की वजह से सोयाबीन सहित मक्का और कपास जैसी फसलों में भारी नुकसान देखने को मिला। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने मुआवजे का मरहम जरूर लगाया। वहीं इस वर्ष हुई भरपूर बारिश की वजह से रबी सीजन के लिए किसानों को पर्याप्त पानी और बिजली मिल रही है। जिससे किसानों को आने वाली फसल के अच्छे उत्पादन की उम्मीद बनी हुई है।


Body:मध्य प्रदेश के किसानों और कृषि उत्पादन के लिए यह वर्ष धूप छांव की तरह साबित हुआ है। जहां 2019 की शुरुआत में किसानों को पाला पड़ने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा तो अत्यधिक बारिश की वजह से सोयाबीन की प्रमुख फसल में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की प्रथम चरण की कर्ज माफी योजना और अत्यधिक बारिश से खराब हुई फसलों की मुआवजा राशि जरूर किसानों को मिली है। वहीं गेहूं और अन्य फसलों पर मिलने वाली बोनस राशि इस वर्ष किसानों को नहीं मिल सकी है। पाले और अत्यधिक बारिश की वजह से खराब हुई फसलों की फसल बीमा राशि भी अब तक किसानों को नहीं मिल सकी है। वही रबी सीजन के लिए यूरिया खाद के लिए अब तक किसानों को लाइने लगाना पड़ रही है। ईटीवी भारत में जब इस वर्ष पर किसानों की प्रतिक्रिया जानी तो किसानों ने इसे मिलाजुला वर्ष करार दिया है।


Conclusion:बहरहाल मध्य प्रदेश और जिले के किसानों के लिए वर्ष 2019 धूप छांव की तरह साबित हुआ है जहां किसानों को आने वाली फसल से अच्छे उत्पादन की उम्मीद बंधी हूई है।

बाइट 01- भगवान लाल (किसान)
बाइट 02 - जितेंद्र सोलंकी(किसान)
बाइट 03- बालकृष्ण साबरिया (किसान)
बाइट 04- घनश्याम गहलोत(किसान)

पीटीसी 01 एंड 02 - दिव्यराज सिंह राठौर( संवाददाता रतलाम)
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