जबलपुर। प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभान ने उच्च न्यायालय में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, प्रदेश में सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व 13.6 प्रतिशत है. प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने संबंधित याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई 16 अगस्त को निर्धारित है.प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण किये जाने के संबंध में हाईकोर्ट में 60 से अधिक याचिकाएं लंबित हैं. हाईकोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कई विभागों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने पर रोक लगा रखी है.
ओबीसी वर्ग के 43,978 कर्मचारी: याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से ओबीसी वर्ग के लिए पक्ष रखने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह को नियुक्त किया था. उन्होने सुप्रीम कोर्ट की मंशा अनुसार ओबीसी आयोग के गठन तथा शासकीय सेवाओं में ओबीसी के प्रतिनिधित्व के डाटा पेश के सुझाव दिये थे. प्रदेश सरकार के समान्य प्रशासन विभाग की तरफ से पेश किये गये डाटा में कहा गया है कि, सरकारी नौकरी के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3,21,944 है. जिमसें से ओबीसी वर्ग के 43,978 कर्मचारी हैं. इस प्रकार ओबीसी वर्ग सरकारी नौकरियों में 13.66 है. पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया जाना शेष है.
High Court News: OBC मामले को लेकर लगी सभी 63 याचिकाओं पर 1 अगस्त को होगी सुनवाई
60 से अधिक याचिकाएं लंबित: प्रदेश सरकार द्वारा नवम्बर 1980 में गठित रामजी महाजन आयोग ने दिसम्बर 1983 को पेश अपनी रिपोर्ट में ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की थी. आयोग की अनुशंसा नहीं माने जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. जिसमें कहा गया था कि, सम्पूर्ण देश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. उक्त याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को 2016 मे कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे. जबाब दाखिल करने के पूर्व ही मध्य प्रदेश सरकार ने मार्च 2019 में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू कर दिया था. जिसके संबंध में उच्च न्यायालय में 60 से अधिक याचिकाओं की अंतिम सुनवाई निर्धारित है.