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कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं को नहीं है मंत्री बने रहने का अधिकार, जल्दी छोड़ें पदः विवेक तन्खा

कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में बिना विधायक के मंत्री बनाए गए नेताओं पर एक याचिका दायर की थी. जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है.

vivek tankha
विवेक तन्खा, कांग्रेस सांसद
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Published : Aug 18, 2020, 9:52 PM IST

जबलपुर। कांग्रेस से बीजेपी में गए पूर्व विधायकों को मंत्री बनाए जाने पर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने फिर सवाल उठाए हैं. उन्होंने जबलपुर के कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की थी. जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और विधानसभा अध्यक्ष से जवाब मांगा है.

कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पेश की है, जिसमें राज्य सरकार के लिए 14 मंत्रियों को पद से हटाने की गुजारिश की गई है. विवेक तन्खा ने कहा कि 1985 भारतीय कानून में डिफेक्शन लॉ बनाया गया था, जो शेड्यूल्ड बैंक के अंतर्गत आता है.

विवेक तन्खा, राज्यसभा सांसद

इसके तहत यदि कोई एमपी या एमएलए अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ता है तो वह अपना पद खो देता है. 2003 में इसी कानून में कुछ नई बातें जोड़ी गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि जब तक कोई भी एमपी, एमएलए जिसकी सदस्यता समाप्त हो गई है. वह दोबारा चुनाव लड़ कर एमपी का एमएलए नहीं बन जाता तब तक वह मंत्री नहीं बन सकता.

अयोग्य हैं शिवराज के 14 मंत्री

विवेक तन्खा का कहना है कि जब कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी छोड़ी थी तो वे अयोग्य घोषित हो गए थे. अयोग्यता की याचिका अभी भी विधानसभा में चल रही है, जिस पर स्पीकर ने कोई कार्यवाही नहीं की. इसलिए इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है कि आखिर तीन माह बीत जाने के बाद भी इन विधायकों की अयोग्यता पर कोई सुनवाई क्यों नहीं की गई. जबकि अयोग्य लोगों को राज्य सरकार में मंत्री कैसे बना दिया गया.

जबलपुर। कांग्रेस से बीजेपी में गए पूर्व विधायकों को मंत्री बनाए जाने पर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने फिर सवाल उठाए हैं. उन्होंने जबलपुर के कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की थी. जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और विधानसभा अध्यक्ष से जवाब मांगा है.

कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पेश की है, जिसमें राज्य सरकार के लिए 14 मंत्रियों को पद से हटाने की गुजारिश की गई है. विवेक तन्खा ने कहा कि 1985 भारतीय कानून में डिफेक्शन लॉ बनाया गया था, जो शेड्यूल्ड बैंक के अंतर्गत आता है.

विवेक तन्खा, राज्यसभा सांसद

इसके तहत यदि कोई एमपी या एमएलए अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ता है तो वह अपना पद खो देता है. 2003 में इसी कानून में कुछ नई बातें जोड़ी गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि जब तक कोई भी एमपी, एमएलए जिसकी सदस्यता समाप्त हो गई है. वह दोबारा चुनाव लड़ कर एमपी का एमएलए नहीं बन जाता तब तक वह मंत्री नहीं बन सकता.

अयोग्य हैं शिवराज के 14 मंत्री

विवेक तन्खा का कहना है कि जब कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी छोड़ी थी तो वे अयोग्य घोषित हो गए थे. अयोग्यता की याचिका अभी भी विधानसभा में चल रही है, जिस पर स्पीकर ने कोई कार्यवाही नहीं की. इसलिए इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है कि आखिर तीन माह बीत जाने के बाद भी इन विधायकों की अयोग्यता पर कोई सुनवाई क्यों नहीं की गई. जबकि अयोग्य लोगों को राज्य सरकार में मंत्री कैसे बना दिया गया.

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