MP Rajya Sabha Elections: एमपी के तीनों राज्यसभा उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित. कांग्रेस के विवेक तनखा, भाजपा की कविता पाटीदार और सुमित्रा वाल्मीकि निर्विरोध निर्वाचित. MP में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना था. संख्याबल के लिहाज से एक सीट कांग्रेस के खाते में तो बाकी की दो सीटें बीजेपी के पास जानी तय थी. ऐसे में कोई भी चौथा नामांकन नहीं होने से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए.
भोपाल। एमपी में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए बिना किसी वोटिंग के ही सदस्यों का निर्वाचन हो गया है. बीजेपी की दो महिला कैंडिडेट कविता पाटीदार, सुमित्रा वाल्मीकी और कांग्रेस के कश्मीरी चेहरा माने जाने वाले नेता विवेक तन्खा निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए. बीजेपी की दोनों महिला उम्मीदवार पहली बार राज्यसभा जा रही हैं. वहीं विवेक तन्खा का ये दूसरा कार्यकाल होगा. वो इससे पहले भी राज्यसभा पहुंच चुके हैं.
बीजेपी ने खेला था OBC, SC-ST कार्ड: सुमित्रा वाल्मीकि का संबंध BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के परिवार से है. बीजेपी आने वाले चुनाव में दलितों को साधना चाहती है और इसी वजह से यह माना जा रहा था कि दलित चेहरा ही सामने रहेगा. पार्टी के नेताओं के मुताबिक जेपी नड्डा के परिवार ने सुमित्रा का नाम सुझाया, जिस पर पार्टी ने सर्वे कराया और उनके नाम को आगे बढाया. केंद्रीय नेतृत्व ने वाल्मीकि समाज के नाते उन्हें राज्यसभा का टिकट दे दिया.
आखिर सुमित्रा वाल्मीकि कैसे पहुंची राज्यसभा, जानिए- इनसाइड स्टोरी, उनकी जुबानी
कविता पाटीदार OBC चेहरा: कविता पाटीदार युवा ओबीसी (OBC) चेहरा हैं और प्रदेश महामंत्री का पद 2 साल से संभाल रही हैं. पहले दो बार प्रदेश मंत्री रह चुकी हैं. कविता के पिता भेरुलाल पाटीदार सुंदरलाल पटवा सरकार में मंत्री थे और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे हैं.
बीजेपी का जातीय समीकरण: भाजपा ने जातीय गणित के साथ आधी आबादी को साधने के लिए राज्यसभा की उम्मीदवारी के जरिए बड़ा दांव चला है. ओबीसी वर्ग से नाता रखने वाली और प्रदेश संगठन की महामंत्री कविता पाटीदार के अलावा दलित वर्ग की सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा के लिए भेजा गया है. यह दोनों नाम सियासी गलियारे पर नजर रखने वालों के लिए भी चौंकाने वाले थे. यह दोनों महिला नेत्री संगठन में तो सक्रिय रही हैं मगर किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वे राज्यसभा पहुंचेंगी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स: राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा अपने फैसलों के लिए न केवल पहचानी जाती है बल्कि लोगों को चौंकाने का भी काम करती है. ऐसा ही इस बार मध्य प्रदेश में राज्यसभा जाने वाली दो महिलाओं के निर्वाचन से भी साबित हो गया. कई बड़े दिग्गज राज्यसभा की उम्मीदवारी के लिए कतार में लगे हुए थे, मगर संगठन ने ऐसे लोगों पर दांव लगाना बेहतर समझा जो किसी गुट से नहीं आते थे. साथ ही यह संदेश गया है कि आम कार्यकर्ता भी बड़े पद पर पा सकता है. राज्यसभा की उम्मीदवारी का लाभ भाजपा पंचायत और नगरीय चुनाव में उठाने से भी नहीं चूकेगी.
कांग्रेस के खाते में तीसरी सीट: MP से राज्यसभा के लिए कांग्रेस की तरफ से एडवोकेट विवेक तन्खा निर्वाचित हुए. विवेक तन्खा कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार हैं और राज्यसभा में फिर से भेजे गए हैं. उन्होने अपनी तीन प्राथमिकताएं गिनाई. पहली, कांग्रेस की मध्यप्रदेश में एक बार फिर सरकार बनवाना. दूसरी जनता के जनादेश का जिस तरह से अपमान किया गया और धोखा दिया गया उसका बदला लिया जा सके, साथ ही कमलनाथ को एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाना. और तीसरी उनकी आखिरी प्राथमिकता सांसद के रूप में जनता की सेवा करना.