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High Court Headline: अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग को शामिल करने कोई नियम नहीं, पेड़ों की 53 प्रजातियों को काटने पर स्टे बरकारार

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा स्टेनोग्राफर व सहायक ग्रेड-तीन के 1255 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के 30 मार्च 2022 को जारी किए गए रिजल्ट की वैधानिकता को चुनौती दी गई है.

mp hc stay imposed on cutting 53 tree
अनारक्षित कोटे में आरक्षित वर्ग को शामिल करने का नियम नहीं
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Published : Jun 28, 2022, 8:46 PM IST

Updated : Jun 28, 2022, 10:27 PM IST

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट में होने वाली भर्तियों में सौ फीसदी कम्युनल आरक्षण लागू किये जाने को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई 29 जून को भी जारी रहेगी. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस पीसी गुप्ता की युगलपीठ के सामने प्रशासन ने अपना जवाब पेश किया. जवाब में कहा गया हे कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों को शामिल किए जाने का कोई नियम नही है.


गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा स्टेनोग्राफर व सहायक ग्रेड-तीन के 1255 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के 30 मार्च 2022 को जारी किए गए रिजल्ट की वैधानिकता को चुनौती दी गई है. आवेदकों का कहना है कि उक्त घोषित परीक्षा परिणाम जिसमें कम्युनल अर्थात 100 फीसदी आरक्षण लागू करके एससी, एसटी, ओबीसी के अभ्यार्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने पर भी चयन से वंचित कर दिया गया है. अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 78 अंक तथा ओबीसी की 82 अंक निर्धारित की गई है, जो की असंवैधानिक तथा आरक्षण नियम 4 तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा साहनी के प्रकरण में दिए गए निर्देशों के विरूद्ध है. प्रशासन की तरफ से जवाब दाखिल किए जाने के बाद मामले की सुनवाई 29 जून को भी जारी रहेगी. याचिकाकर्ता की ओर से न्यायलय को बताया गया की मुख्य परीक्षा के लिए फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. फार्म भरने की अंतिम तिथि 1 जुलाई 2022 को देखते हुए न्यायालय ने सुनवाई 29 जून को निश्चित की है. हाईकोर्ट द्वारा दिये गये जवाब में कहा गया कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों को शामिल किए जाने का कोई नियम नही है. यह तथ्य अपने आप में स्पष्ट करता है की अनारक्षित वर्ग की 50 फीसदी अर्थात ओपन सीटों को सामान्य वर्ग को आरक्षित कर दिया गया है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 14, 16 के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सैकड़ो फैसले है की अनारक्षित सीटें सिर्फ प्रतिभावान अभ्यर्थीयों से भरी जाएगी चाहे वे किसी भी वर्ग के हों.

पेड़ों की 53 प्रजातियों को वन उपज से हटाने का मामला: मप्र शासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्यपीठ में संयुक्त रूप से जारी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के बाद पूर्व में पारित स्थगन के आदेश को बरकरार रखा है. याचिका पर अगली सुनवाई 6 जुलाई को निर्धारित की गयी है.


संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा था कि मप्र शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. जिसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेडों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंच जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जो कि अनुचित है. नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद में पेड़ों की अवैध कटाई शुरु हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइ-वे तथा स्टेट हाई-वे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है. हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे हैं जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड गया है. पेड़ों की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओ जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया था. हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी.

विशेष अदालत में होगी सिंधिया को हत्यारा बताने वाली याचिका की सुनवाई: भाजपा के पूर्व विधायक बेल सिंह भूरिया के कथित तौर पर अमझेरा के राजा बख्तावर सिंह व माधव राव सिंधिया को महात्मा गांधी और रानी लक्ष्मीबाई का हत्यारा कहने के मामले की सुनवाई अब इंदौर की विशेष अदालत में होगी. इस बयान पर भोपाल के सांसद विधायकों ने मानहानि के दावे के विरुद्ध याचिका दायर की थी. विशेष अदालत में सुनवाई का निर्देश देते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस डीके पालीवाल ने पूर्व में जारी अंतरित राहत को यथावत रखा है.

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता बेल सिंह भूरिया ने याचिका दायर करते हुए तथ्य प्रस्तुत किये थे कि कांग्रेस पार्टी के नरेन्द्र मंडलोई नामक व्यक्ति के द्वारा याचिकाकर्ता के विरुद्ध मानहानि का परिवाद प्रस्तुत कर यह आरोपित किया कि वर्ष 2018 में धार जिले में आयोजित एक सम्मेलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिव राज सिंह चौहान व याचिकाकर्ता बतौर विधायक उपस्थित थे. जिनकी उपस्थिति में याचिकाकर्ता ने अमझेरा के राजा बख्तावर सिंह को हत्यारा व माधव राव सिंधिया को महात्मा गांधी और रानी लक्ष्मीबाई का भी हत्यारा बताया था. परिवादी ने यह आरोपित किया कि फरियादी के पूर्वज ग्वालियर स्टेट के समय अमझेरा के जागीरदार रहे और परिवादी के पूर्वज महात्मा गांधी के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में भी आन्दोलनकारी रहे. याचिकाकर्ता के कथन से जनता के मध्य उसके परिवार की मान हानि हुई है. परिवादी के परिवाद पर निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध धारा 499 के अंतर्गत संज्ञान लिया था. वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि उक्त परिवाद राजनीति से प्रेरित है. याचिकाकर्ता ने ऐसा कुछ भी कथन नहीं किया तथा परिवादी के आरोप अस्पष्ट व विरोधाभासी हैं जिनपर मानहानि का अपराध गठित नहीं होता है. जिस पर याचिकाकर्ता के विरुद्ध विचारण पर उच्च न्यायालय ने स्थगन प्रदान कर दिया था. अब इंदौर में सांसद- विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिये विशेष बेंच गठित होने पर न्यायालय ने उक्त मामले को इंदौर स्थानातंरित किये जाने के निर्देश दिए हैं.

मुआवजा देकर हो जमीन अधिग्रहण : वृध्द डॉक्टर एससी बटालिया के अस्पताल, तैय्यब अली पेट्रोल पंप, काईस्ट चर्च स्कूल सहित 9 व्यक्तियों की भूमि जमीन नगर निगम द्वारा अधिग्रहण किये जाने की कार्यवाही को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू औरा जस्टिस एमएस भटटी की युगलपीठ ने दायर याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि लोकहित में भूमिमालिक स्वैच्छा के जमीन नहीं देता है तो उसे धारा 61 के अनुसार मुआवजा दिया जाए. भूमि स्वामी जमीन देने से इंकार करत है तो नगर निगम धारा 305 तथा 306 के तहत मुआवजा देकर विधि अनुसार जमीन ले सकती है. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं का निराकरण कर दिया है.

मामले में 9 पक्षकारों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि स्मार्ट सिटी परियोजन के तहत सडक चौडीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण करने नगर निगम ने उन्हे नोटिस जारी किया है. निगम ने सुनवाई का अवसर दिये बिना भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि नियमों का पालन किये बिना नगर निगम द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है.

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट में होने वाली भर्तियों में सौ फीसदी कम्युनल आरक्षण लागू किये जाने को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई 29 जून को भी जारी रहेगी. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस पीसी गुप्ता की युगलपीठ के सामने प्रशासन ने अपना जवाब पेश किया. जवाब में कहा गया हे कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों को शामिल किए जाने का कोई नियम नही है.


गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा स्टेनोग्राफर व सहायक ग्रेड-तीन के 1255 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के 30 मार्च 2022 को जारी किए गए रिजल्ट की वैधानिकता को चुनौती दी गई है. आवेदकों का कहना है कि उक्त घोषित परीक्षा परिणाम जिसमें कम्युनल अर्थात 100 फीसदी आरक्षण लागू करके एससी, एसटी, ओबीसी के अभ्यार्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने पर भी चयन से वंचित कर दिया गया है. अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 78 अंक तथा ओबीसी की 82 अंक निर्धारित की गई है, जो की असंवैधानिक तथा आरक्षण नियम 4 तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा साहनी के प्रकरण में दिए गए निर्देशों के विरूद्ध है. प्रशासन की तरफ से जवाब दाखिल किए जाने के बाद मामले की सुनवाई 29 जून को भी जारी रहेगी. याचिकाकर्ता की ओर से न्यायलय को बताया गया की मुख्य परीक्षा के लिए फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. फार्म भरने की अंतिम तिथि 1 जुलाई 2022 को देखते हुए न्यायालय ने सुनवाई 29 जून को निश्चित की है. हाईकोर्ट द्वारा दिये गये जवाब में कहा गया कि अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों को शामिल किए जाने का कोई नियम नही है. यह तथ्य अपने आप में स्पष्ट करता है की अनारक्षित वर्ग की 50 फीसदी अर्थात ओपन सीटों को सामान्य वर्ग को आरक्षित कर दिया गया है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 14, 16 के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सैकड़ो फैसले है की अनारक्षित सीटें सिर्फ प्रतिभावान अभ्यर्थीयों से भरी जाएगी चाहे वे किसी भी वर्ग के हों.

पेड़ों की 53 प्रजातियों को वन उपज से हटाने का मामला: मप्र शासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्यपीठ में संयुक्त रूप से जारी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के बाद पूर्व में पारित स्थगन के आदेश को बरकरार रखा है. याचिका पर अगली सुनवाई 6 जुलाई को निर्धारित की गयी है.


संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा था कि मप्र शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. जिसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेडों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंच जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जो कि अनुचित है. नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद में पेड़ों की अवैध कटाई शुरु हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइ-वे तथा स्टेट हाई-वे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है. हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे हैं जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड गया है. पेड़ों की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओ जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया था. हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी.

विशेष अदालत में होगी सिंधिया को हत्यारा बताने वाली याचिका की सुनवाई: भाजपा के पूर्व विधायक बेल सिंह भूरिया के कथित तौर पर अमझेरा के राजा बख्तावर सिंह व माधव राव सिंधिया को महात्मा गांधी और रानी लक्ष्मीबाई का हत्यारा कहने के मामले की सुनवाई अब इंदौर की विशेष अदालत में होगी. इस बयान पर भोपाल के सांसद विधायकों ने मानहानि के दावे के विरुद्ध याचिका दायर की थी. विशेष अदालत में सुनवाई का निर्देश देते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस डीके पालीवाल ने पूर्व में जारी अंतरित राहत को यथावत रखा है.

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता बेल सिंह भूरिया ने याचिका दायर करते हुए तथ्य प्रस्तुत किये थे कि कांग्रेस पार्टी के नरेन्द्र मंडलोई नामक व्यक्ति के द्वारा याचिकाकर्ता के विरुद्ध मानहानि का परिवाद प्रस्तुत कर यह आरोपित किया कि वर्ष 2018 में धार जिले में आयोजित एक सम्मेलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिव राज सिंह चौहान व याचिकाकर्ता बतौर विधायक उपस्थित थे. जिनकी उपस्थिति में याचिकाकर्ता ने अमझेरा के राजा बख्तावर सिंह को हत्यारा व माधव राव सिंधिया को महात्मा गांधी और रानी लक्ष्मीबाई का भी हत्यारा बताया था. परिवादी ने यह आरोपित किया कि फरियादी के पूर्वज ग्वालियर स्टेट के समय अमझेरा के जागीरदार रहे और परिवादी के पूर्वज महात्मा गांधी के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में भी आन्दोलनकारी रहे. याचिकाकर्ता के कथन से जनता के मध्य उसके परिवार की मान हानि हुई है. परिवादी के परिवाद पर निचली अदालत ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध धारा 499 के अंतर्गत संज्ञान लिया था. वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि उक्त परिवाद राजनीति से प्रेरित है. याचिकाकर्ता ने ऐसा कुछ भी कथन नहीं किया तथा परिवादी के आरोप अस्पष्ट व विरोधाभासी हैं जिनपर मानहानि का अपराध गठित नहीं होता है. जिस पर याचिकाकर्ता के विरुद्ध विचारण पर उच्च न्यायालय ने स्थगन प्रदान कर दिया था. अब इंदौर में सांसद- विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिये विशेष बेंच गठित होने पर न्यायालय ने उक्त मामले को इंदौर स्थानातंरित किये जाने के निर्देश दिए हैं.

मुआवजा देकर हो जमीन अधिग्रहण : वृध्द डॉक्टर एससी बटालिया के अस्पताल, तैय्यब अली पेट्रोल पंप, काईस्ट चर्च स्कूल सहित 9 व्यक्तियों की भूमि जमीन नगर निगम द्वारा अधिग्रहण किये जाने की कार्यवाही को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू औरा जस्टिस एमएस भटटी की युगलपीठ ने दायर याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि लोकहित में भूमिमालिक स्वैच्छा के जमीन नहीं देता है तो उसे धारा 61 के अनुसार मुआवजा दिया जाए. भूमि स्वामी जमीन देने से इंकार करत है तो नगर निगम धारा 305 तथा 306 के तहत मुआवजा देकर विधि अनुसार जमीन ले सकती है. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं का निराकरण कर दिया है.

मामले में 9 पक्षकारों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि स्मार्ट सिटी परियोजन के तहत सडक चौडीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण करने नगर निगम ने उन्हे नोटिस जारी किया है. निगम ने सुनवाई का अवसर दिये बिना भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि नियमों का पालन किये बिना नगर निगम द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है.

Last Updated : Jun 28, 2022, 10:27 PM IST
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