जबलपुर। खिलाड़ियों को मिलने वाले विक्रम अवार्ड में भेदभाव के आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिसमें जबलपुर की वुशु प्लेयर श्रद्धा यादव ने विक्रम पुरस्कार बांटने वालों पर आरोप लगाया है कि, अवार्ड बांटने में पक्षपात किया गया है. कम नंबर पाने वाली एकेडमी के प्रशिक्षक की लड़की को पुरस्कार दिया गया, जबकि अच्छे नंबर आने के बाद भी उन्हें अवार्ड नहीं मिला. अब इस मामले में हाईकोर्ट ने खेल विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
वुशु प्लेयर श्रद्धा यादव का दावा है कि, मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने विक्रम पुरस्कारों की घोषणा की है. लेकिन इस घोषणा में भाई भतीजावाद किया गया है और सही खिलाड़ियों का चयन करने की वजह कम काबिल खिलाड़ियों को विक्रम अवार्ड दिया जा रहा है. उनका कहना है कि, उसे अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 11 मेडल मिल चुके हैं.
नहीं दिया गया विक्रम अवार्ड
श्रृद्धा यादव ने कहा कि, चयन समिति ने जो अंक निर्धारित किए थे, उनके अनुसार श्रद्धा यादव को 245 अंक मिले. श्रद्धा यादव को इसके पहले एकलव्य अवार्ड भी मिल चुका है और 245 अंकों के साथ श्रद्धा मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा अंक पाने वाली खिलाड़ी बनी हुई थी. उन्हें उम्मीद थी कि, चयन समिति उन्हें विक्रम पुरस्कार जरूर देगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और खेल विभाग ने 28 अगस्त 2020 को विक्रम अवार्ड के नॉमिनेशन के लिए जो सूची जाहिर की, उसमें भोपाल की शूटिंग की खिलाड़ी चिंकी यादव को मात्र 60 अंकों के साथ विक्रम पुरस्कार दिया गया है. जो पूरी पक्षपात है.
खेल विभाग को नोटिस
इन्हीं तथ्यों को आधार बनाकर श्रद्धा यादव ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है और कोर्ट से मांग की है कि, उसके साथ अन्याय हुआ है. कोर्ट ने श्रद्धा की याचिका को स्वीकार करते हुए खेल विभाग और अवार्ड के लिए नॉमिनेटेड दो अन्य खिलाड़ियों से जवाब मांगा है.
वहीं श्रद्धा के वकील का कहना है कि, खेल के अंदर खेल चलते रहते हैं और इनमें सही खिलाड़ी हार जाता है और भाई भतीजे जीत जाते हैं. खेल एकेडमी कुछ चंद खिलाड़ियों और उनके मकड़ जाल में फंसी हुई हैं, लेकिन यह ऐसा विभाग है, जिसपर ना तो सरकार की नजर है और ना ही नेताओं की, इसलिए अच्छे खिलाड़ी खेल कर भी हार रहे हैं और कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो बिना खेले जीत रहे हैं. इसलिए इस मामले की सही तरह से जांच होनी चाहिए.